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Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।

Rahim ke dohe in Hindi:

रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
जहां गांठ तहं रस नहीं, यही प्रीति में हानि।।

Rahiman khajai ookh mein, jahan rasan kee khaani,
Jahan gaanth tahan ras nahin, yahee preeti mein haani

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रहीम के दोहे का अर्थ:

प्रीति बड़ा मुग्धकारी भाव है। यह शत्रुता को तिरोहित करता है और पारस्परिक अपनत्व में वृद्धि करता है। इसमें अहं, स्वार्थ व अहंकार का कोई स्थान नहीं होता। इनके समावेश से प्रीति में गांठ पड़ जाती है और जहां गांठ होती है, वहां प्रेम रस नहीं होता।

रहीम कहते हैं, मैंने ईख को भलीभांति निरख परख लिया है। वह तो रस की खान है। किंतु उसमें एक दोष यह है कि जहां जहां गांठ है, वहां रस नहीं। अब जहां गांठ होगी, वहां रस की कल्पना कैसे की जा सकती है। यह गांठ प्रीति में पड़ जाए तो उसे नष्ट होते देर नहीं लगती। प्रेम का सबसे बड़ा शत्रु एकमात्र यही गांठ है।

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Rahim ke dohe रहीम के 25 प्रसिद्ध दोहे अर्थ व्याख्या सहित

25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :

अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।

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