राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने आज मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए अपनी संस्तुति दे दी. कल कांग्रेस ने कैबिनेट के अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की शिफारिश का विरोध किया था और इसे राजनीति से प्रेरित बताया था .
सोमवार को कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. एनडीए सरकार द्वारा अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुशसा की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है और ऐसी आशंका है की आगामी बजट सेशन में लोकसभा में इस पर जैम कर हंगामा हो सकता है. कई महत्त्व पूर्ण बिलों को पास करने की कवायद में जुटी भाजपा के लिए ऐसे में मुश्किल सामने आ सकती है.
अरुणाचल प्रदेश की राजनीती में पिछली १६ दिसंबर को अचानक भूचाल आ गया था जब कांग्रेस के १६ बागी विधायकों ने भाजपा के ११ विधायकों से हाथ मिला कर स्पीकर नबम रेबिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया था. यह प्रस्ताव विधानसभा के बहार एक प्राइवेट भवन में आयोजित सभा में किया गया था जिसे स्पीकर ने गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दे दिया था.
भाजपा ने राष्ट्रपति शासन लागू किये जाने को संविधान के अनुरूप बताते हुआ कहा की अरुणाचल प्रदेश में संविधान की धरा १७४(१) के तहत वायलेशन हो रहा था जिसके अनुसार विधान सभा के दो सत्रों के मध्य छह महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए.
आने वाले दिनों में देश की राजनीती में अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर पर गरम रहने की उम्मीद है. अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है । कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है । तो twitter पे #modikillsdemocracy ट्रेंड करने लगा ।
राष्ट्रपति शासन लगने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी नरेंद्र मोदी पे बड़ा हमला बोला है । अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पे लिखा कि – “अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया । आडवाणी जी सही कह रहे थे कि देश में आपातकाल जैसे हालात है ”
गौतलब है कि भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने जून में कहा था कि मौजूदा दौर में लोकतंत्र को दबाने वाली ताकतें सक्रिय हो गई हैं जिसके कारण आपातकाल की वापसी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है ।