प्रत्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण
आइये, इस लेख में जानते हैं कि प्रत्यय क्या होता है? या प्रत्यय किसे कहते हैं?
प्रत्यय की परिभाषा –
ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के बाद लगकर (शब्द के अंत में जुड़कर) उस शब्द के अर्थ को बदल देते हैं और नए अर्थ का बोध कराते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं।
प्रत्यय शब्द दो शब्दों – प्रति+ अय = प्रत्यय से मिलकर बना है।
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि मूल शब्द से भिन्न अर्थ वाले नए शब्द के निर्माण के लिए मूल शब्द के आखिर में जोड़े जाने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।
हिन्दी में प्रत्यय का अत्यंत महत्व और उपयोगिता है क्योंकि प्रत्यय द्वारा मूल शब्द के अनेक अर्थों को प्राप्त किया जा सकता है। उपसर्ग की भांति यौगिक शब्द बनाने में प्रत्यय का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्यय के उदाहरण –
प्रत्यय + मूल शब्द = प्रत्यय युक्त नया शब्द
थक + आन = थकान
घबरा + आहट = घबराहट
लड़ + आका = लड़ाका
खिंच + आई = खिंचाई
प्रत्यय के भेद:
प्रत्यय के कितने प्रकार होते हैं?
हिन्दी में प्रत्यय तीन प्रकार के होते हैं –
(1) संस्कृत प्रत्यय
(2) हिन्दी प्रत्यय
(3) विदेशी प्रत्यय
(1) संस्कृत प्रत्यय –
हिन्दी में अनेक प्रत्यय संस्कृत से आए हैं:
संस्कृत प्रत्यय के उदाहरण:
1. इक – मानसिक, धार्मिक, मार्मिक, पारिश्रमिक
2. इत – हर्षित, गर्वित, लज्जित, पल्लवित
3. ईय – भारतीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय
4. एय – आग्नेय, पाथेय, राधेय, कौंतेय
5. तम – अधिकतम, महानतम, वरिष्ठतम, श्रेष्ठतम
6. तर – श्रेष्ठतर, उच्चतर, निम्नतर, लघूत्तर
7. त्व – गुरुत्व, लघुत्व, बंधुत्व, नेतृत्व
8. मान् – श्रीमान्, शोभायमान, शक्तिमान, बुद्धिमान
9. वान् – धनवान, बलवान, गुणवान, दयावान
10. शाली – वैभवशाली, गौरवशाली, प्रभावशाली, शक्तिशाली
(2) हिन्दी प्रत्यय:
हिन्दी प्रत्यय के दो प्रकार होते हैं –
(i) कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय):
(ii) तद्धित प्रत्यय
1. कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय):–
वे प्रत्यय जो धातु अथवा क्रिया के अन्त में लगकर नए शब्दों की रचना करते उन्हें कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय) कहते हैं। कृत् प्रत्ययों से संज्ञा तथा विशेषण शब्दों की रचना होती है।
विकारी कृत प्रत्यय :
संज्ञा की रचना करने वाले कृत प्रत्यय विकारी कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
विकारी कृत प्रत्यय के उदाहरण –
1. न – बेलन, बंधन, नंदन, चंदन
2. ई – बोली, सोची, सुनी, हँसी
3. आ – झूला, भूला, खेला, मेला
4. अन – मोहन, रटन, पठन
5. आहट – चिकनाहट, घबराहट, चिल्लाहट
अविकारी कृत प्रत्यय :
विशेषण की रचना करने वाले कृत प्रत्यय विकारी कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
अविकारी कृत प्रत्यय के उदाहरण –
1. आड़ी – खिलाड़ी, अगाड़ी, अनाड़ी, पिछाड़ी
2. एरा – लुटेरा, बसेरा
3. आऊ – बिकाऊ, टिकाऊ, दिखाऊ
4. ऊ – डाकू, चाकू, चालू, खाऊ
कृत् प्रत्यय के भेद
1. कृत् वाचक
2. कर्म वाचक
3. करण वाचक
4. भाव वाचक
5. क्रिया वाचक
(1) कृत् वाचक कृत प्रत्यय –
कर्ता का बोध कराने वाले प्रत्यय कृत् वाचक प्रत्यय कहलाते है।
कृत् वाचक प्रत्यय के उदाहरण –
1. अक – लेखक, गायक, पाठक, नायक
2. क – रक्षक, भक्षक, पोषक, शोषक
3. ता – दाता, माता, गाता, नाता
4. वाला – रखवाला, लिखनेवाला, पढ़नेवाला
5. हार – पालनहार, चाखनहार, राखनहार
(2) कर्म वाचक कृत् प्रत्यय –
कर्म का बोध कराने वाले कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय) कर्म वाचक कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय) कहलाते हैं।
कर्म वाचक कृत् प्रत्यय के उदाहरण –
1. औना – खिलौना, बिछौना
2. नी – ओढ़नी, मथनी, छलनी
3. ना – पढ़ना, लिखना, गाना
(3) करण वाचक कृत् प्रत्यय –
साधन का बोध कराने वाले कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय) करण वाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
करण वाचक प्रत्यय के उदाहरण –
1. अन – पालन, सोहन, झाडन
2. नी – चटनी, कतरनी, सूँघनी
3. ऊ – झाडू, चालू
4. ई – खाँसी, धाँसी, फाँसी
(4) भाव वाचक कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय) –
क्रिया के भाव का बोध कराने वाले प्रत्यय भाववाचक कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय) कहलाते हैं।
भाव वाचक कृत् प्रत्यय के उदाहरण –
1. आप – मिलाप, विलाप
2. आवट – सजावट, मिलावट, लिखावट
3. आव – बनाव, खिंचाव, तनाव
4. आई – लिखाई, खिंचाई, चढ़ाई
(5) क्रियावाचक कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय) –
क्रिया शब्दों का बोध कराने वाले कृत् प्रत्यय (कृदन्त प्रत्यय) क्रिया वाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
क्रियावाचक कृत् प्रत्यय के उदाहरण –
1. या – आया, बोया, खाया
2. कर – गाकर, देखकर, सुनकर
3. आ – सूखा, भूला
4. ता – खाता, पीता, लिखता
तद्धित प्रत्यय –
क्रिया को छोडकर संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में जुडकर नए शब्द बनाने वाले प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
मानव + ता = मानवता
जादू + गर = जादूगर
बाल +पन = बालपन
लिख + आई = लिखाई
तद्धित प्रत्यय के भेद
संज्ञा सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगनेवाले प्रत्यय को ‘तद्धित’ कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द को ‘तद्धितान्त’।
दूसरे शब्दों में- धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों में लगनेवाले प्रत्ययों को तद्धित कहते हैं।
तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
अच्छा + आई = अच्छाई
अपना + पन = अपनत्व
अपना + पन = अपनापन
एक + ता = एकता
ड़का + पन = लडकपन
मम + ता = ममता
मानव + ता = मानवता
1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
3. सम्बन्ध वाचक तद्धित प्रत्यय
4. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
5. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
6. ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय
7. स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय
(1) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय –
कर्ता का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय कर्तृवाचक तद्धति प्रत्यय कहलाते हैं।
कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
आर – सुनार, लुहार, कुम्हार
ई – माली, तेली
वाला – गाडीवाला, टोपीवाला, इमलीवाला
(2) भाववाचक तद्धित प्रत्यय –
भाव का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
भाववाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
आहट – कडवाहट
ता – सुन्दरता, मानवता, दुर्बलता
आपा – मोटापा, बुढ़ापा, बहनापा
ई – गर्मी, सर्दी, गरीबी
(3) सम्बन्ध वाचक तद्धित प्रत्यय –
सम्बन्ध का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय सम्बन्ध वाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
सम्बन्ध वाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
इक – शारीरिक, सामाजिक, मानसिक
आलु – कृपालु, श्रद्धालु, ईष्र्यालु
ईला – रंगीला, चमकीला, भडकीला
तर – कठिनतर, समानतर, उच्चतर
(4) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय –
गुण का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
गुणवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
वान – गुणवान, धनवान, बलवान
ईय – भारतीय, राष्ट्रीय, नाटकीय
आ – सूखा, रूखा, भूखा
ई – क्रोधी, रोगी, भोगी
(5) स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय –
स्थान का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
वाला – शहरवाला, गाँववाला, कस्बेवाला
इया – उदयपुरिया, जयपुरिया, मुंबइया
ई – रूसी, चीनी, राजस्थानी
(6) ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय –
लघुता का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
1. डी – चमडी, पकडी
2. ओला – खटोला, संपोला, मंझोला
3. ई – प्याली, नाली, बाली
4. इया – लुटिया
(7) स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय –
स्त्रीलिंग का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –
1. आइन – पंडिताइन, ठकुराइन
2. आनी – सेठानी, देवरानी, जेठानी
3. इन – मालिन, कुम्हारिन, जोगिन
4. नी – मोरनी, शेरनी, नन्दनी
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उर्दू के प्रत्यय
उर्दू भाषा का हिन्दी के साथ लम्बे समय तक प्रचलन में रहने के कारण हिन्दी भाषा में उर्दू भाषा प्रत्यय भी प्रयोग में आने लगे हैं।
उर्दू प्रत्यय के उदाहरण –
1. आना – नजराना, दोस्ताना, सालाना
2. आबाद – सिकन्दराबाद, औरंगाबाद, मौजमाबादइन्दा – बाशिन्दा, शर्मिन्दा, परिन्दा
3. इयत – इंसानियत, खैरियत, आदमियत
4. इश – साजिश, ख्वाहिश, फरमाइश
5. ईन – शौकीन, रंगीन, नमकीन
6. कार – सलाहकार, लेखाकार, जानकार
7. खोर – आदमखोर, चुगलखोर, रिश्वतखोर
8. गर – कारीगर, बाजीगर, सौदागर
9. गार – खिदमतगार, मददगार, गुनहगार
10. गाह – ख्वाबगाह, ईदगाह, दरगाह
11. गी – ताजगी, बानगी, सादगी
12. गीर – आलमगीर, जहाँगीर, राहगीर
13. ची – नकलची, तोपची, अफीमची
14. दान – खानदान, पीकदान, कूङादान
15. दार – हवलदार, जमींदार, किरायेदार
16. नामा – बाबरनामा, जहाँगीरनामा, सुलहनामा
17. बन्द – कमरबंद, नजरबंद, दस्तबंद
18. बाज – धोखेबाज, नशेबाज, चालबाज
19. मन्द – जरूरतमन्द, अहसानमन्द, अकलमन्द
उपसर्ग और प्रत्यय में क्या अंतर है?
- उपसर्ग शब्द के आरंभ में जुड़ते हैं (अप + मान = अपमान) किन्तु प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़ते हैं (घबरा + आहट = घबराहट)।
- शब्द में उपसर्ग जुड़ने पर मूल शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो सकता है, जैसे – “हार” शब्द में भिन्न भिन्न उपसर्ग जुड़ कर नए नए शब्द बन रहे हैं – आ + हार = आहार (भोजन), उप + हार = उपहार (भेंट), प्र + हार = प्रहार (चोट), वि + हार = विहार (भ्रमण), सं + हार = संहार (मारना) आदि।
किन्तु मूल शब्द में प्रत्यय जुड़ने के बाद नए शब्द का अर्थ मूल शब्द से मिलता-जुलता ही रहता है। जैसे – चतुर + आई = चतुराई)