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पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात – Kabir Ke Dohe

Sant Kabir ke dohe in hindi with meaning

Sant Kabir ke Dohe, Kabir vani, Kabir Dohavali, Sant Kabir Das

पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात।
देखत ही छिप जायेगा, ज्यों सारा परभात।।

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Pani kera budbuda, As manas ki jaat
Dekhat hi cheep jayega, jayon sara parbhat

अर्थात (Meaning in Hindi): मानव जीवन पानी के बुलबुले के समान है जो थोड़े ही समय में नष्ट हो जाता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार सवेरा होने पर प्रकाष के कारण आकाश में टिमटिमाते तारे छिप जाते हैं।

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कबीर थोड़ा जीवना, माढ़ै बहुत मढ़ान।
सबही ऊभा पंथ सिर, राव रंक सुलतान।।

Kabir thoda jeevana, Maarhe bahut madhaan
Sabhi ubha panth seer, Raav rank sultan

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अर्थात (Meaning in Hindi): यहां सभी काल के बन्धन में वषीभूत हैं। मात्र थोड़ा सा जीवन जीने के लिए तुम्हें मिला है और तुम ठाठ बाठ बहुत रचते हो। आराम और सुविधा में रहते हो। अपने मन की आंखें खोलकर देखों यहां गरीब, धनवान, राजा, रंक, भिखारी सभी के ऊपर जन्म मरण के आवागमन का काल मंडरा रहा है।


दुख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करै, दुख काहे को होय।।

Dukh mein sumirin sab kare, Sukh mein kare na koya
Jo sukh mein sumirin kare, Dukh kahe ko hoya

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अर्थात (Meaning in Hindi): जब दुख का आगमन होता है तभी लोग भगवान के नाम का सुमिरन करते हैं। सुख में भगवान को कोई भी याद नहीं करता। अगर सुख में स्मरण किया जाये तो दुख होगा ही नहीं।


लूट सके तो लूट ले, सन्त नाम की लूट।
पीछे फिर पछताओगे, प्रान जाहिं जब छूट।।

Loot sake to loot le, Sant naam ki loot
Piche fir pachtaoge, Pran jahin jab choot

अर्थात (Meaning in Hindi): समय बीत जायेगा और बाद में तू पछतायेगा। समय निकल जाने के बाद पछताने से कोई लाभ नहीं होगा। मृत्यु के बाद नरक के दुखों को भोगना होगा। अतः अभी से संभल जा।


साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय।
ज्यों मेंहदी के पात में, लाली लखी न जाय।।

Saheeb teri saheebi, Sab ghat rahi samaya
Jayon mehndi ke paat mein, Laali lakhi na jaya

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अर्थात (Meaning in Hindi): संत जी कहते हैं कि हे प्रभु! हे जगदीश्वर! तुम घट घट वासी हो। हर प्राणी के हदय में निवास करते हो किन्तु अज्ञानी लोग अपनी अज्ञानता के कारण तुम्हें देख नहीं पाते जिस प्रकार मेंहदी के हरे पत्तों में लाली छिपी रहती है उसे सिल बट्टे से पीसकर हाथ में लगाओ तब उसकी लाली निखर आती है उसी प्रकार मन रूपी मेंहदी को ध्यान और सुमिरन रूपी सिलबट्टे से पीसो। अर्थात् अपने को परमात्मा में लीन कर दो।

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