सोल, उत्तरी कोरिया : उत्तरी कोरिया ने अभी हल में ही न्युक्लीअर टेस्ट करके दुनिया को चौंका दिया था। यहाँ तक कि न्युक्लीअर प्रोग्राम को लेकर अमेरिका तक को आँख दिखने वाले उत्तरी कोइया ने खुलेआम जाहिर कर दिया है कि उसका न्युक्लीअर कार्यक्रम अभी जारी रहेगा जब तक कि वह परमाणु शक्ति संपन्न देश नहीं बन जाता। ताजा खबर यह है कि उत्तरी कोरिया ने अपने पांचवें न्युक्लीअर टेस्ट के लिए अपने परमाणु संयंत्र में प्लूटोनियम संशोधन का काम तेज कर दिया है और उस का पांचवां परमाणु बम परीक्षण बहुत शीघ्र हो सकता है।
उत्तरी कोरिया का इरादा केवल परमाणु शक्ति से लैस होने का नहीं है बल्कि उसने परमाणु अस्त्रों को मारक रूप से इस्तेमाल करने के लिए अपने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को डेवलप करने के काम में भी अपने वैज्ञानिकों को दिन-रत एक कर लगा दिया है। अमेरिकन इंटेलिजेंस एजेंसी के दावे के अनुसार यांगयोन के बंद पड़े रिएक्टर को दुबारा शुरू करने के पीछे उत्तरी कोरिया की परमाणु शक्ति संपन्न देश बनने की महत्वाकांक्षा है।
यूएस इंटेलिजेंस एजेंसी के मुखिया जेम्स क्लैपर ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह रहस्योद्घाटन किया है कि नॉर्थ कोरिया यांगयोन स्थित एक परमाणु संयंत्र में बहुत ही तेजी से प्लूटोनियम संशोधन का काम चल रहा है। इस रिएक्टर को 2009 में बंद कर दिया गया किन्तु उत्तरी कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को गति देने के लिए इस संयंत्र को पुनः शुरू कर दिया गया है।
क्लैपर ने बताया कि उत्तरी कोरिया जल्दी ही इतनी मात्र में प्लूटोनियम सशोधित कर लेगा कि अगले कुछ हफ़्तों में अपना पांचवां परमाणु परीक्षण कर पायेगा। उत्तरी कोरिया के इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम से सबसे ज्यादा खतरा अमेरिका के लिए हो सकता है क्यूंकि उत्तरी कोरिया अमेरिका को अपना दुश्मन देश मानता है।
उत्तरी कोरिया इससे पहले उत्तरी 2006, 2009, 2013 और इसी साल 2016 की जनवरी में न्यूक्लियर टेस्ट कर चुका है।
अमेरिका उत्तरी कोरिया के न्युक्लीअर कार्यक्रम को किसी भी कीमत पर रूकना चाहता है किन्तु उत्तरी कोरिया अमेरिका और अन्य छह बड़ी न्युक्लीअर ताकतों को धता बता कर अपना न्युक्लीअर प्रोग्राम तेजी से आगे बढ़ा रहा है।
जिस यांगयोन परमाणु रिसर्च सेंटर में प्लूटोनियम संशोधन का काम चल रहा है उसकी स्थापना १९६० में रूस के सहयोग से हुई थी।