Kavita ke bahane, Bat seedhi thee par : Kunwar Narayan (कविता के बहाने, बात सीधी थी पर) NCERT Solutions Class 12
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (कविता के साथ)
प्रश्न 1: इस कविता के बहाने बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?
उत्तर – कविता के बहाने कविता में सब घर एक कर देने के मायने’ का अर्थ है- सीमा का बंधन समाप्त हो जाना। जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का ध्यान नहीं रखा जाता, उसी प्रकार कविता में स्थान की कोई सीमा नहीं है। यह शब्दों का खेल है। कवि बच्चों की तरह पूरे समाज को एक मानता है। वह अपने पराए का भेद भूलकर कविता की। रचना करता है। कविता समाज को बाँधती है, एक करती है।
प्रश्न 2: “उड़ने’ और “खिलने” का कविता से क्या सबंध बनता हैं?
उत्तर – कविता का ‘उड़ने’ व ‘खिलने’ से सीधा संबंध है। चिड़िया एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़कर जाती है, परंतु कविता कल्पना के सहारे बहुत ऊँचे तक उड़ती है। यह काल की सीमा तक को लाँघ जाती है। इसी तरह कविता फूल की तरह विकसित होती है। फूल अपनी सुंदरता व गंध से समाज को प्रसन्न रखता है, उसी तरह कविता भी मानवीय भावों से विकसित होकर तरह-तरह के रंग दिखाती है तथा उसकी खुशबू सनातन है। वह हर युग में मानव को आनंद देती है।
प्रश्न 3: कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?
अथवा
कविता को बच्चों के समान क्यों कहा गया हैं? तक सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर – कवि ने बच्चे और कविता को समानांतर रखा है। बच्चों में रचनात्मक ऊर्जा होती है। उनके खेलने की कोई निश्चित सीमा नहीं होती। उनके सपने असीम होते हैं। इसी तरह कविता भी रचनात्मक तत्वों से युक्त होती है। उसका क्षेत्र भी विस्तृत होता है। उनकी कल्पना शक्ति अद्भुत होती है।
प्रश्न 4: कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ क्या होते हैं?
उत्तर – कवि का मानना है कि कविता कभी मुरझाती नहीं है। यह अमर होती है तथा युग-युगांतर तक मानव-समाज को प्रभावित करती रहती है। अपनी जीवंतता की वजह से इसकी महक बरकरार रहती है। कविता के माध्यम से जीवन-मूल्य पीढ़ीदर-पीढ़ी चलते रहते हैं।
प्रश्न 5: भाषा को ‘सहूलियत’ से बरतने से क्या अभिप्राय हैं?
उत्तर – कवि कहता है कि मानव मन में भावों का उदय होता है। यदि वह भाषा के चमत्कार में उलझ जाता है तो वह अपने भावों को सही ढंग से अभिव्यक्त नहीं कर पाता। वह तभी उन्हें प्रकट कर सकता है जब भाषा को वह साधन बनाए, साध्य नहीं। साधन बनाने पर भाषा सहजता से इस्तेमाल हो सकती है। वह लोगों तक अपनी बात कह सकता है।
प्रश्न 6: बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती हैं? कैसे?
अथवा
किसी रचना में भाव की प्रधानता महत्वपूर्ण है या भाषा की? कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर – बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, परंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। इसका कारण उपयुक्त शब्दों का प्रयोग न करना होता है। मनुष्य अपनी भाषा को कठिन बना देता है तथा आडंबरपूर्ण या चमत्कारपूर्ण शब्दों से अपनी बात को कहने में स्वयं को श्रेष्ठ समझता है। इससे वह अपनी मूल बात को कहने में असफल हो जाता है। मनुष्य को समझना चाहिए कि हर शब्द का अपना विशिष्ट अर्थ होता है, भले ही वह समानार्थी या पर्यायवाची हो। शब्दों के चक्कर में उलझकर भाव अपना अर्थ खो बैठते हैं।
प्रश्न 7: बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें।
बात की चूड़ी मर जाना | कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना |
बात की पेंच खोलना | बात का पकड़ में न आना |
बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना | बात का प्रभावहीन हो जाना |
बात को कील की तरह ठोंक देना | बात में कसावट का न होना |
बात का बन जाना | बात को सहज और स्पष्ट करना |
उत्तर – | |
बात की चूड़ी मर जाना | बात का प्रभावहीन हो जाना |
बात की पेंच खोलना | बात को सहज और स्पष्ट करना |
बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना | बात का पकड़ में न आना |
बात को कील की तरह ठोंक देना | बात में कसावट का न होना |
बात का बन जाना | कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना |
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