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मृतक (दिवंगत) का श्राद्ध कौन सी तिथि को मनाना चाहिए?

Mrutak ka shraddh kaun si tithi ko manana chahiye?

उत्तर: सनातन संस्कृति में अनेक कर्मों में एक श्राद्धकर्म भी महत्वपूर्ण है। ज्यादातर श्राद्ध कर्म करते समय लोगों द्वारा तरह तरह के मत व्यक्त करने से श्राद्ध की तिथियों में हमेशा भ्रम की स्थिति बनी रहती है और लोगों के मन में हमेशा यह बात प्रश्न के रूप में खड़ी रहती है कि श्राद्ध कौन सी तिथि को किया जाए- अंतिम सांस परित्याग वाली तिथि को या दाह संस्कार करने वाली तिथि को? सनातन संस्कृति व धर्म शास्त्रनुसार अंतिम सांस जिस तिथि को छोड़ा यानि जिस समय मृत्यु हुई उस समय चल रही तिथि ही ‘मृत्युतिथि’माना जाता है। वही मृत्यु तिथि जब वापस श्राद्ध पक्ष या एक संवत्सर बाद आती है उसी तिथि में उस दिवंगत आत्मा का श्राद्ध किया जाता है। कभी भी दाह संस्कार वाली तिथि में श्राद्ध नहीं किया जाता है। बहुत से लोग आजकल दाह संस्कार तिथि को ही मृत्यु तिथि मानकर तदनुसार सारे कार्य करते हैं, किन्तु यह शास्त्र सम्मत नहीं है।

 

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