मध्य प्रदेश किसान आंदोलन की वजह से सुर्ख़ियों में है. मध्य प्रदेश का मंदसौर जिला किसान आंदोलन का गढ़ बना हुआ है जहाँ कथित तौर पर एक व्यापारी और भाजपा नेता जैन साहब द्वारा किसानों केसाथ किये गए बदसलूकी और अपने गुर्गों द्वारा किसानों को पिटवाये जाने से सारा मामला शुरू हुआ बताया जाता है.
किसानों द्वारा अपने साथियों की पिटाई का विरोध करने पर इन जैन साहब नामके भाजपा नेता ने पुलिस का सहारा लिया. पुलिस द्वारा भी बिना जांच पड़ताल किये सत्ता पक्ष के दबाव में किसानों के खिलाफ एक तरफा कार्र्यवाही हुई बताई जाती है. लेकिन मंदसौर जिले के किसान काफी मुखर और संगठित हैं इसलिए शीघ्र ही भाजपा नेता और पुलिस ज्यादती के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन एक बड़े किसान आंदोलन में तब्दील हो गया जिसमें अब तक कई किसानों की जान जा चुकी है.
अब मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के नेता शिवराज सिंह चौहान डैमेज कण्ट्रोल में लगे हैं. कल उन्होंने मृत किसानों के परिवारों से मुलाक़ात भी की. किसानों के समर्थन में प्रदेश में शांति के लिए एक दिन के सांकेतिक उपवास का एलान भी किया. खुद को किसान पुत्र बताने से लेकर अन्य घोषणाओं और भाषणबाज़ी द्वारा भी अपने आप को किसानों का हितैषी साबित करने की कोशिश भी शिवराज सिंह द्वारा लगातार जारी है.
लेकिन इसी बीच शिवराज सिंह कुछ ऐसा बोल गए की अब वे खुद ही फंसते नजर आ रहे हैं. किसानों का हमदर्द बनने और किसान आंदोलन की चिंगारियों को शांत करने के प्रयास में शिवराह सिंह ने मंच से घोषणा की थी कि किसानों का एक एक प्याज खरीदा जायेगा और वह भी आठ रुपये किलो की कीमत पर. रविवार को शिप्रा दर्शन यात्रा के दौरान यहां आए मुख्यमंत्री चौहान ने सर्किट हाउस पर मिले किसान प्रतिनिधियों के सामने 8 रुपए किलो में प्याज की खरीदी शुरू करने की घोषणा की थी।
अब हालत यह है कि उज्जैन जिले में प्याज की बम्पर पैदावार हुई है और सरकार द्वारा आठ रुपये किलो पर प्याज की खरीद की घोषणा सुन कर हजारों किसान ट्रेक्टर ट्राली में प्याज भर कर खरीद केंद्रों पर पहुँच रहे हैं लेकिन वहां पर मीलों लम्बी कतारें उन का इंतज़ार कर रही हैं.
दरअसल आढ़ती किसानों का प्याज एक या ज्यादा से ज्यादा डेढ़ रुपये किलो खरीदते आये हैं. ऐसे में वे आठ रुपये किलो की दर से प्याज खरीदे जाने से नाराज हैं. इसकी काट निकाली गई है खरीद केंद्र पर केवल एक ही कांटे द्वारा आने वाली प्याज का वजन कर के. ऐसे में किसानों को घंटों तक इंतज़ार करना पड़ रहा है.
इस मसले का एक पहलू और भी है. वह है प्याज का वजन – दरअसल ताजी प्याज में 85 % पानी होता है जो जून महीने की गर्मी की मार से जल्द ही सूख कर 60 % रह जाता है. इस तरह से प्याज अगर किसान के पास पड़ा रह जाए तो बाद में आढ़ती उसी प्याज को २५% काम वजन के हिसाब से खरीद कर फायदे में रहते हैं.
बहरहाल, सरकार डैमेज कण्ट्रोल मोड में है, किसान सड़कों पर है, किसान की फसल सड़कों पर है और बहस जारी है.
देखिये आगे-आगे क्या होता है?