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Mobile ke hanikarak prabhav Essay in Hindi | मोबाइल के हानिकारक प्रभाव पर निबंध

Mobile ke hanikarak prabhav Essay in Hindi, मोबाइल के दुष्परिणाम

आजकल छोटे छोटे बच्चों का मोबाइल से खेलना आम बात है । अक्सर माता पिता रोते बच्चों को चुप कराने के लिए या फिर बच्चों का ध्यान हटाने के लिए उनके हाथ में मोबाइल फ़ोन दे देते हैं जिसमें बच्चे अक्सर कार्टून या फिल्म वगैरा देखते रहते हैं । कई बार तो बच्चे घंटों तक मोबाइल पर गेम ही खेलते रहते हैं । माँ घर का काम निपटाने के लिए बच्चों को मोबाइल से देर तक खेलने देती है और कभी कभी तो ऐसा भी देखा गया है कि अपना फेवरिट सीरियल देखते वक़्त छोटा बच्चा डिस्टर्ब न करे , इसलिए भी माँ उन्हें मोबाइल से एंगेज कर लेती है । मोबाइल फ़ोन एक बहुत ही उपयोगी गैजेट है लेकिन दो तीन साल के बच्चों को मोबाइल इस्तेमाल करने देना बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है ।

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Mobile phone ke hanikarak prabhav essay in Hindi 4

तीन साल से काम बच्चों के देर तक मोबाइल इस्तेमाल करने से हो सकते हैं ये भयानक दुष्परिणाम: Mobile ill effects

  1.  रिसर्च से साबित हुआ है कि मोबाइल फ़ोन से बहुत ही खतरनाक रेडिएशन निकलता है । मोबाइल फ़ोन निकलने वाले इस खतरनाक रेडिएशन से नन्हें बच्चों के दिमाग में ट्यूमर हो सकते हैं जो आगे चल कर कैंसर में भी बदल सकते हैं । दरअसल दो-तीन साल के बच्चों के सर का विकास पूरा नहीं हुआ होता । उनका सर छोटा होता है और मस्तिष्क के पास हड्डियों की मोटाई बहुत कम होती है । सर के भीतर टिश्यू बहुत नाजुक होते हैं । ऐसे में मोबाइल से फ़ोन से निकला हुआ 60% से भी ज्यादा रेडिएशन बच्चों के मस्तिष्क द्वारा सोख लिया जाता है और इस तरह से बच्चों के नर्वस सिस्टम को भयानक नुक्सान पहुँचता है । वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस रेडिएशन को कैंसर के संभावित कारणों में शामिल किया है ।
  2. मोबाइल फ़ोन सभी प्रकार के कम्युनिकेशन के लिए इलेक्ट्रोमग्नेटिक तरंगों पर काम करते हैं । वहीँ बच्चों के दिमाग में भी अपने इलेक्ट्रिक सिग्नल होते हैं । जब मोबाइल फ़ोन से निकलने वाली तरंगे बच्चों के मस्तिष्क में पैदा होने वाली तरंगों को प्रभावित करती हैं तो उनके मस्तिष्क के स्वाभाविक रूप से कार्य करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है । ऐसे बच्चों की पढ़ने – लिखने और नयी नयी बातें सीखने की क्षमता कमजोर हो जाती है ।
  3.  मोबाइल फ़ोन पर ज्यादा समय बिताने वाले बच्चों को अपनी उम्र के बाक़ी बच्चों के साथ खेलने और घुलने मिलने में परेशानी होती है और उनका स्वाभाविक सामाजिक विकास नहीं पाता । ऐसे बच्चे अकेलेपन के आदी हो जाते हैं और उन्हें आगे चल कर डिप्रेशन और स्किज़ोफ्रेनिआ (मानसिक बिमारी) जैसे गंभीर मनोविकारों का शिकार भी होना पड़ सकता है ।
  4. मोबाइल फोन बच्‍चों में मेमोरी लॉस और एल्‍जाइमर्स जैसी बीमारि‍यों की संभावना को बढ़ाता है।
  5. जिन बच्चों को उनके माता पिता मोबाइल फ़ोन थमा कर अपने कामों के लिए वक़्त निकालते हैं ऐसे बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं या हाइपर एक्टिव हो जाते हैं । उन्हें हर वक़्त मोबाइल फ़ोन की आदत पड़ जाती है और उन्हें मोबाइल फ़ोन नहीं मिलने पर रोना और चिल्लाना शुरू कर देते हैं । मोबाइल फ़ोन से खेलने की जिद करते हुए ऐसे बच्चे कई बार तो घर में मेहमान या रिश्तेदारों के सामने बड़ी ही शर्मनाक स्थिति भी पैदा कर देते हैं ।
  6. ज्यादा देर तक मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करने से बच्चों की आँखों पर बुरा असर पड़ता है और कम उम्र में ही चश्मा लगने की सम्भावना बढ़ जाती है ।

बच्चों को मोबाइल फ़ोन के खतरनाक रेडिएशन से बचाने के लिए क्या करें?

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  1. छोटे बच्चों को जहाँ तक संभव हो , मोबाइल इस्तेमाल न करने दें ।
  2. बच्चों को मोबाइल फ़ोन को सर के पास रख कर बात न करने दें । स्पीकर या हेडसेट का इस्तेमाल करें ।
  3. ट्रेन, बस या कार यात्रा करते समय बच्चों को मोबाइल फ़ोन बिलकुल न दें क्योंकि यात्रा के दौरान सिग्नल ढूढ़ने से मोबाइल फ़ोन का रेडिएशन बढ़ जाता है ।
  4. बच्चों को मोबाइल फ़ोन लेकर स्कूल न जाने दें ।
  5. सबसे जरुरी बात तो यह है कि बच्चों के आसपास मोबाइल फ़ोन का कम से कम इस्तेमाल करें क्योंकि बच्चे हमें देख कर ही मोबाइल फ़ोन का यूज़ करते हैं ।  

इस बात को समझना बहुत जरुरी है कि माता पिता थोड़े से समय के लिए बच्चों को मोबाइल फ़ोन से बहला कर अपना काम पूरा करने के लालच में न पड़ें बल्कि बच्चों को ऐसी एक्टिविटीज में लगाएं जिनसे उनका सम्पूर्ण मानसिक और शारीरिक विकास हो और उनके स्वाथ्य पर कोई गलत प्रभाव भी न पड़े । सबसे अच्छा उपाय तो यही है कि अपने बच्चों को उसकी उम्र के बच्चों के साथ खेलने दें या फिर हो सके तो दादा-दादी या नाना-नानी के पास छोड़ दें ताकि वे उसका बेहतर ख्याल भी रखें और उसे भरपूर प्यार भी मिल पाए ।

यदि ऐसा संभव ना हो पाएं तो नन्हें बच्चों को ऐसे खिलोने खेलने के लिए दें जिससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी बढे और उनकी सीखने की क्षमता भी बढ़े । ऐसे खिलोने उनके सम्पूर्ण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होंगे । साथ ही नन्हें बच्चों का मोबाइल के खतरनाक विकिरण से बचाव भी हो सकेगा ।

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