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मनोरंजक बच्चों की कहानी – समुन्द्र में क्यों उठतीं है लहरें

फिलीपींस में एक लोककथा प्रचलित है कि बहुत पहले सारी दुनिया में देवताओं का राज्य था। पृथ्वी लोक, समुन्द्र लोक और आकाश लोक के देवता अपने अपने लोक के पूर्ण स्वामी हुआ करते थे। आकाश लोक के राजा सूर्य देवता थे। जिनकी पुत्री ‘लूना’ यानी चंद्रिका को घुड़सवारी का बड़ा शौक था। उसके पास एक सोने का रथ था। जिसमें बैठकर वह स्वर्ग में सैर किया करती थी। एक दिन वह अपनी धुन में आकाश लोक की सैर करते करते अपने पिता के साम्राज्य के आखिरी छोर पर पहुंच गई, जहां सूर्य देवता का साम्राज्य समाप्त होता था और समुन्द्र लोक का साम्राज्य शुरू होता था।

विशाल समुन्द्र को पहली बार देखकर वह आश्चर्यचकित रह गई। उसने इतना सुंदर नजारा पहले कभी नहीं देखा था। समुन्द्र की निरंतर उठती लहरों की गर्जना उसके लिए एकदम नया अनुभव था। तभी वह अपने पास किसी की उपस्थिति से चौंक पड़ी।Manoranjak bachchon ki kahani - samundar mein kyu uthti hai lehre

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लूना के सामने एक सुंदर युवक खड़ा था। उसने लूना से पूछा, ”ओ सुंदरी, तुम कहां से आई हो?“

”मैं सूर्य देवता की पुत्री लूना हूं।“

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युवक ने झुककर उसको नमस्कार किया और बोला, ”मैं समुन्द्र देवता का पुत्र ‘मार’ हूं। हमारे साम्राज्य में तुम्हारा हार्दिक स्वागत है।“

उनमें बहुत जल्द गहरी दोस्ती हो गई। वे एक दूसरे को अपने अपने साम्राज्य के किस्से सुनाते और मिलकर आनंदित होते। धीरे धीरे वे प्रतिदिन उसी स्थान पर मिलने लगे, जहां वे पहली बार मिले थे।

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समय के साथ उनमें गहरा प्रेम हो गया। लेकिन अभी तक उनके प्रेम की जानकारी किसी को नहीं थी। एक दिन जब लूना मार से मिलकर आकाश लोक में अपने महल में पहुंची तो बहुत प्रसन्न थी। उसकी चचेरी बहन ने उसकी प्रसन्नता को कारण पूछा, ”लूना, तुम बहुत प्रसन्न दिख रही हो, क्या बात है?“ लूना पहले तो शरमा गई। फिर उसने अपनी चचेरी बहन को सब बता दिया। पर उसने यह वचत ले लिया कि वह उसके पिता को यह सब नहीं बताएगी। लेकिन चचेरी बहन बड़ी दुष्ट थी। उसने सूर्य देवता को लूना के बारे में सबकुछ बता दिया।

सूर्य देवता यह सब सुनकर क्रोधित हो गए। उनकी अपनी ही बेटी ने देवताओं के नियम को तोड़ा था। उन्होंने अपनी बेटी को बुलाकर उससे पूछा, ”मुझे पता चला है कि तुम छिप छिपकर समुन्द्र देवता के बेटे से मिलती हो।“

लूना डरकर चुपचाप खड़ी रही। उसको चुप देखकर सूर्य देवता समझ गए कि यह बात सच है। तब उन्होंने आदेश दिया कि अब से राजकुमारी लूना स्वर्ग के उपवन में अकेली रहा करेगी और सिपाही उस पर निगरानी रखेंगे। इसके साथ ही सूर्य देवता ने समुन्द्र देवता के पास एक दूत से संदेश भिजवाया कि उनके बेटे ने देवताओं के नियमों को तोड़ा है।

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संदेश मिलते ही समुन्द्र लोक के देवता ने भी मार से पूछा कि क्या यह सूर्य लोक की राजकुमारी से छिपकर मिलता रहा है? अपने पिता के सामने सच्चाई प्रकट हो जाने के कारण वह चुप रहा। मार के पिता ने देवताओं के नियमों को तोड़ने के लिए अपने पुत्र को समुन्द्र की एक गुफा में कैद करने का आदेश दे दिया।

इस प्रकार मार और लूना एक दूसरे से बिछड़कर बहुत उदास रहने लगे।

एक दिन उपवन में कोई सिपाही न दिखने पर राजकुमारी लूना उपवन से निकलकर अपने सोने के रथ में बैठकर समुन्दे लोक की ओर चल दी। समुन्द्र लोक में पहुंचकर वह उसी स्थान पर पहुंची, जहां वह मार से मिला करती थी। वह मार की प्रतीक्षा करती रही, लेकिन मार का कोई पता नहीं था। दुख से कातर होकर वह ‘मार मार’ कहकर पुकारने लगी। एकाएक मार को अपनी गुफा से समुन्द्र के पानी में लूना की परछाई दिखाई दी। उस गुफा से निकलने के लिए उसने बहुत जोर लगाया। इससे गुफा की दीवार टूट गई और समुन्द्र में ऊंची लहरें उठने लगीं।

लूना ने बहुत देर तक मार की प्रतीक्षा की, लेकिन उसे मार दिखाई नहीं दिया। आखिर वह उदास मन से अपने घर लौट आई। इसके बाद जब भी उसको मार की याद आती, वह अपने सोने के रथ में बैठकर समुन्द्र लोक में उसी स्थान पर पहुंचती, जहां वह मार से मिली थी।

मार पानी में उसकी परछाईं देखकर गुफा में संघर्ष करता और समुन्द्र में ऊंची लहरें उठने लगतीं। आज भी फिलीपींस में जब मछुआरे पूर्णिमा के दिन ज्वार आता हुआ देखते हैं, तो कहते हैं, लूना से मिलने के लिए मार अपनी गुफा से निकलने की कोशिश कर रहा है।

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