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माँ तुम बहुत टोकती हो

माँ तुम बहुत टोकती हो

कुछ भी करना चाहूँ मै

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मुझे हर वक्त रोकती हो

मेरी हर बात में माँ तुमको
बस कमी नजर आती है
तुम्हारी हर बात मानना
मेरी बेबसी दिखाती है
मुझे क्या करना है
हर पल मुझे बताती हो
बात बे बात तुम बस
मुझे समझाती हों
मत टोको मुझे हर बार
अब मै बड़ी हो गई हूँ
देखो नही घुटनो पर
पैरो पर खड़ी हो गई हूँ।
माँ तुम थकती नही
बस भागती रहती हो
माँ तुम सोती नहीं
हर आहट पर जागती रहती हो
माँ तुम को मैने हर पल जीते हुये देखा हो
होठों पर हँसी लेकर गम पीते हुए देखा है।
माँ मै तुम को समझ नहीं पाती हूँ
जितना समझना चाहती हूँ
उतना उलझ जाती हूँ।
माँ आज मै खुद एक माँ हूँ
अपने बच्चो की दुनियाँ
उनका जहाँ हूँ।
माँ अब तुम्हारी हर बात समझ आती है
ये रोकना टोकना माँ की चिन्ता दिखाती है।
यूँ जागना रात भर बेवजह नही था तुम्हारा
माँ तुम जागती थी ताकि सो सके ये घर सारा
माँ मै भी तुम जैसा बनना चाहती हूँ
माँ ‘माँ’होती है मै सबको बताती हूँ।

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