Lakshni Ne Indra Ko Bataya Ye Rahasya Jismen Chupa Hai Amiri-Garibi Ka Raaz
देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। देवी लक्ष्मी की पूजा-आराधना तो हर कोई करता है, हर कोई धनवान भी होना चाहता है। लेकिन हर किसी के साथ ऐसा हो जरूरी नहीं होता।
आज हम आपको लक्ष्मी जी और देवराज इन्द्र के बीच हुए उस संवाद के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें धनलक्ष्मी ने अपने भक्तों पर कृपा का कारण बताया था।
महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूजा-पाठ से इतर भी बहुत सी बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। आज भी वे परिवार जो लक्ष्मी जी द्वारा बताई गई बातों का ध्यान रखते हैं उनके घर में धन-समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती।
जबकि जिन घरों में इन बातों की अनदेखी कर दी जाती है उन्हें दरिद्रता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं क्या हैं वो मुख्य बातें:
यह प्रसंग महाभारत से जुड़ा है जब देवी लक्ष्मी, असुरों के साथ को छोड़कर देवराज इन्द्र के पास निवास करने के लिए आ गई थीं। जब देवराज इन्द्र ने उनके ऐसे करने का कारण जानना चाहा तब लक्ष्मी जी ने उन्हें असुरों के उत्थान अर्थात देवताओं से अधिक ताकतवर होने और फिर पतन होने के पीछे के कारणों को बताया था।
देवी लक्ष्मी ने बताया कि वे उन्हीं लोगों के घरों में रह सकती हैं जहां कुछ नियमों का पालन किया जाता हो। जैसे, दिन के समय ना सोना, रात को सोते समय दही या सत्तू का सेवन ना करना, सूर्योद्य से पहले ही बिस्तर त्याग देना, व्रत-उपवास करना।
इसके अलावा सुबह उठकर घी या अन्य पवित्र वस्तुओं का दर्शन करना भी ऐसा प्रमुख कारण है जो धन की देवी लक्ष्मी को स्थायी तौर पर रहने के लिए प्रेरित करता है।
लक्ष्मी जी ने देवराज इन्द्र से कहा “पूर्व काल में दानव भी इन सभी नियमों का पालन करते थे, लेकिन अब वे अधर्म के मार्ग पर चल पड़े हैं। यही वजह है कि मैं पहले उनके पास रहती थी और अब मुझे उन्हें छोड़कर आना पड़ा।“
नियमों का पालन करने के अलावा धन लक्ष्मी ने इन्द्र को बताया “वे पुरुष जो बौद्धिक, बुद्धिमान और दानशील और सत्य बोलने वाले होते हैं, मैं उनके घरों में वास करती हूं, इसके अलावा किसी भी स्थान पर मेरा होना सही नहीं है”।
देवी लक्ष्मी ने बताया कि पहले के काल में दानव भी दानी हुआ करते थे, यज्ञ करते थे, वे भी अध्ययन में विश्वास करते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब वे पाप कर्मों में पूरी तरह लिप्त हो चुके हैं इसलिए अब मेरा उनके निवास पर रहना मुनासिब नहीं है।
देवी लक्ष्मी ने बताया कि वे सिर्फ उन्हीं लोगों पर अपनी कृपा बरसाती हैं जो युद्ध के मैदान में कायरों की तरह पीठ दिखाकर भागने की जगह शत्रुओं का बलपूर्वक सामना करते हैं।
उन्होंने बताया कि धर्म पर विश्वास करने वाले और उसी राह पर चलने वाले लोगों के घर और नगर में वे हमेशा रहती हैं।
लक्ष्मी जी ने इन्द्र देव को ये भी बताया कि जिन घरों में सासुएं पुत्रवधुओं पर हुक्म चलाती हैं, उनका अनादर करती हैं, उन्हें प्रताड़ित करती हैं, ऐसे घरों में वे निवास करना सही नहीं समझतीं।
इतना ही नहीं जिन घरों में पत्नियां, अपने पति की आज्ञा का पालन नहीं करतीं, उन घरों से भी लक्ष्मी दूर रहती हैं।
जिन घरों में खाना बनाने में साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता, मेहमानों का आदर नहीं होता, शुभचिंतकों का हित नहीं सोचा जाता ऐसे लोगों के जीवन पर भी देवी लक्ष्मी का वास नहीं होता।
उपरोक्त बातों का वाचन स्वयं देवी लक्ष्मी ने किया है, जाहिर है उनके आदेशों का पालन कर हम उनकी कृपा के भागीदार बन सकते हैं।