Kaun Se Upaye Bacha Sakte Hain Aapko Chandra-Grahan Ke Dushprabhavon Se?
सामान्य मानसिकता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ग्रहण का असर केवल गर्भवती स्त्री और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर ही पड़ता है। जबकि यह कतई सही नहीं है।
ज्योतिष के अंतर्गत ग्रहण को सही नहीं माना गया है। इसलिए निश्चित तौर पर मनुष्यों पर इसका कुछ ना कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है।
ग्रहण के दौरान घर के वास्तु को बचाना बहुत जरूरी होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रहण के समय पृथ्वी पर नकारात्मक किरणें अपना प्रभाव छोड़ने लगती हैं, ये किरण रश्मियां हमारे या हमारे आशियाने के ऊपर प्रभावी ना छोड़ें इसके लिए कुछ उपाय करना आवश्यक है।
इसलिए हमारे शास्त्रों में कुछ ऐसे उपायों का वर्णन किया गया है, जिन्हें अपनाकर हम ग्रहण के दुष्प्रभावों से खुद को बचा सकते हैं।
घर के मुख्य द्वार को ग्रहण के प्रभाव से बचाने के लिए मेन गेट पर ॐ या स्वास्तिक का चिह्न अंकित करें। अगर ऐसा संभव ना हो तो मुख्य द्वार के पास गेरु के टुकड़े बिखेर दें, यह ग्रहण की नकारात्मक किरणों को घर के भीतर प्रवेश करने से रोकता है।
प्राय: आपने देखा होगा कि हिन्दू परिवारों में ग्रहण के समय, भोज्य पदार्थों को बचाने के लिए उनमें तुलसी के पत्तों को रखा जाता है। यह एक अच्छा तरीका है खाद्य पदार्थ को ग्रहण के प्रभाव से बचाने का।
इसके अलावा आप रसोईघर के मुख्य द्वार पर गोबर लगा देना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से ग्रहण की कोई भी नकारात्मक किरण आपके रसोईघर में प्रवेश नहीं कर पाती, जिसकी वजह से खाना दूषित होने से बच जाता है।
गर्भवती स्त्री को ग्रहण के समय मुख्य तौर पर अपनी सुरक्षा करनी चाहिए। उन्हें घर की दहलीज कदापि पार नहीं करनी चाहिए।
परिवारवालों को चाहिए कि वे गर्भवती स्त्री के कमरे में गोबर से ही स्वास्तिक का निशान बना दें। यह उन्हें किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखेगा।
जैसे ही ग्रहण का समय समाप्त हो, किसी गरीब या फिर ब्राह्मण को अन्न का दान अवश्य करें। ऐसा करने से ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है।
इन सबके बावजूद किसी भी तरह के वास्तुदोष निवारण के लिए ग्रहण के सूतक काल से शुरू कर के 3 बजे से शुरू करके रात्रि 3.30 तक उपयोक्त होता है।
इस समय जातक को वास्तु देवता के मंत्र “ॐ वास्तु पुरुषाय नम:” का जाप करते रहना चाहिए। ऐसा करने से घर के वास्तुदोष में तत्काल कमी आती है।