Garbhvati mahilaon ko kin baton ka dhyan rakhna chahiye? (Pregnancy Tips in Hindi)
मां बनना हर औरत के लिए जिंदगी का सबसे खूबसूरत एहसास है। ये पल सिर्फ होने वाली मां के लिए नहीं, बल्कि परिवार के हर सदस्य के लिए खुशियों से भरा होता है। इसीलिए गर्भवती महिला का हर तरह से बहुत ध्यान रखा जाता है। सभी चाहते हैं कि होने वाली संतान संस्कारवान और स्वस्थ हो। मान्यता है कि गर्भवती स्त्री जिस तरह की तस्वीर अपने मन में खींच लेती है, बिल्कुल वैसी ही संतान उसे होती है।
माता के संस्कारों व उसकी सोच का गहरा प्रभाव शिशु पर पड़ता है। इसीलिए वैदिक काल से ही हमारे समाज में गर्भाधान संस्कार को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। महाभारत में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। जिसके अनुसार अभिमन्यु ने अपनी मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ना सीख लिया था। इसीलिए हमारे शास्त्रों में वेदों के अनुसार भी यह माना जाता है कि मां के मानसिक विचारों का संतान पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
विज्ञान के अनुसार भी उन महिलाओं के बच्चे अधिक स्वस्थ्य और संस्कारी होते हैं जिनके उन दिनों विचार सकारात्मक होते हैं। मतलब गर्भवती महिलाओं को परिवार में सकारात्मक वातावरण मिले, इस बात के विशेष ध्यान घर के हर सदस्य को रखना चाहिए। ऐसे में यदि गर्भवती महिला जिस तरह का व्यवहार व आचार रखती है। बच्चे का आचार व्यवहार भी पैदा होने के बाद लगभग वैसा ही होता है।
वेदों और धर्मग्रंथों में भी यह माना गया है कि गर्भवती महिला जिस बात की अनिच्छा रखती है। उसकी संतान भी उस बात में अनिच्छा रखती है। वह जिस बात की इच्छा रखती है वही संतान की इच्छा बन जाती है। इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा किसी सेलीब्रिटी की तरह बने तो आपको कुछ नहीं करना है सिर्फ गर्भवती महिला के लिए ऐसे विचार व इच्छा जरूरी है कि उनका बच्चा उस सेलीब्रिटी की तरह बने।
गर्भवती महिला नियमित चेकअप को न भूलें
यदि आप और आपका बच्चा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं और आपकी प्रेग्नेंसी में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है, तब भी 28 हफ्तों तक हर 4 सप्ताह के अंतराल में चेकअप करवाएं। उसके बाद 36वें हफ्ते तक हर दो सप्ताह में एक बार चेकअप जरूर करवाएं। जब डिलीवरी का समय नजदीक आ जाए तो हर सप्ताह जांच की जानी चाहिए। चेकअप के दौरान डॉक्टर आपका वजन, ब्लड प्रेशर और बच्चे का विकास आदि जांचता है।
गर्भवती महिला खानपान का रखें खास ध्यान
गर्भावस्था के दौरान भरपूर पोषण युक्त डाइट के द्वारा आप अपनी और अपने होने वाले बच्चे की तंदुरुस्ती सुनिश्चित कर सकती हैं। गर्भवती महिला का भोजन प्रोटीन, विटामिन व मिनरल युक्त होना चाहिए। उन्हें ऐसे फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए, जिसमें काफी मात्र में फाइबर हो जैसे मटर, फलियां, पालक, केला, नाशपाती आदि। यदि आप नॉनवेज खाने की शौकीन हैं तो सी-फूड एक बेहतर विकल्प है। गर्भावस्था के दौरान कैफीन युक्त पेय पदार्थ जैसे चाय व कॉफी पीने से बचना चाहिए।
गर्भवती महिला को वैक्सीन की आवश्यकता
ज्यादातर महिलाएं जो 25 वर्ष से अधिक उम्र में गर्भधारण करती है, उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता व हॉर्मोनल संतुलन में कमी हो जाती है, ऐसे में उन्हें संभावित रोग व खतरों से बचाने के लिए कुछ वैक्सीन की जरूरत होती है। गर्भधारण करने के बाद नियमित तौर से डॉक्टर की देखरेख में रहें, क्योंकि इस स्थिति में कोई भी लापरवाही बच्चाे व मां दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। रुबेला, हेपेटाइटिस, इन्फ्लुएंजा एवं टिटनेस ऐसी वैक्सीन हैं, जो हर गर्भवती महिला को लेनी जरूरी होती हैं। डॉक्टरी देखरेख में रहकर ही आप ये वैक्सीन समय पर ले सकती हैं।
गर्भवती महिला को शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी
गर्भावस्था के दौरान शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी होता है़, इसलिए दिनभर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पिएं। साथ ही घर में फलों का जूस बना कर भी नियमित अंतराल पर पीती रहें। बाहर का जूस या पानी आदि न पिएं। इंफेक्शन से दूर रहें।
गर्भवती महिला पूरी नींद लें व आराम करें
गर्भावस्था में तनाव या ज्यादा थकान बच्चे व मां दोनों के लिए नुकसानदेह है, इसलिए काम के दौरान हर घंटे में ब्रेक लेती रहें। लंबे समय तक बैठकर काम न करें। काम करते वक्त पीठ के पीछे कुशन का सहारा लेकर बैठें। अपनी टांगों को क्रॉस करके न बैठें, क्योंकि ऐसा करने से खून का बहाव अवरुद्ध होता है। रात में सोने से पहले गर्म दूध में शहद डालकर पिएं, इससे आपको अच्छी नींद आएगी। पूरे आठ घंटे की नींद लेने से बच्चा तक रक्त का संचार सही प्रकार से होता है और बच्चा स्वस्थ पैदा होता है।
गर्भवती महिला जीवनशैली में सुधार लाएं
गर्भावस्था के दौरान समय पर खाना, सोना, आराम करना, तनाव से बचना बेहद आवश्यक होता है। सुबह-शाम ताजी हवा में टहलने जाएं। सर्दियां हो तो धूप में बैठें क्योंकि धूप से विटामिन डी मिलता है जो गर्भवती महिला के लिए बेहद लाभप्रद होता है। अगर गर्मी का मौसम हो तो धूप से बचें और शरीर को ठंडा व उसकी नमी को बरकरार रखें। यदि आप सिगरेट या शराब पीने की आदी हैं तो इससे परहेज करें। गर्भावस्था में धूम्रपान करने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है या फिर समय पूर्व प्रसव, बच्चे का कम वजन या फिर गर्भ में पल रहे बच्चे की आकस्मिक मौत आदि होने की आशंका भी होती है। यदि आप खांसी या कोई अन्य पीने की दवा ले रही हैं तो भी डॉक्टर की सलाह जरूर लें क्योंकि इनमें एल्कोहल की कुछ मात्र होती है। ध्यान रखें कि गर्भावस्था में आप जो भी खाती हैं वह फूड पाइप के द्वारा सीधा बच्चे तक पहुंचता है। ऐसे में यदि आप सिगरेट या शराब पीती हैं तो हानिकारक रसायन भी बच्चे तक पहुंच कर उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
गर्भवती महिला इन्हें खाने से बचें
यूं तो गर्भावस्था में सभी ताजे फल व सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मां और शिशु के शरीर को पोषक तत्व देने के लिए डाइट की भरपाई करने में फलों का बहुत महत्व है। पर कुछ फल ऐसे भी हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान खाने से मां-बच्चे को फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।
पपीता: पपीता के सेवन से गर्भपात की आशंका होती है। खासतौर पर कच्चे पपीते में लैटेक्स की अधिकता होती है, जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, इसमें विटामिन सी की अधिकता होती है, जिससे गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को एसिडिटी या कब्ज की समस्या हो सकती है।
अनन्नास: गर्भावस्था के दौरान अनन्नास को डाइट में शामिल करना गर्भपात की एक बड़ी वजह हो सकता है। इसमें ब्रोमेलियन अधिक मात्र में होता है, जिसके कारण गर्भ नहीं ठहर पाता। खासतौर पर गर्भावस्था के शुरुआती दौर में इसे खाना नुकसानदायक हो सकता है।
आड़ू: यह फल स्वाद में जितना अच्छा होता है, उतना ही गर्म भी होता है। यह फल गर्भवती महिलाओं में रक्तस्नव और गर्भपात की वजह हो सकता है, इसलिए इसे गर्भावस्था के दौरान न खाना ही समझदारी है।
बिना धोए फल: वैसे तो बिना धोए फल खाना नहीं चाहिए, लेकिन गर्भावस्था के दौरान ये इतने खतरनाक हो सकते हैं कि गर्भपात की वजह बन जाएं। कई बार फलों पर लगी मिट्टी में टोक्सोप्लास्मोसिस नाम का बैक्टीरिया होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए जानलेवा हो सकता है।
गर्भवती महिला को बच्चा देगा लंबी उम्र का उपहार
ऐसी महिलाएं जो देर से मां बनने का निर्णय लेती हैं, उनके लिए एक अच्छी खबर है। शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसी महिलाओं की औसत आयु ज्यादा होती है। 462 महिलाओं पर किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। शोध के मुताबिक जिन महिलाओं के अंतिम बच्चे का जन्म 33 साल की आयु के बाद हुआ है, उनकी औसत आयु 29 साल के बाद अंतिम बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है। यह अध्ययन मेनोपॉज नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
मोटापे की शिकार गर्भवती महिलाएं देती हैं समय से पहले बच्चे को जन्म
गर्भधारण करने से पहले ही वजन नियंत्रित करना होने वाले बच्चे की जिंदगी के लिए जरूरी है। एक नए शोध के मुताबिक जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है, समय से पहले उनके बच्चे के जन्म की आशंका भी ज्यादा होती है। यह निष्कर्ष कैलिफोर्निया, यूएस के लगभग दस लाख बच्चों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। यह शोध पीडियाट्रिक एंड पेरिनैटल एपिडियोमेलॉजी नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।