Kaifi Azmi shayari – Somanth
बुतशिकन कोई कहीं से भी ना आने पाये
हमने कुछ बुत अभी सीने में सजा रक्खे हैं
अपनी यादों में बसा रक्खे हैं
दिल पे यह सोच के पथराव करो दीवानो
कि जहाँ हमने सनम अपने छिपा रक्खे हैं
वहीं गज़नी के खुदा रक्खे हैं
बुत जो टूटे तो किसी तरह बना लेंगे उन्हें
टुकड़े टुकड़े सही दामन में उठा लेंगे उन्हें
फिर से उजड़े हुये सीने में सजा लेंगे उन्हें
गर खुदा टूटेगा हम तो न बना पायेंगे
उस के बिखरे हुये टुकड़े न उठा पायेंगे
तुम उठा लो तो उठा लो शायद
तुम बना लो तो बना लो शायद
तुम बनाओ तो खुदा जाने बनाओ क्या
अपने जैसा ही बनाया तो कयामत होगी
प्यार होगा न ज़माने में मुहब्बत होगी
दुश्मनी होगी अदावत होगी
हम से उस की न इबादत होगी
वह्शते-बुत शिकनी देख के हैरान हूँ मैं
बुत-परस्ती मिरा शेवा है कि इंसान हूँ मैं
इक न इक बुत तो हर इक दिल में छिपा होता है
उस के सौ नामों में इक नाम खुदा होता है
कैफी आज़मी के ये बेहतरीन 25 शेर आपके दिल को गहराइयों तक छू लेंगे
Kaifi Azmi Poetry – Somanth
butashikan koii kahiin se bhii naa aane paaye
hamane kuchh but abhii siine men sajaa rakkhe hain
apanii yaadon men basaa rakkhe hain
dil pe yah soch ke patharaav karo diivaano
ki jahaan hamane sanam apane chhipaa rakkhe hain
vahiin gajnii ke khudaa rakkhe hain
but jo toote to kisii tarah banaa lenge unhen
tukade tukade sahii daaman men uthaa lenge unhen
fir se ujade huye siine men sajaa lenge unhen
gar khudaa tootegaa ham to n banaa paayenge
us ke bikhare huye tukade n uthaa paayenge
tum uthaa lo to uthaa lo shaayad
tum banaa lo to banaa lo shaayad
tum banaao to khudaa jaane banaao kyaa
apane jaisaa hii banaayaa to kayaamat hogii
pyaar hogaa n jmaane men muhabbat hogii
dushmanii hogii adaavat hogii
ham se us kii n ibaadat hogii
vahshate-but shikanii dekh ke hairaan hoon main
but-parastii miraa shevaa hai ki insaan hoon main
ik n ik but to har ik dil men chhipaa hotaa hai
us ke sau naamon men ik naam khudaa hotaa hai
Kaifi Azmi– Somanth (in Urdu)
بُتَشِکَنَ کوئی کَہِیں سے بھِی نا آنے پایے
ہَمَنے کُچھَ بُتَ اَبھِی سِینے میں سَجا رَکّھے ہَیں
اَپَنِی یادوں میں بَسا رَکّھے ہَیں
دِلَ پے یَہَ سوچَ کے پَتھَراوَ کَرو دِیوانو
کِ جَہاں ہَمَنے سَنَمَ اَپَنے چھِپا رَکّھے ہَیں
وَہِیں گَزَنِی کے کھُدا رَکّھے ہَیں
بُتَ جو ٹُوٹے تو کِسِی تَرَہَ بَنا لیںگے اُنْہیں
ٹُکَڑے ٹُکَڑے سَہِی دامَنَ میں اُٹھا لیںگے اُنْہیں
پھِرَ سے اُجَڑے ہُیے سِینے میں سَجا لیںگے اُنْہیں
گَرَ کھُدا ٹُوٹیگا ہَمَ تو نَ بَنا پاییںگے
اُسَ کے بِکھَرے ہُیے ٹُکَڑے نَ اُٹھا پاییںگے
تُمَ اُٹھا لو تو اُٹھا لو شایَدَ
تُمَ بَنا لو تو بَنا لو شایَدَ
تُمَ بَناءاو تو کھُدا جانے بَناءاو کْیا
اَپَنے جَیسا ہِی بَنایا تو کَیامَتَ ہوگِی
پْیارَ ہوگا نَ زَمانے میں مُہَبَّتَ ہوگِی
دُشْمَنِی ہوگِی اَداوَتَ ہوگِی
ہَمَ سے اُسَ کِی نَ اِبادَتَ ہوگِی
وَہْشَتے-بُتَ شِکَنِی دیکھَ کے ہَیرانَ ہُوں مَیں
بُتَ-پَرَسْتِی مِرا شیوا ہَے کِ اِںسانَ ہُوں مَیں
اِکَ نَ اِکَ بُتَ تو ہَرَ اِکَ دِلَ میں چھِپا ہوتا ہَے
اُسَ کے سَو ناموں میں اِکَ نامَ کھُدا ہوتا ہَے
Kaifi Azmi– Somanth (in Punjabi)
ਬੁਤਸ਼ਿਕਨ ਕੋਈ ਕਹੀੰ ਸੇ ਭੀ ਨਾ ਆਨੇ ਪਾਯੇ
ਹਮਨੇ ਕੁਛ ਬੁਤ ਅਭੀ ਸੀਨੇ ਮੇੰ ਸਜਾ ਰਕ੍ਖੇ ਹੈੰ
ਅਪਨੀ ਯਾਦੋੰ ਮੇੰ ਬਸਾ ਰਕ੍ਖੇ ਹੈੰ
ਦਿਲ ਪੇ ਯਹ ਸੋਚ ਕੇ ਪਥਰਾਵ ਕਰੋ ਦੀਵਾਨੋ
ਕਿ ਜਹਾ ਹਮਨੇ ਸਨਮ ਅਪਨੇ ਛਿਪਾ ਰਕ੍ਖੇ ਹੈੰ
ਵਹੀੰ ਗਜਨੀ ਕੇ ਖੁਦਾ ਰਕ੍ਖੇ ਹੈੰ
ਬੁਤ ਜੋ ਟੂਟੇ ਤੋ ਕਿਸੀ ਤਰਹ ਬਨਾ ਲੇੰਗੇ ਉਨ੍ਹੇੰ
ਟੁਕਡੇ ਟੁਕਡੇ ਸਹੀ ਦਾਮਨ ਮੇੰ ਉਠਾ ਲੇੰਗੇ ਉਨ੍ਹੇੰ
ਫਿਰ ਸੇ ਉਜਡੇ ਹੁਯੇ ਸੀਨੇ ਮੇੰ ਸਜਾ ਲੇੰਗੇ ਉਨ੍ਹੇੰ
ਗਰ ਖੁਦਾ ਟੂਟੇਗਾ ਹਮ ਤੋ ਨ ਬਨਾ ਪਾਯੇੰਗੇ
ਉਸ ਕੇ ਬਿਖਰੇ ਹੁਯੇ ਟੁਕਡੇ ਨ ਉਠਾ ਪਾਯੇੰਗੇ
ਤੁਮ ਉਠਾ ਲੋ ਤੋ ਉਠਾ ਲੋ ਸ਼ਾਯਦ
ਤੁਮ ਬਨਾ ਲੋ ਤੋ ਬਨਾ ਲੋ ਸ਼ਾਯਦ
ਤੁਮ ਬਨਾਓ ਤੋ ਖੁਦਾ ਜਾਨੇ ਬਨਾਓ ਕ੍ਯਾ
ਅਪਨੇ ਜੈਸਾ ਹੀ ਬਨਾਯਾ ਤੋ ਕਯਾਮਤ ਹੋਗੀ
ਪ੍ਯਾਰ ਹੋਗਾ ਨ ਜਮਾਨੇ ਮੇੰ ਮੁਹਬ੍ਬਤ ਹੋਗੀ
ਦੁਸ਼੍ਮਨੀ ਹੋਗੀ ਅਦਾਵਤ ਹੋਗੀ
ਹਮ ਸੇ ਉਸ ਕੀ ਨ ਇਬਾਦਤ ਹੋਗੀ
ਵਹ੍ਸ਼ਤੇ-ਬੁਤ ਸ਼ਿਕਨੀ ਦੇਖ ਕੇ ਹੈਰਾਨ ਹੂ ਮੈੰ
ਬੁਤ-ਪਰਸ੍ਤੀ ਮਿਰਾ ਸ਼ੇਵਾ ਹੈ ਕਿ ਇੰਸਾਨ ਹੂ ਮੈੰ
ਇਕ ਨ ਇਕ ਬੁਤ ਤੋ ਹਰ ਇਕ ਦਿਲ ਮੇੰ ਛਿਪਾ ਹੋਤਾ ਹੈ
ਉਸ ਕੇ ਸੌ ਨਾਮੋੰ ਮੇੰ ਇਕ ਨਾਮ ਖੁਦਾ ਹੋਤਾ ਹੈ
kaifi azmi poems in hindi
kaifi azmi poetry in urdu
kaifi azmi poems in english
kaifi azmi ghazal
kaifi azmi nazm
kaifi azmi sher
kaifi azmi ki shayari
shayari of kaifi azmi in hindi
kaifi azmi two line shayari
kaifi azmi best shayari
kaifi azmi shayari in urdu
kaifi azmi hindi shayari
shayari by kaifi azmi
shayari by kaifi azmi in hindi
kaifi azmi ki shayari in hindi