दिल्ली/हरयाणा/उत्तर प्रदेश: हरयाणा में जाट आरक्षण आंदोलन हर बीतते पल के साथ उग्र और फैलता जा रहा है . भाजपा की खट्टर सरकार की समझ में नहीं आ रहा है कि इस आंदोलन से कैसे निबटा जाये. कैप्टेन अभिमन्यु को मुख्यमंत्री पद न देकर भाजपा सरकार में उनका कद पहले ही काम कर दिया गया था. ऊपर से राजकुमार सैनी जैसे नेताओं के द्वारा जाट-बहुल हरयाणा में जाटों का निरादर और अपमान करवाये जाने की नीति भाजपा के मुख्यमंत्री खट्टर को उलटी पद गयी . देखते देखते शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा जाट आरक्षण आंदोलन हिंसक रूप ले उठा और राज्य सरकार समपर्पण की स्थिति में नजर आ रही है. हालात ये हैं कि सेना की २३ टुकड़ियां बुला कर हालत काबू में करने की कोशिश की जा रही है किन्तु राज्य की लॉ एंड आर्डर स्थिति में कुछ खास सुधार होता नजर नहीं आ रहा .
“हरियाणा की भाजपा सरकार की मुसीबत यह है कि अगर उसने जाटों पर सख्ती की तो इसका असर उत्तर प्रदेश में होगा जहां जाटों के समर्थन के बूते पार्टी अगले साल सत्ता में आने का ख्वाब देख रही है।”
उत्तर प्रदेश में 2015 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के 80 में से 73 सीटें जीत कर लोकसभा में बहुमत से आने में जाटों के समर्थन का बड़ा योगदान था. बहुत से लोगों का तो यह भी मानना है कि अजीत सिंह के नेतृत्व से निराश जाट समुदाय ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में एकतरफा वोटिंग कर भाजपा को अपने दम तक सत्ता का स्वाद चखाया जो आडवाणी और अटल बिहारी जैसे नेता भी नहीं कर पाये.
जाट समुदाय का समर्थन हरियाणा विधानसभा चुनाव के समय भी भाजपा को मिला जिसके कारण भाजपा अपने इतिहास में पहली बार इस राज्य में बहुमत हासिल कर सरकार बना पाई। जाटों को उम्मीद थी कि आरक्षण की उनकी मांग का समर्थन करेगी भाजपा सरकार किन्तु पिछले कुछ समय से भाजपा सरकार के रुख से जाट निराश हो चुके थे.
हरियाणा की सड़कों पर फैली जाट आंदोलन की आग इसी से फैली है। भाजपा ने जाटों को ओबीसी कोटे में आरक्षण देने का वादा किया था मगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कांग्रेस की पूर्ववर्ती केंद्र सरकार द्वारा जाटों को दिए गए आरक्षण को रद्द करने के फैसले ने पार्टी को इस मसले पर संभलकर कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
हरियाणा की भाजपा सरकार की मुसीबत यह है कि अगर उसने जाटों पर सख्ती की तो इसका असर उत्तर प्रदेश में होगा जहां जाटों के समर्थन के बूते पार्टी अगले साल सत्ता में आने का ख्वाब देख रही है। ताजा हालात ये हैं कि जाट आरक्षण की मांग को लेकर पूरे हरयाणा हिंसा की घटनाएं और आगजनी हुई हैं। अभी तक 10 आंदोलनकारियों की जान पुलिस फायरिंग में जा चुकी है. स्थिति को काबू में करने के लिए सेना ने तनावग्रस्त क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किया हिंसा करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं।
इसके बावजूद शनिवार की सुबह तक जाट रेल एवं सड़क मार्गों पर जमे हैं और उनके प्रदर्शन के कारण जनजीवन बाधित है। रोहतक, जींद, भिवानी और राज्य के कई अन्य हिस्सों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। सरकार ने राज्य के नौ जिलों में सेना को उतारा है। भिवानी और रोहतक जिलों में कर्फ्यू लगाने के साथ ही देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं।
इस बीच खबर है कि जाट आरक्षण आंदोलन कारियों ने मुनक नहर से दिल्ली को पानी की आपूर्ति बंद कर दी है. जिसके कारण दिल्ली में पानी की घोर कमी हो गई है।
हरयाणा में राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के आवास एवं कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी है। इसके अलावा रोहतक, झज्जर, हांसी और कई स्थानों पर निजी संपति को नुकसान पहुंचाया गया। पूरे राज्य में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और सभी जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी हैं ताकि अफवाहों पर अंकुश लगाया जा सके।
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दिल्ली-अंबाला, दिल्ली-अमृतसर तथा और कई मार्गों पर रेल सेवा गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। अभी तक 800 से ज्यादा ट्रेनें रद्द की जा चुकी हैं और रेलवे का सैकड़ों करोड़ का नुकसान हो चूका है.