Ishwar se dhokha dadi nani ki kahani
एक बार एक चालाक आदमी भूख से बेहाल इधर-उधर भोजन की तलाश में घूम रहा था। अंत में जब उसे भोजन प्राप्त नहीं हुआ तो निराश होकर ईश्वर के सामने घुटने टेक दिए- ”हे ईश्वर, मुझ पर दया करो। अगर तुम मुझे एक सौ खजूर दोग तो मैं आधे तुम्हारी सेवा में अर्पित कर दूंगा।“
Advertisement
जब उसने नेत्र खोले तो सचमुच उसके आगे खजूरों का ढेर लगा हुआ था। वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ और खजूरों की गिनती करने लगा। पूरे पचास थे। उसने सभी खजूर पेट भर खा लिए और बोला- ”हे ईश्वर! मुझे नहीं मालूम था कि तुमने अपने हिस्से के खजूर पहले ही रख लिए हैं। तुम तो हिसाब-किताब में बड़े पक्के हो।“
इतना कहकर वह चालाक आदमी वहां से चलता बना।
Advertisement
निष्कर्ष- चालाक व्यक्ति अपने तर्क से ईश्वर को भी धोखा दे देता है।
Advertisement