नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव राजेन्द्र कुमार के दफ्तर में सीबीआई के छापे के दौरान जब्त किये गए कागजातों के मामले में कोर्ट गई आम आदमी पार्टी को हाई कोर्ट से करारा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट सीबीआई (CBI) के छापे के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज लौटाए जाने के निचली अदालत के फैसले को गलत ठहराते हुए रद्द कर दिया और कहा कि जांच एजेंसी दस्तावेज लौटाए जाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता इससे सीबीआई की जांच प्रभावित होने की सम्भावना के एजेंसी के दावे को भी हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। निचली अदालत ने सीबीआई को दिए आदेश में कहा था कि छापे के दौरान जब्त किए गए सरकारी दस्तावेज वह दिल्ली सरकार को लौटा दे क्योंकि इनकी वजह से सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है।
निचली अदालत के इस फैसले को आम आदमी पार्टी ने सीबीआई के खिलाफ अपनी जीत बताते हुए खूब प्रचारित किया था। परन्तु सीबीआई ने निचली अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक मामले में 15 दिसंबर 2015 को कुमार के दफ्तर में छापा मारा था और उसी दौरान ये दस्तावेज जब्त किए थे। न्यायमूर्ति पीएस तेजी की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि इस मामले में निचली अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला सुनाया है और इस फैसले को निरस्त किया जाता है।
पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने हाई कोर्ट में अपनी दलील में कहा था कि जो दस्तावेज उसने जब्त किए हैं उससे दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार का कामकाज किसी तरह से प्रभावित नहीं हो रहा है। साथ ही उसने ये भी कहा कि इन दस्तावेजों की फोटोकॉपी पहले ही दिल्ली सरकार को दी जा चुकी है। सीबीआई की ओर से कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई के पास जो दस्तावेज हैं उससे दिल्ली सरकार के कामकाज पर कोई असर नहीं पडऩे वाला है, साथ ही निचली अदालत के इस कथन, कि जांच में इन दस्तावेज का कोई काम नहीं है, से जांच एजेंसी का मनोबल गिरा है।
ज्ञात हो कि दिल्ली सरकार ने सीबीआई के इरादों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जांच एजेंसी ने कुमार के कार्यालय से जो दस्तावेज उठाए हैं उनका राजेंद्र कुमार के खिलाफ चल रहे मामले की जांच से कोई लेना देना नहीं है और इन कागजात की वजह से सरकारी काम काज प्रभावित हो रहा है।
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इस मामले का राजनीतिक पहलू यह है कि सीबीआई केंद्र सरकार के तहत काम करने वाली एजेंसी है और अरविन्द केजरीवाल के दफ्तर में छापा मारने पर आम आदमी पार्टी ने केंद्र की भाजपा सरकार और नरेंद्र मोदी पर सीबीआई का गलत राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। इस विवाद पर मीडिया में काफी हो-हल्ला हुआ था।