Advertisement

किसान का छिपा हुआ धन – शिक्षाप्रद कहानी

एक किसान ने जीवन भर घोर परिश्रम किया तथा अपार धन कमाया। उसके चार पुत्र थे, मगर चारों ही निकम्मे और कामचोर थे। किसान चाहता था कि उसके पुत्र भी उसके परिश्रमी जीवन को अनुसरण करें। मगर किसान के समझाने का उन पर कोई असर नहीं होता था। इस कारण मन-ही-मन किसान बेहद दुखी रहता था। जब वह बहुत बूढ़ा हो गया और उसे लगने लगा कि अब वह कुछ दिनों का ही मेहमान है, तो एक दिन उसने अपने चारों बेटों को बुलाया और कहा, ‘सुनो मेरे बेटो! मेरी जीवन लीला जल्दी ही समाप्त होने वाली है। मगर मरने से पहले मैं तुम्हें एक रहस्य की बात बताना चाहता हूं। हमारे खेतों में अपार धन गड़ा हुआ है। तुम सब मेरी मृत्यु के बाद उस खेत को खूब गहरा खोदना, उसके बाद तुम्हें वहां से बहुत सा धन प्राप्त होगा।’

किसान का छिपा हुआ धन - शिक्षाप्रद कहानी

Advertisement

यह सुनकर किसान के बेटे बेहद प्रसन्न हुए कि बाप के मरने के बाद भी कुछ नहीं करना होगा और बाकी की जिन्दगी मजे से काटेंगे, मगर दिखावे के लिए वे रोने-गिड़गिड़ाने लगे।

कुछ दिनों पश्चात किसान की मृत्यु हो गई। पिता के मरते ही उसके बेटों ने तुरत-फुरत उसका अंतिम संस्कार किया और दूसरे दिन ही कुदाल और फावड़े लेकर खेत खोदने में जुट गए। परंतु कई दिनों तक परिश्रम करने के बाद भी उन्हें गड़ा हुआ धन प्राप्त नहीं हुआ। अन्ततः सभी भाई निराश हो गए। उन्हें अपने बाप के झूठ पर गुस्सा भी बहुत आया। चारों ने जी-भर कर उसे कोसा, मगर अब किया क्या जाए? अब चारों ने सलाह की कि जब खेत खुद ही गया है तो क्यों न इसे जोत दिया जाए। चारों ने खेत को जोतकर उसमें गेहूं बो दिए। खेत की गहरी खुदाई हुई थी, इसलिए फसल बहुत अच्छी हुई तथा किसान के बेटों को आशा से अधिक धन प्राप्त हुआ। अब किसान के पुत्रों को इस बात का एहसास हुआ कि उनके पिता के यह कहने का कि खेतों में धन गड़ा हुआ है, क्या अर्थ था।

Advertisement

उन्हें बड़ा पश्चाताप हुआ कि उन्होंने अपने पिता को बुरा-भला कहा। सच तो यह था कि वे हमें परिश्रमी बनाना चाहते थे। उसी दिन चारों भाइयों ने परिश्रम करने का संकल्प लिया, क्योंकि परिश्रम से जो धन उन्हें प्राप्त हुआ था, उससे उन्हें अपार ख़ुशी हो रही थी।

शिक्षा –  आलस्य व्यक्ति का निकम्मा बना देता है।

Advertisement
Advertisement