सन 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर से चार सप्ताह के लिए टाल दी गई . ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकि मामले जुड़े पक्षों ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए और अधिक समय की मांग की थी . पिछले 23 साल से भी ज्यादा समय से बाबरी मस्जिद ध्वंस का यह मामला देश की राजनीति का केंद्रबिंदु बना हुआ है .
आज कोर्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर सुनवाई होनी थी जिसमें सभी अभियुक्तों को आपराधिक साजिश रचने के आरोप से बरी कर दिया गया था . जस्टिस इकबाल और जस्टिस मिश्रा की खंडपीठ के सामने प्रस्तुत याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी गई थी .
ज्ञात हो कि हाई कोर्ट ने वरिष्ठ भाजपा नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा नेत्री एवं वर्त्तमान में केंद्रीय मंत्री उमा भारती, पूर्व उत्तर प्रदेश मुख्य मंत्री एवं वर्त्तमान में राजस्थान के राजयपाल कल्याण सिंह, और पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी समेत कुल १७ आरोपियों को अपने आदेश में दोषमुक्त कर बरी कर दिया था .
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायधीशों ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर इस याचिका के सन्दर्भ में अपना जवाब दायर करने को कहा था . याचिकाकर्ता बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब अहमद ने आरोप लगाया है कि केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद सीबीआई ने अपनी पैरवी कमजोर कर दी है जिससे अभियुक्तों को राहत मिल सके .
सीबीआई ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है पर हाजी महबूब ने दवा किया है कि सीबीआई अब जांच और पैरवी में ढीलापन दिखा रही है जो कि भाजपा सरकार के दबाव में हो रहा है .