Godbharai ki rasm ke bad garbhvati mahilaon ko mayke kyon bhej diya jata hai?
हमारे यहां बच्चे के जन्म के पूर्व को भी अनेक परंपराएँ हैं, जिनका गर्भवती महिला को पालन करना होता है। ऐसी ही एक परंपरा है कि गर्भवती स्त्री को सातवें महीने के बाद नदी व नाले पार नहीं करना चाहिए या उनके पास नहीं जाना चाहिए ताकि माता और उसके गर्भ में पल रहा शिशु दोनों की सुरक्षा और सेहत अच्छी बनी रहे।
गोद भराई के बाद गर्भवती स्त्री को मायके भेज दिया जाता है क्योंकि सातवें महीने के बाद गर्भवती महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी होता है कि वे अच्छे से आराम करें, यात्राएँ ना करें ताकि होने वाली संतान स्वस्थ हो, क्योंकि सातवें महीने के बाद गर्भवती महिलाओं को यात्रा करने पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
जब कोई स्त्री गर्भवती होती है तो उसके शरीर में बहुत सारे शारीरिक परिवर्तन होते हैं। उनका शरीर सामान्य से अधिक संवेदनशील होता है। ऐसे में यात्रा करने से या उनके पास जाने से होने वाले बच्चे पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
इसका एक कारण यह भी है कि पुराने समय में समाज में पर्दा प्रथा थी और बहुओं पर काफी बंधन होते थे। इसीलिए वे सहज ही उन्हें होने वाली तकलीफ या अपनी जरूरतों को ससुराल में नहीं बता पाती थी। ऐसे समय में उसे किसी तरह की कोई कमी या तकलीफ ना हो और वह खुश रहे, इसीलिए यह नियम बनाया गया है कि गोद भराई के तुरंत बाद गर्भवती महिलाओं को मायके भेज दिया जाता है। पीहर में स्त्रियाँ अपने को ज्यादा सहज महसूस करती हैं और अपनी समस्याओं को निः संकोच बता सकती हैं।