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Garmi ki chhutti Essay in Hindi | गर्मी की छुट्टी पर निबंध

Garmi ki chhutti Essay in Hindi for class 5/6 in 100 words, गर्मी की छुट्टी पर निबंध

गर्मी की छुट्टियाँ किसी भी बच्चे को बहुत अच्छी लगती हैं। बच्चों के लिए विद्यालय की ओर से यह बहुत ही अच्छा उपहार होता है। गर्मी की छुट्टियों का नाम सुनते ही कई विचार दिमाग में आने लगते हैं। हर एक बच्चा इसे अपने-अपने तरीके से बिताता है। बहुत सारी पढ़ाई के बाद इन गर्मी और आलस भरे दिनों में जब घर से बाहर निकलने का मन नहीं करता तो गर्मी की छुट्टिया ही हैं जो बच्चों को आराम पहुँचाती है। घर में पंखे या कूलर की हवा में आराम से बैठकर विद्यालय से मिला गृह-कार्य और अपने साथियों के साथ समय बिताने का इससे अच्छा समय और कोई नहीं है।

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Garmi ki chhutti Essay in Hindi for class 7/8 in 200 words, गर्मी की छुट्टी पर निबंध

कौन ऐसा विद्यार्थी होगा जो गर्मी की छुट्टियों का इंतजार नहीं करता होगा। गर्मी शुरू हुई नहीं कि गर्मियों की छुट्टियों का इंतजार पहले शुरू हो जाता है। इन छुट्टियों में बच्चों पर पढाई का बोझ भी नहीं रहता। विद्यालय से मिला गृह-कार्य जल्दी से कुछ की दिनों में खत्म किया और बाकी सारी छुट्टियाँ आराम से थोड़ी-थोड़ी पढाई और खूब सारी मस्ती के साथ बिताने का मौका मिल जाता है। हर व्यक्ति इन छुट्टियों के लिए योजनायें बनाये रहता है। इन छुट्टियों में कोई कुछ करना चाहता है तो कोई कुछ और। सब इन छुट्टियों को अपने अनुसार बिताना पसन्द करते हैं।

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कुछ लोग गर्मी की छुट्टियाँ घर में बैठकर ही बिताना पसन्द करते हैं क्योंकि बाहर बहुत गर्मी, तेज धूप और लू चलती है। जबकि, कुछ लोग अपना सामान बाँध कर पहाड़ों की सैर के लिए निकल जाते हैं। कुछ अपनी नानी के यहाँ तो कुछ अपनी दादी के यहाँ जाते हैं या अपने किसी सगे सम्बन्धी से मिलने जाते हैं। कुछ लोगों को अपने शौक पूरे करने का समय मिलता है तो वे इन छुट्टियों का सदुपयोग कर अपने शौक पूरा करते हैं। कुल मिलाकर हर कोई गर्मी की छुट्टियाँ के लिए बहुत उत्साहित रहता है।

Garmi ki chhutti Essay in Hindi for class 9/10 in 500 words, गर्मी की छुट्टी पर निबंध

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सभी को बेसब्री से गर्मी की छुट्टियों का इंतजार रहता है। जो बुज़ुर्ग हैं उन्हें भी अपने समय में गर्मी की छुट्टियाँ उतनी ही पसन्द थीं जितनी आज के बच्चों को होती है। यह जरूर है कि शायद वे लोग और ज्यादा मौज-मस्ती के साथ गर्मी की छुट्टियाँ बिताते होंगे। उस समय ग्रीश्मकालीन अवकाश के लिए विद्यालय से गृहकार्य जो नहीं मिलता था। कितना मजा आता होगा उन्हें ? न पड़ना न लिखना बस छुट्टी ही छुट्टी। पढ़ाई से बेफिक्र हो कोई अपनी बुआ के यहाँ तो कोई अपने चाचा-ताऊ या किसी अन्य रिश्तेदार के यहाँ खूब अच्छा समय बिता कर आता।

बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 15 मई के आस-पास लगभग सभी विद्यालयों में ग्रीश्मकालीन अवकाश प्रारम्भ हो जाता है। जिसका विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकगणों को भी बेसब्री से इंतजार रहता है। किसी को भी गर्मी की चिलचिलाती धूप में बाहर निकलना रास नहीं आता। वैसे भी जीवन में एकरसता किसी को भी नीरस बना देती है। इसलिए थोड़े बदलाव की हर एक व्यक्ति को आवश्यकता होती है। इससे जीवन में उल्लास बना रहता है। अन्यथा एक जैसी दैनिक क्रिया से मन उकता जाता है। चाहे वे विद्यार्थी हों, गृहणियाँ या कामकाजी लोग एक जैसी दिनचर्या से कुछ करने का उत्साह भी खत्म होने लगता है। वे लोग जो मानसिक श्रम अधिक करते हैं उनके लिए तो कुछ अवकाश बहुत ही आवशयक हो जाते हैं और गर्मी की छुट्टियाँ हमें यह मौका प्रदान करती हैं।

हाँलाकि हर व्यक्ति अपने तरीके से गर्मी की छुट्टियाँ बिताना चाहता है पर अधिकतर लोग घर में, रिश्तेदारों या पहाड़ी स्थलों जैसे मसूरी, शिमला , नैनीताल, कश्मीर आदि स्थानों पर जाकर अपनी छुट्टियाँ व्यतीत करना चाहते हैं। कुछ लोगों के लिए यह छुट्टियाँ समय न मिलने के कारण छूटे हुए कामों को पूरा करने तो कुछ को अपने शौक को पूरा करने का होता है।

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कुछ बच्चे इन छुट्टियों का सदुपयोग जिस विषय में वे कमजोर हैं उसमें मेहनत कर मजबूत होने में करते हैं जिससे जब वे गर्मी के अवकाश के बाद विद्यालय जाये तो उनमें उस विषय के प्रति आत्मविश्वास रहे। आजकल की पढ़ाई के चलते कुछ बच्चों को कुछ पसंदीदा सीखने का मौका नहीं मिलता तो वे इन छुट्टियों में अपना यह शौक पूरा करते हैं।

आजकल तो गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के लिए कई प्रकार के कैम्प आयोजित किये जाते हैं। इन कैम्पों में जाकर बच्चे कोई नई भाषा , चित्रकारी, नाटक, संगीत, खेल-खेल में कुछ नया सीखने के तरीके और भी न जाने क्या-क्या सीख सकते हैं। इन कैम्पों में बच्चों का समय भी अच्छा बीतता है और वे खेल के साथ-साथ ज्ञान भी प्राप्त करते हैं। लेकिन तब भी गर्मी की छुट्टियों का असली आनन्द तो अपने नाना-नानी, दादा-दादी, बुआ-मामा या चाचा-ताऊ के यहाँ जाकर ही आता है जहाँ देर से उठने पर कोई कुछ नहीं कहता और जो चाहो वह खाने-पीने को तुरन्त मिल जाता है। अपने चचेरे और ममेरे भाई-बहनों के साथ रहने और खेलने की बात ही कुछ और होती है और जिसका असली आनन्द गर्मी की छुट्टियों में ही आता है।

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