Garbhvati ko mritak ka munh kyon nahin dekhna chahiye?
हमारे यहां बच्चे के जन्म के पूर्व की भी अनेक परंपराएँ हैं जिनका गर्भवती महिला को पालन करना होता है। ऐसी ही एक परंपरा है कि गर्भवती स्त्री को मृत व्यक्ति या लाश को नहीं देखना चाहिए। यहां तक कि उस घर के आसपास भी नहीं जाना चाहिए, जहां मौत हुई हो। आजकल के अधिकांश लोग इस परंपरा का पालन नहीं करते हैं, क्योंकि वे इसे सिर्फ अंधविश्वास मानते हैं। यह मान्यता अंधविश्वास नहीं है।
दरअसल, जिस घर में मौत होती है, वहां का माहौल बहुत ही दुखमय होता है। पूरा परिवार शोक में डूबा रहता है। उस घर का माहौल देखकर गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे पर बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि उस महिला के किसी प्रियजन की मौत हुई हो तो उसे बहुत गहरा दुख पहुंचता है और इससे होने वाली शिशु को हानि पहुंच सकती है।
इसके अलावा इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि मृत व्यक्ति के शरीर में कई तरह के बैक्टिरिया होते हैं, जो बहुत तेजी से संक्रमण फैलाते हैं। गर्भवती महिला शारीरिक रूप से अधिक मजबूत नहीं होती है। मृत शरीर से निकलने वाले बैक्टिरिया उसे बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। इससे होने वाले शिशु और मां दोनों संक्रामित हो सकते हैं। इसलिए गर्भवती महिला को मृत व्यक्ति का मुंह नहीं देखने दिया जाता तथा उसे मृतक के घर में जाने से रोका जाता है।
समय के साथ सभी कुछ बदल गया, नैतिकता, आदर्श, देशप्रेम व जीवन के मूल्य, सब ग्रंथों में सिमट कर रह गये। इस आधुनिक युग में भले ही मनुष्य की सोच बदल गई हो, लेकिन प्रकृति के कुछ ऐसे सिद्धांत है जो जीवन के आधार है वो कभी नहीं बदलते, जिनमें मनमाने तरीकों से न कुछ जोड़ा जा सकता और घटाया अर्थात विश्वभर में प्रकृति के सिद्धांतों (जो आध्यत्म के भी आधार है) की किसी को तनिक भी जानकारियां नहीं है।