‘दिल्ली दिल है हिन्दुस्तान का’ दिल्ली को भारत की धड़कन कहा जाता है, क्योंकि यहाँ के हर गली कूचे में भारत के प्रत्येक प्रान्त से आये लोग रहते हुये दिखाई पड़ जाते हैं।
दिल्ली एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक शहर है। यहाँ भव्य मीनारें, बुर्ज, दरगाहें, मंदिर, समाधियाँ, स्मारक, किले, दुर्ग और कई अवशेष विद्यमान हैं।
दिल्ली पर कई राजाओं ने राज किया। मुगल एंव हिन्दु दोनों ने इसे अपनी राजधानी बनाया। कहा जाता है कि दिल्ली सात बार उजड़ी और सात बार इसे पुनः बसाया गया।
दिल्ली यमुना नदी के किनारे बसी है। यमुना नदी पर कुछ दूर इसके पूर्व में उत्तर प्रदेश स्थित है। हरियाणा, उत्तर, दक्षिण, पश्चिम तीनों ओर इसकी सीमाओं से लगा है। दिल्ली की आबादी डेढ़ करोड़ के लगभग है जिसमें निरन्तर वृद्धि हो रही है।
दिल्ली के मुख्य दो रूप हैं। एक पुरानी दिल्ली और दूसरी नई दिल्ली। अब पुरानी और नई दिल्ली का बहुत विस्तार हो चुका है। इनका रूप भी बदल गया है। पहले दिल्ली के चारों ओर एक दीवार थी जिसके बाहर अंग्रेजों ने नई दिल्ली का निर्माण किया था।
दिल्ली एक व्यावसायिक नगरी भी है, देश विदेश के व्यापारी यहाँ आते जाते हैं। जहाँ पुरानी दिल्ली में चाँदनी चौंक का बाजार प्रसिद्ध है वहीं नई दिल्ली का ‘कनाट प्लेस’ प्रमुख है। दिल्ली में जहाँ हुमायूँ का मकबरा, लाल किला, कुतुबमीनार जैसे प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हैं वहीं राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, इंडिया गेट आदि भी इसकी सुन्दरता में बढ़ोतरी करते हैं।
आजकल नये नये पुलों एवं फलाईओवरों का निर्माण कार्य जोरों पर है। मेट्रो ने दिल्ली के सौन्दर्य में चार चाँद लगा दिये हैं।