भारत त्योहारों का देश है। हमारे देश में भिन्न भिन्न धर्म एवं जाति संप्रदाय के लोग निवास करते हैं। भारत के त्योहार इसकी संस्कृति की महानता को उजागर करते हैं।
आज मानव बहुत व्यस्त है। जीविका कमाने में समय व्यतीत करना उसकी मजबूरी है। इस भाग दौड़ में वह भूल जाता है कि वह इंसान है, मशीन नहीं। उसे आराम चाहिये, मनोरंजन और बदलाव उसकी जरूरत है। ऐसे में नित नये त्योहार उसके लिये वरदान साबित होते हैं। त्योहार जीवन में सुखद परिवर्तन लाते हैं उसमें नई चेतना व स्फूर्ति का संचार करते हैं।
विज्ञान की उन्नति के साथ मानव चाँद पर जा पहुँचा है। त्योहार उसके बौद्धिक विकास के साथ साथ उसमें भावनात्मक विकास करते हैं। भारत के त्योहार करूणा, दया, आतिथ्य सत्कार, पारस्परिक प्रेम एवं सद्भावना तथा परोपकार जैसे नैतिक गुणों का विकास करने से सहायक होते हैं।
भिन्न भिन्न जातियों, भाषाओें, प्रातों व भिन्न भिन्न सम्प्रदायों द्वारा एक साथ त्योहार मनाने से पारस्परिक सौहार्द एवं स्नेह की भावनायें पुनजींवित होती हैं। हमारे त्योहार अधिकतर ऋतु चक्र के अनुसार मनाये जाते हैं। सभी त्योहार जनमानस को खुशियाँ, उल्लास व उत्साह प्रदान करते हैं। ‘रक्षा बन्धन’ का त्योहार भाई बहन के सम्बन्धों को प्रगाढ़ बनाता है और भाई जीवनभर बहन की रक्षा का वचन लेता है। विजयदशमी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। ‘दीपावली’ में दीपों के साथ हमारे जीवन में भी नयी रोशनी जागृत होती है।
मुस्लमान भाईयों की ईद, मुहर्रम, सिक्खों की बैसाखी, लोहड़ी, ईसाईयों का क्रिसमस सभी त्योहार समाज में नवीनता एवं खुशियाँ लाते हैं। मनुष्य के जीवन की नीरसता को दूर करते हैं और लोगों को दान दक्षिणा आदि सत्कर्म करने की प्रेरणा देते हैं।
स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गाँधी जयन्ती इत्यादि राष्ट्रीय त्योहार पूरे राष्ट्र में प्रतिवर्ष एक ही दिन हम सब मिलकर मनाते हैं जिससे राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत होती है एवं आपसी एकता भी मजबूत होती है।
ये त्योहार हमारी भारतीय संस्कृति के गौरव हैं। हमारे ये त्योहार हमारी पहचान हैं। अतः हमें इन को मिल जुलकर पवित्रता व सहदयता से मनाना चाहिये।