Education Shiksha Essay in Hindi for class 5/6 in 100 words शिक्षा पर निबंध
शिक्षा सभी के लिए बहुत आवश्यक है। पढ़ा-लिखा व्यक्ति जीवन में काफी-कुछ कर सकता है जो कि एक धनवान परन्तु अनपढ़ व्यक्ति नहीं कर सकता। इसीलिए कहा भी जाता है ज्ञान सबसे बड़ा धन है। एक ऐसा व्यक्ति जो पढ़ा-लिखा नहीं है परन्तु उसके पास धन बहुत है वह उस धन का दुरुपयोग कर सकता है लेकिन एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति कम धन होते हुए भी अपनी बुद्धि से धन का सदुपयोग कर के लाभ पा सकता है। शिक्षा से व्यक्ति को जीवन सही प्रकार से जीने का तरीका आता है। दूसरी ओर सब कुछ होते हुए भी एक अनपढ़ व्यक्ति जीवन में भटक जाता है।
Education Shiksha Essay in Hindi for class 7/8 in 200 words शिक्षा पर निबंध
शिक्षा से व्यक्ति को मात्र शिक्षित होने की उपाधि ही नहीं मिलती बल्कि उसके जीवन में ज्ञान का प्रकाश भी फैलता है। वह मात्र एक जानवर की तरह जीवन नहीं जीता बल्कि अपने जीवन का लक्ष्य तय कर उसे जीने लायक बनाता है। शिक्षा के माध्यम से वह अपने अन्दर क्षमतायें विकसित कर प्रगति के पथ पर चलता है।
शिक्षा लेने के तरीके एवं उसे उपयोग करने के तरीके भी बहुत हैं। लेकिन हमें ऐसी शिक्षा प्रदान एवं प्राप्त करनी चाहिये जिससे व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके एवं उसके विकास के लिए कार्य कर सके। शिक्षा मात्र डिग्री प्राप्त कर नौकरी पाने तक ही सीमित नहीं होनी चाहिये बल्कि यह इस प्रकार से दी जानी चाहिये जिससे व्यक्ति के अन्दर आत्म विश्वास जागृत हो और वह मात्र धन कमाने तक ही सीमित न रहे।
शिक्षा के महत्व को देखते हुए सरकार द्वारा ऐसे कदम उठाने की आवश्यकता है जिससे हर व्यक्ति शिक्षा प्राप्त कर सके। क्योंकि कई स्थानों पर आज भी बाल मजदूर देखे जा सकते हैं जो अपने घर के पालन-पोषण के लिए शिक्षा को छोड़ बाल मजदूरी कर रहे हैं। यदि ऐसे बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ आवश्यक सुविधायें प्राप्त कराई जाये वे मात्र मजदूर बन कर ही नहीं बल्कि अन्य कई विकास कार्यक्रमों से जुड़कर समाज के साथ-साथ अपना भी विकास कर सकते हैं तथा आने वाली पीढ़ियों को भी उज्जवल भविष्य प्रदान कर सकते हैं।
Education Shiksha Essay in Hindi for class 9/10 in 500 words शिक्षा पर निबंध
व्यक्ति जन्म लेने से लेकर मृत्यु तक जीवन में हर पग-पग पर कुछ न कुछ सीखता रहता है। प्राचीन समय में बच्चे गुरुकुल में रह कर शिक्षा अर्जित करते थे। बच्चे गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ अपने गुरुजनों की सेवा तथा अन्य कई काम भी करते थे जिससे उन्हें जीवन के अन्य पक्षों का भी ज्ञान होता था, जिसे हम आजकल व्यावहारिक शिक्षा के नाम से जानते हैं। शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही अपने घर वापस आता था तथा ब्रह्मचर्य से गृहस्थाश्रम में प्रवेश करता था। वह शिक्षा का माध्यम से ही व्यक्ति प्रगति की ओर अग्रसर होता है। आजकल उस प्रकार के गुरुकुल तो नहीं हैं परन्तु कई सरकारी एवं गैर-सरकारी शिक्षण संस्थायें शिक्षा प्रदान करने का कार्य कर रही हैं। जहाँ बच्चों को कई विषयों की शिक्षा दी जाती है।
शिक्षा का अर्थ मात्र पढ़ना-लिखना जानना ही नहीं है। शिक्षा का अर्थ है सही-गलत में समझ विकसित कर निर्णय लेने की क्षमता। यदि इस प्रकार की शिक्षा प्राप्त न की जाये तो यह निरर्थक रुपयों एवं समय की बर्बादी है। यदि शिक्षा सही प्रकार से प्राप्त की जाये तो यह अमूल्य धरोहर है। यह ऐसा धन है जिसे चोर भी नहीं चुरा सकता बल्कि यह बांटने पर बढ़ता है। व्यक्ति शिक्षा से धन प्राप्त कर सकता है पर धन से शिक्षा नहीं। उसके लिए व्यक्ति के अन्दर शिक्षा प्राप्त करने की जिज्ञासा होनी चाहिये। क्योंकि कई ऐसे संस्थान हैं जो गरीब परन्तु शिक्षा के लिए जिज्ञासु बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं।
शिक्षित व्यक्ति के अन्दर ही अच्छे एवं नये विचार जन्म लेते हैं तथा कुविचारों का अंत होता है। यदि व्यक्ति जीवन में उन्नति चाहता है तो उसे शिक्षा की सीढ़ी चढ़ना बहुत आवश्यक है। क्योंकि शिक्षा ही व्यक्ति का सही मार्ग प्रषस्त करती है। शिक्षित व्यक्ति को सभी लोग सम्मान की दॄष्टि से देखते हैं। शिक्षित व्यक्ति के आचार एवं विचार में शिक्षा की झलक दिखती है। शिक्षित व्यक्ति समाज को भी परोक्ष एवं प्रत्यक्ष से शिक्षित करने का कार्य करता है। शिक्षा के अभाव में हम दूसरे का तो क्या अपना भी भला नहीं कर सकते।
अन्य देशों की अपेक्षा भारत में शिक्षा का प्रतिशत कम है। इसी स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा शिक्षा प्राप्त करने सम्बन्धी कई योजनायें चलाई जा रही हैं जिससे गरीब, असहाय एवं किसी भी रूप से विक्लांग व्यक्ति शिक्षा से वंचित न रहे। क्योंकि यदि वह शिक्षा से वंचित रह गया तो अपने जीवन की एक कमजोरी के चलते वह कहीं अधिक पिछड़ जायेगा। गरीब बच्चों के लिए विद्यालय में ही भोजन की व्यवस्था भी की जाती है। क्योंकि यदि तन स्वस्थ होगा तभी बच्चे ठीक प्रकार से शिक्षा भी प्राप्त कर पायेंगे। आज के युग में शिक्षा से विहीन व्यक्ति जीवन में किसी भी प्रकार उन्नति नहीं कर सकता। ऐसा व्यक्ति डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, अध्यापक, वैज्ञानिक, राजनेता या अन्य कोई भी अधिकारी आदि बनने में सर्वथा असक्षम है। शिक्षा प्राप्त किये बगैर आप अपने देश , समाज या परिवार तो क्या अपना भी भला नहीं कर सकते। अतः शिक्षा को सर्वाधिक महत्व देते हुए इसे जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास अवश्य करना चाहिये। हमें ऐसे कदम उठाने चाहियें कि इक्कीसवीं सदी में हर व्यक्ति शिक्षित हो।
जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध IMPORTANCE OF EDUCATION IN LIFE ESSAY IN HINDI
शिक्षा साध्य नही है वरन किसी लक्ष्य को पाने का साधन है. हम बच्चो को शिक्षा देने के लिए शिक्षा नही देते है. हमारा प्रयोजन होता है उन्हें जीवन के लिए योग्य और सक्षम बनाना.
जैसे ही हम इस सत्य को अच्छी तरह ग्रहण कर लेगे, वैसे ही यह बात हमारे समझ में आ जाएगी कि महत्वपूर्ण यह है कि हम ऐसी शिक्षा पद्दति को चुने, जो बच्चो को वास्तव में जिन्दगी जीने के लिए तैयार करे.
यह काफी नही है. कि उसी पद्दति को चुन ले, जो हमे सबसे पहले प्राप्त हो. या अपनी पुरानी पद्दति को ही, बिना यह जांचे हुए कि वह सचमुच उपयुक्त है या नही, आगे चलाते चले.
बहुत से आधुनिक देशों में कुछ समय से यह सोचना फैशन बन गया है. कि शिक्षा को सबके लिए चाहे वह गरीब हो या अमीर बुद्दिमान हो या बुद्दू मुक्त कर देने में समाज की समस्याएं हल की जा सकती है. और एक परिपूर्ण त्रुटिहीन राष्ट्र का निर्माण हो सकता है.
पर यह तो आज भी दिखाई पड़ रहा है कि सबके लिए मुफ्त शिक्षा का प्रबंध कर देना काफी नही है. यह पता चलता है कि ऐसे देशों में विश्वविद्यालयों के उपाधि धारियों की संख्या उपलब्ध नौकरियों से कही अधिक है. जिसे वे नीचा समझते है.
वास्तव में इन लोगों द्वारा हाथ से किये जाने वाले श्रम के कार्य गंदे और शर्मनाक माने जाते है.
जब हम यह कहते है कि हमे इस प्रकार शिक्षित किया जाना चाहिए कि हम जीवन के योग्य बन सके तो आशय यह होता है. कि एक तो हममें से प्रत्येक उन सभी कार्यो के योग्य हो सके जो उपरी बुद्धि और क्षमता के अनुकूल हो.
दुसरे हम इस बात को मन से स्वीकार कर सके कि समाज के लिए सभी कार्य आवश्यक है और अपना काम करने में शरमाना या दुसरे काम को नीचा समझना बहुत ही खराब बात है.
SHIKSHA KA MAHATVA PAR NIBANDH
‘सा विद्या या विमुक्तये’ अर्थात विद्या अथवा शिक्षा वही है जो हमे मुक्ति दिलाती है.
यह मुक्ति अन्धकार से, अज्ञान से तथा अकर्मण्यता से है. बालक जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त कुछ न कुछ सीखता रहता है किन्तु औपचारिक शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य उसके सामने स्पष्ट होने जरुरी है. आज हमारी शिक्षा निति केवल जीवन निर्वाह की शिक्षा व्यवस्था ही दे रही है. जबकि होना यह चाहिए कि शिक्षा जीवन निर्वाह की अपेक्षा जीवन निर्माण का उद्देश्य पूरा करे.
शिक्षा किसी भी राष्ट्र की मेरुदंड कही जा सकती है जो संस्कारवान, स्वस्थ, श्रमनिष्ट, संस्कृतंनिष्ट, साहसी एवं कुशल नागरिकों का निर्माण कर सके, इसलिए शिक्षा एक तरफ व्यक्ति निर्माण का कार्य करती है तो दूसरी ओर राष्ट्र निर्माण का भी अप्रत्यक्ष रूप से कार्य करती है. यदि किसी राष्ट्र का समुचित विकास तथा उसके नागरिकों का सही व्यक्तित्व का निर्माण करना है तो उसकी शिक्षा के उद्देश्य का होना आवश्यक है. शिक्षा वस्तुतः कोई पाठ्यक्रम या डिग्री प्राप्त करना भर नही है. बल्कि जीवन में चलने वाली सतत प्रक्रिया है. जो कुछ न कुछ सिखाती रहती है.
शिक्षा से ही व्यक्ति और राष्ट्र के चरित्र का निर्माण होता है. यदि किसी देश की शिक्षा व्यवस्था उद्देश्यपूर्ण और अच्छी होगी तो उसके नागरिको का चरित्र भी अच्छा होगा.
गांधीजी भी शिक्षा को चरित्र निर्माण के लिए अनिवार्य मानते थे. वे कहते थे शिक्षा के सही उद्देश्य चरित्र निर्माण होना चाहिए. आज के शिक्षा स्वरूप व शिक्षा प्रणाली में आई गिरावट के कारण ही अपने संचित ज्ञान तथा देश की महान परम्पराओं के प्रति उपेक्षा के भाव, माता-पिता व गुरुजनों के प्रति आदर भाव में कमी, विलासिता व सुविधाओं की ओर बढ़ता आकर्षण, प्रदर्शनप्रियता व उपभोक्तावाद आदि का प्रभाव जीवन में बढ़ रहता है. सत्य, अहिंसा, करुणा, अपरिग्रह, सहिष्णुता, ईमानदारी तथा उदारता जैसे महान मानवीय मूल्य जीवन से लुप्त हो रहे है.
मूलत: शिक्षा वह नही है जो हमने सीखी है बल्कि शिक्षा तो वह है जो हमे योग्य बनाती है ‘ नास्ति विद्या सम चक्षु’ अर्थात विद्या के समान कोई दूसरा नेत्र नही है. शिक्षा ही वह नेत्र है जो जीवन सघर्ष को जीतना सिखाता है.
आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में शिक्षा का बड़ा महत्व है, आज के समय में शिक्षा अच्छी नौकरी और पद हासिल करने का एक माध्यम बन चूका है. मगर शिक्षा का सही उद्देश्य व्यक्ति के आगे बढ़ने के लिए रास्तों का निर्माण करना है. हमारी शिक्षा का स्तर ही हमे बौद्धिक और मानसिक स्तर से मजबूत बनाने का कार्य करता है. आज के समय में प्रत्येक विद्यार्थी अपने जीवन में कुछ सबसे अच्छा करने का सपना पालता है, जिनके माता पिता भी अपने बेटे को डोक्टर या इंजिनियर बनाना चाहते है, उनका एक ही जरिया होता है. उद्देश्य पूर्ण व गुणवता युक्त शिक्षा.
ऐसा नही है डोक्टर या इंजिनियर या अध्यापक बनने वाले ही विद्यार्थी शिक्षा अर्जित करते है, बल्कि अन्य क्षेत्र जैसे खेल, संगीत, फिल्म किसी भी क्षेत्र में जाने वाला विद्यार्थी निरंतर शिक्षा अर्जित करने की कोशिश करती है. यही शिक्षा उन्हें अपने प्रोफेशन को बेहतर ढंग से करने का आत्मविश्वास पैदा करती है. देश भर में लगभग सभी राज्यों के अपने शिक्षा बोर्ड है, जो विशेष लक्ष्य के साथ राज्य के सभी विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते है. अंत में इतना ही कहना उचित होगा, सब पढ़े सब बढे.
शिक्षा पर निबंध (100 शब्द) HINDI ESSAY ON EDUCATION
शिक्षा अपने चारों ओर की चीजों को सीखने की एक प्रक्रिया है। यह हमें किसी भी वस्तु या परिस्थिति को आसानी से समझने, किसी भी तरह की समस्या से निपटने और पूरे जीवनभर विभिन्न आयामों में सन्तुलन बनाए रखने में मदद करती है। शिक्षा सभी मनुष्यों का सबसे पहला और सबसे आवश्यक अधिकार है। बिना शिक्षा के हम अधूरे हैं, और हमारा जीवन बेकार है। शिक्षा हमें अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
यह हमारे ज्ञान, कुशलता, आत्मविश्वास और व्यक्तित्व में सुधार करती है। यह हमारे जीवन में दूसरों से बात करने की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाती है। शिक्षा परिपक्वता लाती है और समाज के बदलते परिवेश में रहना सिखाती है। यह सामाजिक विकास, आर्थिक वृद्धि और तकनीकी उन्नति का रास्ता है।
शिक्षा पर निबंध (150 शब्द) HINDI ESSAY ON EDUCATION
शिक्षा सभी के जीवन में, व्यक्तित्व का निर्माण, ज्ञान और कौशल में सुधार करके, एक सभ्य मनुष्य बनाने में महान भूमिका निभाती है। यह एक व्यक्ति को भले और बुरे के बारे में सोचने की क्षमता प्रदान करती है। हमारे देश में शिक्षा को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है; प्रारम्भिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, और उच्च माध्यमिक शिक्षा। यह चीजों और परिस्थितियों का विश्लेषण करने के लिए हमारे कौशल, चरित्र और पूरे व्यक्तित्व को विकसित करती है।
शिक्षा एक व्यक्ति के जीवन में लक्ष्य को निश्चित करने के द्वारा उसके वर्तमान और भविष्य को पोषित करती है। शिक्षा के महत्व और इसकी गुणवत्ता में दिन प्रति दिन सुधार व वृद्धि हो रही है।
हर बच्चें को अपनी उचित आयु में स्कूल अवश्य जाना चाहिए क्योंकि सभी को जन्म से ही शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार प्राप्त होता है। किसी भी देश का विकास और वृद्धि, इस देश के युवाओं के लिए स्कूल और कॉलेजों में निर्धारित की गयी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। तो भी, देश के प्रत्येक क्षेत्र में, शिक्षा प्रणाली समान नहीं है, इसलिए समाज और लोगों की उचित वृद्धि और विकास नही हो पा रहा है।
शिक्षा पर निबंध (250 शब्द) HINDI ESSAY ON EDUCATION
पूरे संसार के लोगों के लिए पृथ्वी पर मनुष्य के अस्तित्व और जीवन में सन्तुलन बनाए रखने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण यंत्र है। यह वो यंत्र है, जो सभी को जीवन में आगे बढ़ने और सफल होने के साथ ही जीवन में चुनौतियों पर विजय प्रदान करने की क्षमता प्रदान करती है। यही केवल और एकमात्र रास्ता है, जो किसी भी विशेष क्षेत्र में आवश्यकता के अनुसार ज्ञान अर्जन (प्राप्ति) और कुशलता में सुधार करती है। यह हमें अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा में अच्छे सन्तुलन का निर्माण करने में सक्षम बनाती है।
यह हमें पूरे जीवनभर प्रशिक्षित करती है और हमारे रास्ते में अपने भविष्य और बेहतर कैरियर के विकास के लिए आवश्यक संभावनाओं को पाने के लिए बहुत से अवसरों के लाती है। अपनी जीवन-शैली को बढ़ावा देने के साथ ही अपने देश में सामाजिक और आर्थिक वृद्धि का भाग बनने के लिए सभी और प्रत्येक व्यक्ति को उचित शिक्षा की आवश्यकता होती है।
किसी भी व्यक्ति या देश का भविष्य, उस देश में शिक्षा प्रणाली में अनुकरण की जाने वाली रणनीतियों पर निर्भर करता है। उचित शिक्षा के बारे में बहुत से जागरुकता अभियानों के बाद भी, देश में अभी भी ऐसे कई गाँव हैं जहाँ रहने वाले लोगों के पास न तो शिक्षा प्राप्ति का कोई उचित संसाधन है और न ही शिक्षा के बारे में कोई जागरुकता ही है।
यद्यपि, पहले से कहीं अधिक अब परिस्थितियों में सुधार है और सरकार द्वारा देश में शिक्षा के स्तर में सुधार करने के लिए बहुत से कदम उठाए गए हैं। एक समाज की भलाई, उस समाज में रहने वाले लोगों की शिक्षा पर निर्भर करती है। उचित शैक्षणिक स्तर पूरे देश में समस्यात्मक मुद्दों को सुधार कर आर्थिक और सामाजिक समृद्धि लाता है।
शिक्षा पर निबंध (300 शब्द) HINDI ESSAY ON EDUCATION
जीवन में सफलता, सम्मान और पहचान प्राप्त करने के लिए, शिक्षा सभी के लिए आवश्यक यंत्र है। शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है क्योंकि यह मनुष्य के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव लाती है। यह निश्चिन्तता प्राप्त करने और परिस्थितियों का समाना करने के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों आयामों पर सोचने की क्षमता प्रदान करती है।
यह अपने ज्ञान को बढ़ाने और संसार का स्पष्ट दृष्टिकोण रखने के कौशल को विस्तृत करने के लिए सबसे आसान रास्ता है। यह हम में, हमारे जीवन के रास्ते में आगे बढ़ने के लिए रुचि पैदा करती है और इस प्रकार, देश में वृद्धि एवं विकास होता है। हम टीवी देखने, किताब पढ़ने और अन्य साधनों से शिक्षित होकर सीख सकते हैं।
उचित शिक्षा हमारे कैरियर के लक्ष्य को पहचानने में और सभ्य तरीके से रहना सीखृने में मदद करती है। हम बिना शिक्षा के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि बिना इसके, हम स्वस्थ माहौल और उन्नत समुदाय का निर्माण नहीं कर सकते। जीवन में सब कुछ लोगों के ज्ञान और कौशल पर आधारित है, जो शिक्षा के द्वारा अपने आप से आता है।
व्यक्ति, समाज, समुदाय और देश का उज्ज्वल भविष्य, शिक्षा प्रणाली द्वारा अनुकरण करने की जाने वाली रणनीति पर निर्भर करता है। जीवन में अधिक तकनीकी उन्नति की बढ़ती हुई माँग ने गुणात्मक शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ाया है।
यह वैज्ञानिकों की शोध कार्यों में, यंत्रों मशीनों या आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक अन्य तकनीकियों के अविष्कार में सहायता करती है। लोग अपने जीवन में शिक्षा के महत्व और क्षेत्र के बारे में जागरुक हो रहे हैं और लाभान्वित होने की कोशिश कर रहे हैं। फिर भी, देश के पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोग जीवन में आधारभूत आवश्यकताओं की कमी के कारण अभी भी उचित शिक्षा प्राप्त नही कर पा रहे हैं। वे आज भी अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमें पूरे देश में बेहतर वृद्धि और विकास के लिए प्रत्येक क्षेत्र में समान रुप से शिक्षा के बारे में जागरुकता लाने की आवश्यकता है।
शिक्षा पर निबंध (350 शब्द) HINDI ESSAY ON EDUCATION
सभी के जीवन की बेहतरी के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है और इस तरह, हम सभी को अपने जीवन में शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए। यह हमें सक्षम बनाती है और जीवन के सभी पहलुओं के लिए तैयार करती है। देश के अविकसित क्षेत्रों में सरकार द्वारा बहुत से शैक्षिक जागरुकता अभियान चलाने के बाद भी, वहाँ शिक्षा प्रणाली अभी भी कमजोर है। इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग बहुत गरीब हैं और अपना पूरा दिन केवल कुछ आधारभूत जरुरतों को पूरा करने में व्यतीत कर देते हैं। इसलिए देश के सभी कोनों में उचित शिक्षा प्रणाली की संभावनाओं को बनाने के लिए सभी के व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है।
देश में शिक्षा प्रणाली के स्तर को बढ़ावा देने के लिए सभी की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। स्कूल और कॉलेज प्राधिकरणों को अपने छात्रों में शिक्षा के लिए रुचि और जिज्ञासा को बढ़ावा देने के लिए, शिक्षा के लिए कुछ मुख्य उद्देश्यों को निर्धारित करना होगा। शुल्क (फीस) संरचना पर भी व्यापक स्तर पर चर्चा करनी चाहिए क्योंकि अधिक शुल्क के कारण बहुत से विद्यार्थी अपनी शिक्षा को जारी रखने में सक्षम नहीं होते जो लोगों को जीवन के हरेक पहलु में असमानता की ओर ले जाती है।
शिक्षा मनुष्य का सबसे पहला और अनिवार्य अधिकार है इसलिए सभी को शिक्षा में समानता मिलनी चाहिए।
हमें लोगों के बीच में समानता के साथ ही पूरे देश में समान वैयक्तिक विकास लाने के लिए, हमें सभी के लिए शिक्षा की सुविधा में सन्तुलन बनाना होगा।
शिक्षा समाज में सभी को अपने चारों ओर की वस्तुओं में हस्तक्षेप करके सकारात्मक रुप में बदलने में मदद करती है। यह हमें हमारे शरीर, मस्तिष्क और अन्तर्मन में सन्तुलन बनाए रखने के साथ ही शिक्षा की तकनीकी में आवश्यक उन्नति को भी बढ़ावा देती है। यह देशों के वृद्धि और विकास के लिए समाज में प्रत्येक व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देती है।
यह समाज में सामान्य संस्कृति और मूल्यों को विकसित करने के द्वारा सभी को सामाजिक और आर्थिक दोनों रुपों से सक्षम बनाती है। इस प्रकार, स्पष्ट है कि, शिक्षा और इसके महत्व से समाज का कोई भी पहलु अछूता नहीं है। यह प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
शिक्षा पर निबंध (450 शब्द) HINDI ESSAY ON EDUCATION
शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तंत्र है, जो व्यक्ति के जीवन के साथ ही देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आजकल, यह किसी भी समाज की नई पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन गयी है। शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए, सरकार के द्वारा 5 साल से 15 साल तक की आयु वाले सभी बच्चों के लिए शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है।
शिक्षा सभी के जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करती है और हमें जीवन की सभी छोटी और बड़ी समस्याओं का समाना करना सिखाती है। समाज में सभी के लिए शिक्षा की ओर इतने बड़े स्तर पर जागरुक करने के बाद भी, देश के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा का प्रतिशत अभी भी समान है।
पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी शिक्षा के उचित लाभ प्राप्त नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनके पास धन और अन्य साधनों की कमी है। यद्यपि, इन क्षेत्रों में इस समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा कुछ नई और प्रभावी रणनीतियों की योजना बनाकर लागू किया गया है। शिक्षा ने मानसिक स्थिति को सुधारा है और लोगों के सोचने के तरीके को बदला है। यह आगे बढ़ने और सफलता और अनुभव प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास लाती है और सोच को कार्य रुप में बदलती है।
बिना शिक्षा के जीवन लक्ष्य रहित और कठिन हो जाता है। इसलिए हमें शिक्षा के महत्व और दैनिक जीवन में इसकी आवश्यकता को समझना चाहिए। हमें पिछड़े क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व को बताकर, इसे प्रोत्साहन देना चाहिए।
विकलांग और गरीब व्यक्तियों को भी अमीर और सामान्य व्यक्तियों की तरह वैश्विक विकास प्राप्त करने के लिए, शिक्षा की समान आवश्यकता है और उन्हें समान अधिकार भी प्राप्त है। हम में से सभी को उच्च स्तर पर शिक्षित होने के लिए अपने सबसे अच्छे प्रयासों को करने के साथ ही सभी की शिक्षा तक पहुँच को संभव बनाना चाहिए जिसमें सभी गरीब और विकलांग व्यक्ति वैश्विक आधार पर भाग ले सकें।
कुछ लोग ज्ञान और कौशल की कमी के कारण पूरी तरह से अशिक्षित रहकर बहुत दर्दनाक जीवन जीते हैं। कुछ लोग शिक्षित होते हैं लेकिन पिछड़े इलाकों में उचित शिक्षा प्रणाली के अभाव के कारण अपने दैनिक कार्यों के लिए धन जोड़ने में भी पर्याप्त कुशल नहीं होते। इस प्रकार, हमें सभी के लिए अच्छी शिक्षा प्रणाली को प्राप्त करने के समान अवसर देने की कोशिश करनी चाहिए, चाहे वो गरीब हो या अमीर।
एक देश, नागरिकों के वैयक्तिक विकास और वृद्धि के बिना विकसित नही हो सकता। इस प्रकार, एक देश का व्यापक विकास उस में देश में नागरिकों के लिए उपलब्ध प्रचलित शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है।
देश में हर क्षेत्र में नागरिकों के लिए अच्छी और उचित शिक्षा प्रणाली को उपलब्ध कराए जाने के सामान्य लक्ष्य को निर्धारित किया जाना चाहिए और शिक्षा प्राप्ति के रास्ते को सुगम व सुलभ्य बनाए जाने की कोशिश की जानी चाहिए। इस तरह देश अपने चहुँमुखी विकास की ओर अग्रसर होगा।