Dr Seema Rao – India’s first lady Army Commando trainer
जब हमारा सामना कमांडो जैसे शब्द से होता है तो हमारे मन में केवल एक पुरुष कमांडो की ही तस्वीर उभर कर आती है। लेकिन जरूरी नहीं कि केवल पुरुषों को ही कमांडो जैसा एक विशिष्ट कार्य करने की शक्ति मिली हो । डाक्टर सीमा राव बहुत दिनों से कमांडो ट्रेनर का काम बखूबी कर रही हैं और वह भी भारतीय आर्मी में !
बहुत दिनों तक ऐसे कठिन काम केवल पुरुषों के लिए माने जाते थे क्योंकि वे शारीरिक रूप से मुश्किल भारी-भरकम कार्यों को करने में सक्षम होते हैं जबकि महिलाओं को ऐसे काम करने से दूर रखा जाता था।
हालांकि, डॉ. सीमा राव जैसे कमांडो प्रशिक्षक लोगों के सोचने के तरीके को बदल रहे हैं और हमें यह एहसास दिलाना चाहते हैं कि एक महिला भी पुरुष-प्रधान समाज में सफल हो सकती है। डॉ. सीमा राव गर्व से कह सकती हैं कि वह भारत की पहली और एकमात्र महिला कमांडो ट्रेनर हैं।
7th deg black belt सर्टिफिकेट धारक 47 वर्षीय सीमा एशिया की सबसे वरिष्ठ महिला ब्लैक बेल्ट धारक होने का खिताब रखती हैं। वह 20 वर्षों से भारतीय सशस्त्र बलों को प्रशिक्षित करने के लिए जाना जाती हैं।
सीमा के पिता प्रोफेसर रमाकांत सिनारी थे, जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके पति एक आर्मी ऑफिसर हैं। अपने परिवार के इतिहास को आगे बढ़ाते हुए सीमा ने भारतीय सशस्त्र बलों को अपनी सेवाएँ दी। सीमा को इस क्षेत्र में व्यापक अनुभव है और वह शूटिंग, पर्वतारोहण और अग्निशमन में भी प्रशिक्षक हैं। “मेरे पिता ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की अनेकों कहानियाँ सुनाईं जिन्हें सुन कर कहीं न कहीं मेरे अंदर देशभक्ति का जज्बा पैदा हुआ।
दिलचस्प बात यह है कि सीमा दुनिया की उन 10 महिलाओं में शामिल हैं, जो Jeet Kune Do में पारंगत हैं, जो एक विशेष मार्शल आर्ट फॉर्म है जिसे पहली बार ब्रूस ली द्वारा खोजा गया था।
सीमा ने एक फिल्म भी बनाई है, जिसका शीर्षक है “हाथापाई”, जो भारत की पहली मिश्रित मार्शल आर्ट फिल्म भी है। इसने 2014 में दादासाहेब फाल्के फिल्म फेस्टिवल जूरी प्रशंसा पुरस्कार जीता।
सीमा सिर्फ आर्मी में सैनिकों को ही नहीं बल्कि DARE (डिफेंस अगेंस्ट रेप एंड ईव टीजिंग) नामक एक कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को आत्मरक्षा भी सिखा रही हैं। कार्यक्रम ने मुंबई में लोकप्रियता हासिल की है। सीमा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “मुझे लगता है कि डेयर कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महिलाओं को टीजिंग, मोलेस्टेशन और अन्य यौन हमलों का सामना करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत करता है। । यह सीखना बहुत आसान है।”






