चारों तरफ से आ रही नकारात्मक खबरों के बीच आज भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर आई है। मशहूर अमेरिकी बैंक मॉर्गन स्टैनली ने आज सुबह कहा कि क्रूड आयल का रेट 20 डॉलर पर बैरल से भी नीचे जा सकता है। बैंक ने इसके पीछे चीन की अर्थव्यवस्था में आई भारी गिरावट को कारण बताया है।
बैंक के अनुसार इरान पहले ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की एक्स्ट्रा सप्लाई कर रहा है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में संभावित गिरावट पहले से ही हो रही कच्चे तेल की ज्यादा सप्लाई को और अधिक बढ़ा देगी । इस तरह से बैंक का यह अनुमान कि जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमतें 20 डॉलर ऊपर प्रति बैरल से नीचे जा सकती हैं, सही होता नजर आ रहा है
बैंक ने यह भी कहा कि अमेरिका डॉलर की कीमत जैसे नॉन फंडामेंटल कारणों से भी कच्चे तेल की कीमतें तय होगी और चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट कच्चे तेल की कीमत को तय करने वाला एकमात्र कारक नहीं है।
बैंक के एनालिस्ट ने कहा जैसे-जैसे अमेरिकी डॉलर में मजबूती आ रही है वैसे वैसे कच्चे तेल की कीमत नीचे जा सकती है। बैंक ने कहा डॉलर में मजबूती आने के कारण कच्चे तेल की कीमत 20 से 25 डॉलर बैरन प्रति बैरल कम हो सकती है।
बैंक ने अनुमान दिया है कि 2016 में ब्रेंट की एवरेज प्राइस 49 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहेगी। कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के कारण सोने की कीमतों में तेजी आई है और इस वजह से सोने की मांग में भी बढ़ोतरी आई है।
सोने की कीमतों में इस साल चार प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हो चुकी है और सोना अब 26 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास बिक रहा है। बीते सप्ताह में सोने ने सबसे बेहतर परफॉर्मेंस किया है। ऐसा होने का बड़ा कारण दुनिया भर के बाजारों में आया उतार चढ़ाव और मध्य पूर्व एशिया में उत्पन्न सामरिक तनाव की स्थिति है। दूसरी तरफ चांदी की कीमतों में गिरावट का कारण ओद्योगिक इस्तेमाल में इसकी डिमांड में आई कमी को बताया जा रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में देखें तो कच्चे तेल की कीमतों आई ये भारी गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे दिनों की शुरुआत का संकेत दे रही हैं। ऐसा होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत में बड़ा योगदान कच्चे तेल के आयात का है।