साहित्य

हिन्दी साहित्य

Advertisement

तेरी आरज़ू

गर ना तारीफ तेरी होती, ना फिर मज़ाक मेरा होता गर ना ज़मीं तेरी होती, ना फिर आसमाँ मेरा होता कट जाते ज़िन्दगी [...]

कहाँ जाऊं ?

अब कितना मुस्कुरा कर दर्द को छुपाऊ अपने ग़मो में बस यूँ ही ऐसे खो जाऊं सहन नहीं होता ज़िन्दगी तेरे दूरियों का [...]

वो…

इस तरह हमसे, वो जुदा हो गए । जैसे इंसान नहीं, वो खुदा हो गए ।। [...]

ऐ मौला

नफरत की उमर मौला तू क्यूँ लम्बी बनाता है किसी एक को मनाऊ तो दूजा रूठ जाता है ये धरती तो तेरी है [...]
Advertisement