नव प्रभात के रूप 2018-07-102019-07-11कवि आलोक पाण्डेय Comment बीति रजनी तम से कोसों दूर दीप्त एक स्वच्छ सुदृढ , सुह्रद उदय नवल प्रभात धरा पर आती स्वर्णिम रश्मियाँ तप-त्याग प्रखर-पुँज की [...]
जीवन की धार समझ 2018-07-102019-07-11कवि आलोक पाण्डेय Comment जीवन की धार समझ ================== रूप चमका- चमका के यों ही ज्यों मतंग मलंग घुमत ह्वै फटी गुदरीया , लुटी डुगरिया मनवा फिरंगी [...]
आधार-समझ 2018-07-102019-07-11कवि आलोक पाण्डेय Comment जीवन की धार समझ ================== रूप चमका- चमका के यों ही ज्यों मतंग मलंग घुमत ह्वै फटी गुदरीया , लुटी डुगरिया मनवा फिरंगी [...]
आधार 2018-07-102019-07-11कवि आलोक पाण्डेय Comment जीवन की धार समझ ================== रूप चमका- चमका के यों ही ज्यों मतंग मलंग घुमत ह्वै फटी गुदरीया , लुटी डुगरिया मनवा फिरंगी [...]
राष्ट्रोत्कर्ष 2018-03-082018-03-08कवि आलोक पाण्डेय यह राष्ट्र मुझे करता अभिसींचित् प्रतिपल मलय फुहारों से , प्रतिदानों में मिले ठोकरों , धिकारों, दुत्कारों से , Advertisement जो लूट रहे [...]
“वह” 2018-03-042019-07-10कवि आलोक पाण्डेय वह वह हर दिन आता Advertisement सोचता बडबडाता,घबडाता कभी मस्त होकर प्रफुल्लता, कोमलता से सुमधुर गाता… न भूख से ही आकुल न ही दुःख [...]