पठानकोट हमले के बाद सीमा पार पाकिस्तान की और से आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने को लेकर नए नए उपायों पर मशक्कत शुरू हो गई है. सबसे पहले कदम के तौर पर ऐसे 40 संवेदनशील और असुरक्षित इलाकों को चिन्हित किया गया है जहां से घुसपैठ की सम्भावना बहुत अधिक है और नदी आदि के तटवर्ती हिस्सों की वजह से परंपराशील तरीकों से निगरानी करने में दिक्कतें आ रही हैं. इन 40 स्थानों को लेजर दीवार कड़ी कर सुरक्षित करने का प्लान तैयार किया जा रहा है. वर्तमान में भी बीएसएफ यानी सीमा सुरक्षा बल द्वारा इस तकनीक का इस्तेमाल घुसपैठ के लिए आसान 40 स्थानों में से महज पांच-छह स्थानों पर पहले से ही किया जा रहा है.
गुरदासपुर के बाद पठानकोट आतंकी हमले से चिंतित सरकार ने पंजाब से लगती पाकिस्तानी सीमा को पूरी तरह से सुरक्षित करने का इरादा कर लिया है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो सके. पिछली घुसपैठ की वारदातों की एनालिसिस करने से पता चला है कि सीमा पार से घुसपैठ कर आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादियों ने इन्हीं 40 असुरक्षित स्थानों का इस्तेमाल किया है.
पाठकों को बता दें कि सीमा पर इस लेजर दीवार तकनीक का प्रयोग काफी नया है और इसे 2015 में ही पहली बार आजमाया गया है. सबसे पहले इसका इस्तेमाल जम्मू सेक्टर में किया गया था. इसका इस्तेमाल शुरू किए जाने के बाद इस इलाके से घुसपैठ की संभावना लगभग समाप्त हो गई थी. अब जबकि गुरदासपुर और पठानकोट में बड़े आतंकी हमले हुए हैं, तब गृह मंत्रालय ने पंजाब से लगती सीमाओं के असुरक्षित इलाकों की पहचान कर इस तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है. मंत्रालय की योजना धीरे-धीरे पंजाब के अलावा गुजरात और राजस्थान के उन इलाकों में भी लेजर दीवार खड़ी करने की है जहां से घुसपैठ की रत्ती भर भी गुंजाइश बचती है.
लेजर दीवार खड़ी करने की यह तकनीक घुसपैठ रोकने में बेहद कारगर हैं. इसका इस्तेमाल उन जगहों पर किया जाता हैं जहां बाड़ लगाना संभव नहीं है. जैसे कि नदियों के ऊपर और दलदली इलाकों में. इसमें कोई वास्तविक दीवार नहीं दिखाई देती बल्कि लेजर किरणों की एक अदृश्य दीवार होती है. लेजर बीम नदी के आरपार दौड़ती रहती है. इसमें लेजर बीम को तेज सायरन से जोड़ा गया होता है. ऐसे में लेजर सोर्स और डिटेक्टर के बीच से जैसे ही कोई व्यक्ति या वस्तु गुजरता है, एक तेज सायरन बजने लगता है, जिससे सुरक्षा बल के जवान मुस्तैद हो जाते हैं और आतंकवादियों या घुसपैठियों के हिलाफ कार्यवाही करना आसान हो जाता है. ऐसे में घुसपैठिये अपने मनसूबे में कामयाब नहीं हो पाते.
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गौरतलब है कि पठानकोट आतंकी हमले के बाद 9 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान बमियाल गांव में उज नदी पर स्थित सीमा लेजर दीवार तकनीक से सुरक्षित की गई थी. यहां नदी का पाट करीब 130 मीटर चौड़ा है और इस पर नजर रखने के लिए नदी के दोनों तरफ बीएसएफ की चौकी व कैमरा लगाए गए हैं. फिर भी बीएसएफ कर्मी और कैमरे आतंकवादियों की घुसपैठ पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाये क्यूंकि घुसपैठ रात के अँधेरे में होने की संभावना बताई जा रही है.