Bina aasan bichaye puja kyon nahin karni chahiye?
पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है। नियमित रूप से पूजन करने के अनेक लाभ है, लेकिन पूजा का फल तभी मिलता है जब पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाए।
हमारे धर्म शास्त्रों में पूजन के समय के अनेक नियम बताए गए हैं। उन्हीं में से एक विधान है – पूजा के समय आसन बिछाने का। आसन को पूजन के समय बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।इसीलिए किसी भी तरह की पूजा की जाती है या हवन किया जाता है तो जिस भी देवता का आवाहन किया जाता है, उन्हें मंत्रों द्वारा आसन ग्रहण करवाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि बिना आसन के पूजा या जप करते हैं तो उस पूजा से मिलने वाली ऊर्जा पृथ्वी में चली जाती है। आसन ऊर्जा को पृथ्वी में जाने से रोक लेता है। बगैर आसन बिछाए बैठने से हमारे शरीर का सीधा संबंध पृथ्वी से हो जाता है और वह पूजन के द्वारा या अध्ययन के द्वारा हमारे शरीर में एकत्रित की गई ऊर्जा को अपने अन्दर खींच लेती हैं। आसन उस ऊर्जा को पृथ्वी में समाने से रोकने का कार्य करता हैं और हमारें शरीर में संचित ऊर्जा को स्थिर बनाए रखता हैं, जिससे कि हमें किसी भी जप या पूजन का पूरा फल प्राप्त हो सकें।
ऐसा कहा जाता है कि हर पूजा करने वाले व्यक्ति को अपना आसन अलग रखना चाहिए। इससे पूजा के सकारात्मक परिणाम जल्दी मिलने लगते हैं। साथ ही रोज एक ही आसन पर बैठकर पूजा करने से पूजा के समय ध्यान स्थिर रहता है। जिस आसन पर बैठकर पूजा की जाती है – शास्त्रों के अनुसार उसे पैर से खिसकाना भी उचित नहीं माना गया है।
किस प्रकार के आसनों का उपयोग पूजा व अध्ययन में नही करना चाहिए?:
जिस प्रकार से किसी भी पूजन में पूजा के समस्त विधि व सामग्री का महत्व होता है, उसी प्रकार से पूजन में प्रयुक्त होने वाला आसन भी उतना ही महत्त्व रखता है। ब्रह्माण्डपुराण और तंत्रसार में आसन के लिए कहा गया हैं कि भूमि पर बैठकर पूजा करने से दुःख, पत्थर पर बैठकर पूजा करने से रोग, पत्तों के आसन पर बैठकर पूजा करने से मन का भय, लकड़ी के आसन पर बैठकर पूजा करने से दुर्भाग्य, घास-फूस पर बैठकर पूजा करने से अपयश, कपड़े के आसन पर बैठने से हानि व बांस के आसन पर बैठकर पूजा करने से गरीबी आती है।