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भगवान महावीर के प्रेरणादायक वचन – Bhagwan Mahavir ke Prerak Vachan

जिस प्रकार बिना जल के धान नहीं उगता उसी प्रकार बिना विनय के प्राप्त की गई विद्या फलदायी नहीं होती। – भगवान महावीर

essay on bhagwan mahavir in hindi, Bhagwan Mahavir ke Prerak Vachanभोग में रोग का, उच्च-कुल में पतन का, धन में राजा का, मान में अपमान का, बल में शत्रु का, रूप में बुढ़ापे का और शास्त्र में विवाद का डर है। भय रहित तो केवल वैराग्य ही है। – भगवान महावीर

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पीड़ा से दृष्टि मिलती है, इसलिए आत्मपीड़न ही आत्मदर्शन का माध्यम है। – भगवान महावीर

आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, ममत्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता। – भगवान महावीर

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वह पुरुष धन्य है जो काम करने में कभी पीछे नहीं हटता, भाग्यलक्ष्मी उसके घर की राह पूछती हुई चली आती है। – भगवान महावीर

दूसरों को दण्ड देना सहज है, किन्तु उन्हें क्षमा करना और उनकी भूल सुधारना अत्यधिक कठिन कार्य है। – भगवान महावीर

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तीन बातें कभी न भूलें – प्रतिज्ञा करके, क़र्ज़ लेकर और विश्वास देकर। – भगवान महावीर

जिसे खुद का अभिमान नहीं, रूप का अभिमान नहीं, लाभ का अभिमान नहीं, ज्ञान का अभिमान नहीं, जो सर्व प्रकार के अभिमान को छोड़ चुका है, वही संत है। – भगवान महावीर

परमात्मा की शक्ति अमर्याद है, सिर्फ हमारी श्रद्दा अल्प होती है। – भगवान महावीर

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Bhagwan Mahavir ke Prerak Vachan

आपात स्थिति में, मन को डांवाडोल नहीं होने देना चाहिए। – भगवान महावीर

किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जियो ओर दूसरों को भी जीने दो। – भगवान महावीर

गुणों से मनुष्य साधु होता है और अवगुणों से असाधु। सद्गुणों को ग्रहण करो और दुर्गुणों को छोड़ दो। – भगवान महावीर

जो अपनी ही आत्मा द्वारा अपनी आत्मा को जानकर राग और द्वेष में समभाव रखता है, वह पूज्य है। – भगवान महावीर

सभी प्राणियों को अपनी-अपनी आयु प्रिय है। सुख अनुकूल है, दुख प्रतिकूल है। वध अप्रिय है, जीना प्रिय है। सब जीव दीर्घायु होना चाहते हैं। – भगवान महावीर

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