चाचा नेहरु पर लघु कविता- Short Poem on Children’s day
चाचा नेहरु का बच्चों से
था बहुत पुराना नाता
जन्म दिवस चाचा नेहरु का
बाल दिवस कहलाता
मुश्किल है बचपन को भुलाना- Bal Diwas Poem
वो यारों की यारी में सब भूल जाना
और डंडे से गिल्ली को दूर उड़ाना
वो होमवर्क से जी चुराना
और टीचर के पूछने पर बहाने बनाना
मुश्किल है बचपन को भुलानावो एग्जाम में रटते लगाना,
फिर रिजल्ट के डर से घबराना!
वो दोस्तों के साथ साईकिल चलान
वो छोटी-छोटी बातो पर रूठ जाना
मुश्किल है बचपन को भुलाना
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बाल दिवस है आज साथियों- कविता
बाल-दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल ।
जगह-जगह पर आज मची है, खुशियों की रेलमपेल ।वर्षगाँठ चाचा नेहरू की, फिर से आई है आज.
उन जैसे नेता पर पूरे भारतवर्ष को है नाज।
दिल से इतने भोले थे वो, जितने हम नादान,
बूढ़े होने पर भी मन से थे वे सदा जवान ।
हमने उनसे मुस्काना सीखा, सारे संकट झेलहम सब मिलकर क्यों न रचाए ऐसा सुख संसार
जहां भाई भाई हों सभी, छलकता रहे प्यार.
न हो घृणा किसी ह्रदय में, न द्वेष का वास.
न हो झगडे कोई, हो अधरों का हास.
झगडे नहीं परस्पर कोई, सभी का हो आपस में मेल.पड़े जरूरत देश को, तो पहन लें हम वीरों का वेश.
प्राणों से बढ़कर प्यारा है हमें अपना देश.
दुश्मन के दिल को दहला दें, डाल कर नाक नकेल
बाल दिवस है आज साथियों, आओ खेलें खेल.
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