Advertisement

बकरीद/ईद-उल-जुहा (बकरीद) का त्यौहार- हिंदी निबंध

बकरीद मुस्लमानो का प्रसिद्ध त्यौहार है. इसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जानते है. यह बलिदान का भी पर्व है. यह हर साल जुल हिज्जा के दसवे दिन मनाया जाता है.

bakrid essay in hindi

Advertisement

बकरीद की तैयारी त्यौहार के कई दिनों पहले से आरम्भ हो जाता है. परिवार के सभी सदस्य के लिए नये कपड़ें ख़रीदे जाते हैं. इस त्यौहार में बकरे की बलि देने का परिधान है. इसलिए बकरे ख़रीदे जाते है. बकरे की क़ुरबानी देने के बाद उसके गोस्त को तीन भागो में बाँट दिया जाता है. इसका एक भाग गरीबों के लिए, दूसरा भाग सम्बन्धियों ,तीसरा भाग परिवार के लिए रखा जाता है.

ऐसा माना जाता है,कि पैगम्बर हजरत इब्राहीम को ईश्वर की ओर से हुक्म आया कि वह अपनी सबसे प्यारी वस्तु की क़ुरबानी दे और हजरत के लिए सबसे प्यारा उनका बेटा था.

Advertisement

ईश्वर का हुक्म उनके लिए पत्थर का लकीर था. कुर्बानी से पहले उन्होंने इस विषय पर बेटे से बाँट की. बेटे ने पिता के फैसले को सही बताया और हस्ते-हस्ते क़ुरबानी के लिए तैयार हो गया. पिता और बेटे की भक्ति देखकर ईश्वर प्रसन्न हो गए और उन्होंने हजरत के बेटे की वजह एक जानवर को क़ुरबानी के लिए भेज दिया, और उसी दिन से इसे क़ुरबानी या बकरीद के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा.

Advertisement