Apke Ghar Ki Bhumi Mein Agar Hai Kuch Aisa To Samajh Lijiye Hai Bada Vastudosh
वास्तु शास्त्र में घर, ऑफिस, फैक्ट्री या किसी भी इमारत को खड़ा करने के लिए जिस ज़मीन का प्रयोग हो, उसका सही होना बेहद जरूरी है।
जब घर बनाने के लिए विभिन्न दिशाओं के बारे में हम सोच सकते हैं, कौन सी चीज़ कहां रखें यह सोचते हैं, इतना ही नहीं वास्तु शास्त्र के भीतर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाली वस्तुओं का भी प्रयोग कर सकते हैं। तो सही ज़मीन का चुनाव करना महत्वपूर्ण क्यों नहीं है?
क्यूंकि वह ज़मीन यदि बुरी ऊर्जाओं से ग्रस्त होगी, तो कभी उस घर को या उसमें रहने वाले लोगों को फलने नहीं देगी। वह ज़मीन निरंतर अपने बुरे प्रभाव से परिवार के सदस्यों की और विशेष तौर से घर के मुखिया की ज़िंदगी को बर्बाद करती रहेगी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र की दृष्टि एक खराब ज़मीन कैसी होती है? वह कौन सी बातें हैं जो एक ज़मीन को नकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करने वाला बनाती हैं?
दरअसल ऐसी कई चीज़ें हैं जो एक ज़मीन को वास्तु शास्त्र के लिहाज से गलत बनाती हैं। और यह लोगों की लापरवाही का ही नतीजा है, इसमें प्रकृति का कोई दोष नहीं है।
दरअसल लोग जब आसपास कोई खाली या उपयोग ना हो रही ज़मीन देखते हैं तो उस पर कूड़ा-कचरा फेंकना शुरू कर देते हैं। इतना ही नहीं पालतू जानवरों या आसपास मरे जानवरों के शव को ज़मीन में दफ्ना देते हैं।
कुछ लोग रक्त युक्त वस्त्रों को भी खाली पड़ी ज़मीन देखकर दफ्ना देते हैं। इसके अलावा कोई हड्डी, लोहा, किसी जानवर का अंग, कोयला, जली हुई लकड़ी, बाल, भस्म आदि चीज़ें जिस जमीन के भीतर दफ्न हो चुकी हों वह जमीन घर और ऑफिस बनाने के लिए सही नहीं है।
इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आप मकान, ऑफिस या फिर फैक्ट्री बनाने के लिए जमीन का चुनाव कर रहे हैं तो कुछ बातों का अवश्य ख्याल रखें। सबसे पहले कोशिश करें कि उस जमीन को कुछ फीट तक खुदवा कर जांच कर लें कि उसमें उपरोक्त बताई गई बुरी वस्तुएं ना गाड़ी गई हों।
यदि आपको कोई भी गलत वस्तु हासिल हो, तो उसे बाहर निकाल देना चाहिए। पूरी संतुष्टि करने के बाद ही जगह का उपयोग करें। लेकिन यदि उस ज़मीन में ही कुछ ऐसा दोष हो जिसकी वजह से वह इस्तेमाल ना हो सके, तो कैसे पता चलेगा।
दरअसल वास्तु शास्त्र के अनुसार एक ज़मीन में कई प्रकार के दोष होते हैं, जो आम तौर से पता लगाना मुश्किल होता है। यदि इन दोषों से युक्त जमीन का इस्तेमाल कर लिया जाए, तो यह बर्बादी को आमंत्रित करने जैसा होता है।
लेकिन ये दोष मौजूद हैं या नहीं इसे पहचानने के लिए कुछ शास्त्रीय तरीके मौजूद हैं। जैसे कि देवी पुराण के अनुसार गृह निर्माण आरम्भ करते ही गृह स्वामी के किसी अंग में खुजली पैदा हो जाए तो उस प्लॉट में शल्य दोष हो सकता है।
शल्य दोष ज़मीन से संबंधित एक बहुत ही बुरा दोष माना जाता है। गृह निर्माण आरंभ करते ही या गृह प्रवेश के तुरंत बाद व्यापार में घाटा हो जाए तो समझें कि वहां कोई शल्य दोष है।
गृह प्रवेश के 2-3 साल के भीतर घर का कोई सदस्य चल बसे तो पूर्व दिशा में शल्य दोष होने की आशंका होती है। अग्रि कोण दक्षिण-पूर्व में शल्य हो तो राजदंड मिलता है। यदि घर बनाने के बाद परिवार के सभी या खासतौर से मुखिया काफी बीमार हो जाएं, तो हो ना हो घर की दक्षिण दिशा में शल्य दोष होगा।
दक्षिण-पश्चिम नैऋत्य में कुत्ते की हड्डी हो तो बच्चों को पीड़ा हो सकती है। उत्तर दिशा में शल्य हो तो संपन्न आदमी भी कंगाल हो सकता है। ईशान उत्तर-पूर्व दिशा में शल्य हो तो धन और पशु नाश होता है। घर के ब्रह्म स्थान में शल्य हो तो कुल का नाश हो सकता है।
ऐसे ही दोष का निवारण करने के लिए किसी अनुभवी वास्तु शास्त्री की सलाह लेनी चाहिए। वह आपको विभिन्न उपाय बता सकते हैं, जिससे घर के शल्य दोष को काटा जा सकता है।