‘अपलक नभ नील नयन विशाल’ में कौनसा अलंकार है?
‘अपलक नभ नील नयन विशाल’ में कौनसा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
‘अपलक नभ नील नयन विशाल’ में रूपक अलंकार है। इस काव्य पंक्ति में आकाश को अपलक विशाल नयन का रूप दिया गया है। इसमे आकाश पर निर्निमेष नयन का आरोप है इसलिए रुपक अलंकार है।
दूसरे शब्दों में कहें तो यह कहा जा सकता है कि आकाश का वर्णन एक विशाल नयन के रूप में किया गया है जो किसी सुंदर दृश्य को देख अपलक स्थिर खड़ा है। इसमे उपमेय ओर उपमान के मध्य कोई भेद नहीं है इसलिए रुपक अलंकार है।
इस उदाहरण में जहां जहां पर उपमेय और उपमान आए हैं, वो हमने विद्यार्थियों की सहायता के लिए नीचे लिख दिये हैं:-
उपमेय – उपमान
स्थिर आकाश – अपलक नयन
विशाल आकाश –विशाल नयन
जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
अथवा जहां उपमेय उपमान का रूप धारण कर ले वहां रूपक अलंकार होता है। रूपक अलंकार अर्थालंकार का एक प्रकार है।
‘अपलक नभ नील नयन विशाल’ में रूपक अलंकार से संबन्धित प्रश्न परीक्षा में कई प्रकार से पूछे जाते हैं। जैसे कि – यहाँ पर कौन सा अलंकार है? दी गई पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? दिया गया पद्यान्श कौन से अलंकार का उदाहरण है? पद्यांश की पंक्ति में कौन-कौन सा अलंकार है, आदि।
‘अपलक नभ नील नयन विशाल’ पंक्तियों में रूपक अलंकार के अलावा और कौन सा अलंकार उपस्थित है?
न वर्ण की आवृति के कारण अनुप्रास अलंकार भी है।
Important Alankar in Hindi अलंकार के उदाहरण एवं हिन्दी अलंकार पर प्रश्न जो परीक्षा में पूछे जा सकते हैं।
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- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
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हरि, मृगराज, व्याघ्र, मृगेन्द्र, केहरि, केशरी, वनराज