Advertisement

भारत के इस शहर में रहता है बौनों का सबसे बड़ा परिवार, हर रोज सुनना पड़ता है लोगो का ताना

यह कोई नहीं बात नहीं कि हमारे समाज में छोटी कद-काठी वाले लोगों को एक अलग नजरिये से देखा जाता है. ऐसी स्थिति को लेकर लोग बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं. लेकिन अगर वास्तव में देखा जाए तो ऐसे लोगों को हर रोज घर से निकलते ही कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

Advertisement

उदाहरण के तौर पर अगर देखा जाये तो बौनों को हमारे समाज में केवल हंसने के पात्र समझा जाता है. सर्कस हो या सिनेमा हर जगह बौनों को एक जोकर के रूप में पेश किया जाता है. कोई ये नहीं सोचता कि वो भी हमारी तरह एक इंसान हैं और उनके अंदर भी अच्छा और बुरा महसूस करने की क्षमता होती है.

लेकिन बौनों का एक ऐसा भी परिवार है जो समाज के तानों और मजाक को दरकिनार करते हुए हंसी-खुशी से अपना जीवन यापन कर रहा है. हम यहाँ बात कर रहे हैं हैदराबाद में रहने वाले राम राज और उनके परिवार की. राम और उनका परिवार समाज में रहने वाले बाकि लोगों से बिल्कुल अलग हैं. इतना ही नहीं राम का परिवार हैदराबाद का सबसे बड़ा बौनों का परिवार है.

Advertisement

राम के परिवार में ज्यादातर लोग बौने हैं. राम की 7 बहनें और 3 भाई थें. लेकिन इस बीमारी के चलते उनके परिवार के कई लोगों की मौत हो चुकी है. अब उनके परिवार में कुल 10 सदस्य हैं जिनमें से 9 छोटे कद-काठी के हैं. उनके परिवार में कुल 21 लोग हैं जिनमें से 18 लोग छोटे कद के(बौना) थें.

राम कहते हैं कि छोटे कद के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. छोटे पैर होने के कारण उन्हें पैदल चलने में भी काफी समस्या आती है. किसी वाहन में चड़ने या उतरने में भी उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अपने इस हालत के कारण उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को कई बार समाज के तानों का भी सामना करना पड़ता है. राम ने बताया कि, “जब हम बाहार जाते हैं तो हमसे अजीबो-गरीब सवाल पूछे जाते हैं. लोग पूछते हैं तुम कौन हो और कहाँ से आये हो. हर कोई हमे परेशान करता है.”

Advertisement

आम तौर पर कम कद-काठी वाले लोग ‘Achondroplasia’ नाम की बीमारी से ग्रसीत होते हैं. राम राज के मामले में भी उनकी कम कद का कारण यही बीमारी है. जानकारों के मुताबिक इस जेनेटिक बीमारी से ज्यादातर लोग ग्रसीत हैं. अधिकतर मामलों में इलाज संभव नहीं होता है नतीजन इससे ग्रसित व्यक्ति को पूरी उम्र इसी स्थिति में गुजारनी पड़ती है.

Advertisement