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व्यापारी और धोखेबाज़ मेजबान – अकबर बीरबल की कहानियाँ Akbar Birbal ki kahani

व्यापारी और धोखेबाज़ मेजबान – अकबर बीरबल की कहानियाँ Akbar Birbal ki kahani

एक बार बादशाह अकबर (Akbar) के शहर में एक व्यक्ति रहता था। उसके जीने का तरीका अजीब था। वह लोगों को बेवकूफ बनाकर पैसे कमाता था। एक बार वह बाजार में एक बहुत अमीर व्यापारी से मिला, जो बाहरी देश से आया हुआ था। वह इस शहर में नया था। इसलिए जब धोखेबाज ने उसे अपने घर रात के भोजन के लिए आमंत्रित किया, तो व्यापारी ने इस उम्मीद से आमंत्रण स्वीकार कर लिया कि इस नये शहर में उनके नये दोस्त बन जाएंगे।

व्यापारी और धोखेबाज़ मेजबान - अकबर बीरबल की कहानियाँ

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उस रात उन्होंने लाजवाब खाना खाया और बहुत देर तक बातें की। फिर व्यापारी और मेजबान सोने के लिए बिस्तर पर चले गये। अगली सुबह धोखेबाज ने व्यापारी से कहा, ”मैंने रात को आपको खाने पर आमंत्रित किया और एक अच्छे मेजबान की भूमिका निभाई। इस बात के लिए आप मुझे कैसे भुगतान करेगें?“

व्यापारी पूरी तरह भ्रमित था। उसने कहा, ”मैं नही जानता कि तुम किस बारे में बात कर रहे हो।“ धोखेबाज बोला, ”आपने मेरा हीरा चोरी कर लिया है। मैं उसे वापस चाहता हूं।“ व्यापारी ने कहा, ”मित्र मैं नहीं जानता कि तुम किस हीरे की बात कर रहे हो। मुझे बिल्कुल पता नहीं है।“

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उन दोनों में लड़ाई शुरू हो गई। आखिरकार वे दोनों इसके समाधान के लिए अदालत में जाने को तैयार हो गये। बादशाह अकबर (Akbar) दोनों की कहानी सुनकर हैरान हो गए। उन्होंने बीरबल (Birbal) को यह मामला सुलझाने को कहा।

धोखेबाज ने कहा, ”महाराज! मेरे पास गवाह है, जिसने व्यापारी को हीरा चोरी करते हुए देखा है।“

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बीरबल (Birbal) ने कहा, ”अपने गवाहों को बुलाओ। मैं इस बारे में उनसे कुछ पूछना चाहूंगा।“

एक नाई और दर्जी धोखेबाज के गवाह थे। बीरबल (Birbal) ने दोनों को अलग-अलग कमरों में बैठा दिया। फिर उन्हें मिट्टी का ढेर देकर हीरे के आकार के रूप में करने को कहा।

नाई ने अपने जीवन में कभी हीरा नहीं देखा था। उसके पिता ने उसे बताया था कि नाई का हीरा उसका उस्तरा होता है। इसलिए उसने मिट्टी को उस्तरे की तरह आकार दे दिया।“

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दर्जी की मां ने भी कहा था कि दर्जी का हीरा उसकी सुई होती है। इसलिए उसने मिट्टी को सूई की तरह आकार दे दिया।

जब बीरबल (Birbal) ने देखा कि दोनों गवाहों ने क्या बनाया है तो वह बोला, ”जहांपनाह! इन दोनों में से किसी ने भी हीरा नहीं देखा है। तो कैसे इन दोनों ने व्यापारी को हीरा चोरी करते हुए देखा है। यह कहानी झूठी है। व्यापारी निर्दोष है। यह साबित होता है कि धोखेबाज ने नाई और दर्जी को झूठे गवाह बनने के लिए रिश्वत दी है।“

व्यापारी ख़ुशी से वापिस अपने घर चला गया, जबकि धोखेबाज को कैद खाने में डाल दिया गया।

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