बादशाह अकबर (Akbar) कभी कभी नाराज होकर बीरबल (Birbal) के साथ अपना आपा खो देते थे। ऐसे ही एक अवसर पर, उन्होंने बीरबल (Birbal) को शाही दरबार छोड़ने को और कभी वापिस न लौटने को कहा। इससे बीरबल (Birbal) को बहुत दुख हुआ और एक रात उसने किसी को बताए बगैर शहर छोड़ दिया।
कुछ दिनों बाद, अकबर (Akbar) को बीरबल (Birbal) की याद आने लगी। उन्हें एहसास हुआ कि वह बेचारे बीरबल (Birbal) पर कुछ ज्यादा ही कठोर हो गए थे। इसलिए अकबर (Akbar) ने अपने दूत को पास के गांव और शहर में उसे देखने के लिए भेजा। लेकिन अफसोस! दूतों में से कोई भी बीरबल (Birbal) को खोज नहीं पाया।
अकबर (Akbar) ने सोचा, ”बीरबल (Birbal) ने अपना देश बदल लिया होगा। इसलिए दूत उसे खोजने में असफल हो रहे हैं। बीरबल (Birbal) को खोजने का कुछ और ही रास्ता होना चाहिए।“
अकबर (Akbar) ने सभी शहर के राजाओं को निमंत्रण पत्र भेजने के लिए अपने मंत्रियों को आदेश दिया। निमंत्रण पत्र पढ़ने में बहुत अजीब था, ”मेरे राज्य का समुन्द्र शादी करना चाहता है। आपके राज्य की सभी नदियां आदर सहित आमंत्रित हैं। शादी अगले सप्ताह होनी है इसलिए कृपया उन्हें शीघ्र भेजें।“
सभी राजाओं को जब यह निमंत्रण मिला तो वे बहुत हैरान हो हुए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे उत्तर में क्या लिखें। इसलिए उन्होंने निर्णय किया कि वे निमंत्रण का उत्तर नहीं देंगे और ऐसे नाटक करेंगे कि उन्हें निमंत्रण प्राप्त ही नहीं हुआ। लेकिन कुछ दिनों बाद, बादशाह अकबर (Akbar) को एक राजा का जवाब मिला। उसमें लिखा था, ”आपके आमंत्रण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हम शादी के लिए अपनी नदियों को खुशी – खुशी भेजना चाहते हैं, परन्तु हमारी नदियों ने अनुरोध किया है कि समुन्द्र को उन्हें लेने के लिए आधे रास्ते आना होगा।“
यह जवाब पढ़कर अकबर (Akbar) बहुत देर तक बहुत जोर से हंसने लगा। फिर वह बीरबल (Birbal) को वापस आने का अनुरोध करने के लिए अपने सैनिकों के साथ उस राजा के शहर गये। अकबर (Akbar) ने सही अनुमान लगाया था। दरअसल, बीरबल (Birbal) उसी राजा के साथ रह रहा था, जिसने जवाब भेजा था। अकबर (Akbar) जब बीरबल (Birbal) से मिले, तो बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा, ”मैं जानता था कि सिर्फ आप ही मेरे निमंत्रण का माकूल जवाब दे सकते हैं। मैं आपको चोट पहुंचाने के लिए माफी चाहता हूं। कृपया दरबार में लौट आईये।“
बीरबल (Birbal) भी यह देखकर बहुत खुश था कि बादशाह उसे लेने खुद आए हैं। उसने राजा को एक बड़ी विदाई देकर अकबर (Akbar) के साथ शहर छोड़ दिया।