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Hindi Essay – Deshatan se Labh par Nibandh

 देशाटन से लाभ पर लघु निबंध

मनुष्य जन्म से ही जिज्ञासु स्वभाव का है। वह प्रत्येक वस्तु को आश्चर्य के साथ देखने की बड़ी इच्छा रखता है। वह अपने जीवन में काम आने वाली वस्तुओं को देखने और जानने के सिवाय और भी वस्तुओं और पदार्थों को बार बार देखना समझना चाहता है। इस प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति एक जगह से दूसरी जगह आने जाने में आसानी से और अधिक अधिक रूप में हो जाती है। मनुष्य जब एक जगह से दूसरी जगह भ्रमण करता है, तब इसे हम देशाटन कहते हैं।

देशाटन के द्वारा मनुष्य कभी धरती पर तो कभी आसमान पर फिर कभी जंगलों मे मंगलगान करता है तो कभी विस्तृत और कठिन पहाड़ों पर विचरता है। कभी कभी तो वह नदियों और समुन्द्रों की छाती पर तैरता है तो कभी कभी वह बहुत दूर तक फैले हुए सुनसान रेत के टीलों पर और सपाट धरातल पर भी चल चलकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता रहता है। इस प्रकार मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार से भ्रमण कार्य करता हुआ अपने जीवन का विकास करने में संलग्न रहता है।

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Deshatan se Labh par Nibandhदेशाटन का आज जो स्वरूप प्राप्त है, वह आज से पूर्व के समय में न था। प्राचीन काल में देशाटन करना अत्यन्त कठिन कार्य था। उस समय देशाटन करना एक मनुष्य के लिए बड़ी चुनौती थी। मार्ग की विभिन्न कठिनाइयों का सामना करते करते मनुष्य कभी कभी अपनी हिम्मत हार जाता था, क्योंकि उस समय उसे आज जैसे पर्याप्त साधन प्राप्त नहीं थे। इसलिए वह साधनों के अभाव में बहुत ही कष्टों को झेला करता था। लेकिन आज मनुष्य को सब प्रकार की सुविधाएँ विज्ञान के द्वारा प्राप्त हो चुकी है। इसलिए उसे देशाटन करने में कोई बाधा नहीं होती है। यही कारण है कि आज वह अधिक से अधिक देशाटन करने में अपनी रूचि को बढ़ाता जा रहा है।

देशाटन से मनुष्य को विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इन लाभों में ज्ञान की प्राप्ति सर्वप्रथम है। ज्ञान की प्राप्ति के द्वारा मनुष्य अपने जीवन को और अधिक विकास के पथ पर ले जाता है। यों तो ज्ञान की प्राप्ति के साधन पुस्तकें हैं, लेकिन देशाटन से जितना अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त होता है उतना पुस्तकों से नहीं होता है। पुस्तकों के द्वारा केवल ज्ञान प्राप्त होता है। इससे अनुभव प्राप्त नहीं होता है। लेकिन देशाटन के द्वारा तो ज्ञान के साथ अनुभव और दर्शन भी आसानी से हो जाता है। अतएव देशाटन ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा साधन और आधार है। इसे हम दूसरे प्रकार से समझ सकते हैं कि देशाटन के द्वारा हम जिन जिन स्थानों, वस्तुओं और पदार्थों के स्पर्श, दर्शन तथा ज्ञान से अनुभव प्राप्त करते हैं, वे किसी और साधन के द्वारा न तो सम्भव है और न उनकी कोई कल्पना ही की जा सकती है। इस प्रकार से देशाटन के द्वारा हम जहाँ जाते हैं, जिन स्थानों को देखते समझते हैं और जिनसे हमारा सम्पर्क सम्बन्ध बन जाता है, उन्हें हम भूल नहीं पाते हैं। यही नहीं, हम इन स्थानों की प्रकृति, दशा, जलवायु, स्थिति, प्रभाव आदि के विषय में जो कुछ भी ज्ञान प्राप्त करते हैं, वे हमारी आँखों के सामने आते हैं। इनसे हम व्यावहारिक और व्यक्तिगत ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।

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देशाटन के द्वारा हम विभिन्न प्रकार के स्थानों की क्रिया-व्यापार, कला- कौशल, रहन-सहन आदि का पूर्णरूप से ज्ञान प्राप्त करके इन्हें हम अपने जीवन में अपेक्षित सुधार या विकास लाते हैं। देशाटन से सबसे बड़ा लाभ यह भी होता है कि हम विभिन्न प्रकार के स्थानों और प्रकृति के विषय की पहचान करके किसी आवश्यकता के समय हम बेपरवाह या अज्ञानी बने नहीं रह सकते हैं। इसलिए यह कहना सच ही है कि देशाटन से हमें चेतना, सावधानी, चौकसी, समझदारी, सतर्कता, स्वावलम्बन आदि महान गुण प्राप्त होते हैं। इन्हें पाकर हम अपने जीवन का समुन्नत और अत्यधिक क्रियाशील बनाने में समर्थ होते हैं।

देशाटन के और लाभों के साथ एक यह भी लाभ है कि देशाटन से हमें भरपूर मनोरंजन होता है। देशाटन के द्वारा हम अपने मन और हदय को खिला देते हैं, जैसे उन्हें नवजीवन मिल गया हो। देशाटन के द्वारा कभी ऊँचे-ऊँचे पर्वतों, मैदानों, और घाटियों में घूमते फिरते हम बाग बाग हो उठते हैं, तो कभी समुन्द्र की तरंगों पर उछलते हुए आनन्द से झूम उठते हैं। कभी कभी तो हम ऐतिहासिक स्थलों को देख देखकर के अपनी कोमल भावनाओं के कारण आँसू बहाने लगते हैं तो कभी कभी म्यूजियम, अजायबधर, कला भवन, आकाश को छूने वाले भवनों, शहरों, रंग बिरंगे उद्यानों आदि को देखकर हम अपने तनमन की सुधि खो बैठते हैं। देशाटन से जो लाभ प्राप्त होते हैं, उनमें स्वास्थ्य लाभ भी एक बहुत बड़ा लाभ है। यह देशाटन का बहुत बड़ा लाभ है। इससे हमारे स्वस्थ्य में बहुत वृद्धि होती है। हमारा मन और मस्तिष्क सुन्दर ढंग से काम करने लगता है।

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देशाटन करने वाला व्यक्ति जीवन में निरन्तर आगे बढ़ता ही जाता है। वह विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों और परेशानियों पर विजय प्राप्त कर रहता है। देशाटन से हमें लाभ ही लाभ हैं। इसलिए हमें यथासयम और यथाशक्ति अवश्य देशाटन करना चाहिए।

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