ऋणकर्ता पिता शत्रुर्माता च व्यभिचारिणी। भार्या रुपवती शत्रुः पुत्र शत्रु र्न पण्डितः॥
ऋण करनेवाला पिता शत्रु के समान होता है| व्यभिचारिणी मां भी शत्रु के समान होती है । रूपवती पत्नी शत्रु के समान होती है तथा मुर्ख पुत्र भी शत्रु के समान होता है ।
सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा। शान्तिः पत्नी क्षमा पुत्रः षडेते मम बान्धवाः॥
सत्य मेरी माता है, ज्ञान पिता है, भाई धर्म है, दया मित्र है, शान्ति पत्नी है तथा क्षमा पुत्र है, ये छः ही मेरी सगे- सम्बन्धी हैं ।
स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवाः सत्पुरुषाः पिताः। ज्ञातयः स्नानपानाभ्यां वाक्यदानेन पण्डिताः॥
देवता, सज्जन और पिता आपके स्वभाव से, भाई- बन्धु स्नान- पान से तथा विद्वान आपकी वाणी से प्रसन्न होते हैं ।