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भारत में इलैक्ट्रोनिक्स का विकास Electronics essay in Hindi –

Electronics essay in Hindi –

यह हम भली भाँति जानते हैं कि आज विज्ञान के जो भी चमत्कार दिखाई दे रहे हैं, उनमें से अधिकांश इलैक्ट्रिक से ही सम्बन्धित हैं। इस दृष्टिकोण से आज के युग को अगर इलैक्ट्रोनिक्स का युग कहा जाता है, तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं है और न यह कोई असत्य होता है। वास्तव में विज्ञान ने इलैक्ट्रोनिक्स की आज धूम मचा दी है। सच कहा जाए तो विज्ञान का प्राण इलैक्ट्रोनिक्स ही है या विज्ञान इलैक्ट्रोनिक्स पर ही आधारित है। यही कारण है कि विश्व के जो विकसित राष्ट्र हैं, उन्होंने इलैक्ट्रोनिक्स को बहुत महत्व दिया है।bharat mein electronics

हम यह भी भली भांति जानते हैं कि आज के विज्ञान के दो प्राण तत्व हैं- इलैक्ट्रोनिक्स और टेक्नोलाजी। इन दोनों का प्रभाव अपने अपने परिक्षेत्र में अत्यन्त व्यापक और सक्रिय रूप से है। इलैक्ट्रोनिक्स के द्वारा जहाँ हम एक से एक उद्योग-व्यापार, सम्पर्क आदि सफलतापूर्वक और सुविधापूर्वक किया करते हैं, वहीं टेक्नोलजी के द्वारा हम विभिन्न प्रकार के कार्यों को भी सम्पन्न कर डालते हैं, जो केवल इलैक्ट्रोनिक्स के द्वारा संभव नहीं है। दूसरी ओर जो इलैक्ट्रोनिक्स के द्वारा हम महत्वपूर्ण और आवश्यक कार्यों को परिपूर्ण कर लेते हैं, वह टेक्नोलाजी के द्वारा भी संभव नहीं है। टेक्नोलाजी के दो रूप हमें आज प्राप्त हुए हैं- एक परमाणु विज्ञान और दूसरा अंतरिक्ष विज्ञान। इन दोनों प्रकार के विज्ञानों से हम अपना विश्वस्तरीय महत्व सिद्ध करने में सफल हुए हैं। अतएव टेक्नोलाजी और इलैक्ट्रोनिक्स का आज विशेष महत्व सिद्ध हो रहा है।

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यों तो भारत में इलैक्ट्रोनिक्स का उदय सन् 1950 से हो गया था, लेकिन इसका अत्यधिक विकास लगभग 20 वर्षों के बाद हुआ। अतः भारत में इलैक्ट्रोनिक्स की बढ़ी हुई शक्ति सन् 1970 के आस पास दिखाई पड़ी। इससे भारत ने आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में बहुत बड़ी कामयाबी प्राप्त की है। इस दृष्टिकोण से आत्मनिर्भरता के लिए सही सिद्धान्तों और नीतियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए सन् 1971 के फरवरी माह में इलैक्ट्रोनिक्स आयोग का गठन किया गया। भारत में इस आयोग के गठन के फलस्वरूप लघु और बड़े उद्योग कलकारखानों को संगठित करके लगभग 150 बड़े करखाने और लगभग 2000 छोटे कारखाने स्थापित किए गए। उनसे उपयोगी और श्रेष्ठ इलैक्ट्रोनिक्स के उपकरण और पुर्जे तैयार किए जाते हैं। इन दोनों प्रकार की कारखानों की उत्पादन आय और क्षमता सन् 1980 तक 806 करोड़ के आस पास हो गई, जो पूर्व उत्पादन आय की तुलना में अधिक संतोषजनक और अपेक्षित है।

इलैक्ट्रोनिक्स आयोग के गठन के बाद ही उपभोक्ता उपकरणों, इलैक्ट्रोनिक्स की वस्तुएँ, औद्योगिक इलैक्ट्रोनिक्स के उपकरण, पुर्जे, संचार, उपकरण, वायु उपकरण, सैनिक उपकरण, कम्प्यूटर, नियंत्रक यंत्र आदि की प्रणालियाँ भी लागू की गईं।

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देश में जगह जगह फैले हुए इलैक्ट्रोनिक्स संस्थान जैसे- भारत इलैक्ट्रोनिक्स, इंडियन टेलीफोन इण्ड्रस्ट्रीज, इन्स्ट्र-मेन्टेशन लिमिटेड, एच टी एल, सेण्ट्रल इलैक्ट्रोनिक्स, हिन्दुस्तान ऐरोनाटिक्स लिमिटेड आदि नई विकसित टेक्नोलाजी हैं, जिनसे हमारी बड़ी से बड़ी परियोजनाएँ संचालित होती हैं। इनसे हमारे उद्योगों की कार्यक्षमता पूर्वापेक्षा अधिक बढ़ गई है। इसी प्रकार से विकास की रूपरेखा को अधिक सजीव और ताकतवर बनाने के लिए खनन कम्प्यूटर डेटाबेस, समुन्द्री यंत्र प्रणाली, माइक्रोवेव संचार, माइक्रो प्रोफेसर प्रणाली, फाइवर आप्टिकस, मौसम विज्ञान आदि विभिन्न क्षेत्रों का चयन, अनुसंधान ओर विकास की दृष्टि से किया गया है। इसी तरह से पूरे देश में 18 इलैक्ट्रोनिक्स परीक्षण केन्द्रों और विकास केन्द्रों की भी स्थापनाएँ करके विभिन्न प्रकार के तकनीकी उद्योगों के द्वारा राष्ट्रीय उद्योग की गति को तेज किया जा रहा है। न केवल केन्द्र सरकार ने ही अपितु विभिन्न राज्य सरकारों यथा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तामिलनाडू, बंगाल, जम्मू कश्मीर  आदि ने भी जगह जगह इलैक्ट्रोनिक्स केन्द्रों की स्थापनाएँ की हैं। इस प्रकार से भारत में इलैक्ट्रोनिक्स की शक्ति दिनोदिन बढ़ रही है।

(600 शब्द words)

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