यदि आपके जीवन में संघर्ष का समय है, हर काम में असफलता हाथ लग रही है और प्रयास विफल होते दिख रहे हैं तो स्वामी विवेकानन्द के इन प्रेरणादायी वचनों को पढ़कर आपके अंदर ऊर्जा का संचार हो उठेगा और आप हर मुश्किल को ठोकर मार कर विजयपथ पर बढ़ चलेंगे !
विवेकानंद के प्रेरक अनमोल वचन
जीवन भर की कमाई के खो जाने से बुरा क्या हो सकता है? उस आशा और हिम्मत का खो जाना जिसके बल पर आप सब कुछ वापस पा सकते हैं !
व्यक्ति को आशावान रहना चाहिए. आपका खुद पर विश्वास ही सफलता की पहली सीढ़ी है. जीवन में उतार चढाव तो आएगा ही परन्तु बुरे पल में आप हिम्मत न हारें तथा दृढ निश्चय एवं लगन के बल पर जीत सुनिश्चित करें.
जब तक आपका स्वयं पर विश्वास नहीं होगा, आप भगवान् पर विश्वास नहीं कर सकते.
अपने आप पर विश्वास करने बेहद महत्वपूर्ण है. किसी भी कार्य में आप आत्मविश्वास के बिना सफल नहीं हो सकते. और भगवान् में विश्वास करना तो बहुत बड़ा कार्य है.
हजारों ठोकर खाकर ही तुम्हारे दॄढ़ व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है। इसलिए आगे बढ़ो, गिरो, संभलो, उठो और फिर आगे बढ़ो। सफलता तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है !
जीवन में हमारे सामने छोटी – छोटी मुश्किलें आती ही रहती हैं लेकिन मुश्किलें हमारे व्यक्तित्व में मजबूती लाती हैं। क्यूंकि जो व्यक्ति छोटी मुश्किलों से घबरा कर ही पीछे हट जाता है वह खुद को कभी भी मानसिक इतना मजबूत और सक्षम महसूस नहीं कर पाता कि वह जीवन में ऐसा कोई बड़ा काम कर पाये जो उसके जीवन में बड़ा बदलाव ला कर उसे उन्नति के शिखर पर पहुंचा दे।
यदि आपके जीवन में कोई समस्या नहीं आ रही तो आप यह मान सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं.
अर्थात, समस्याएं जीवन का अभिन्न अंग हैं. हर महान कार्य को करने से पहले समस्याएं आती हैं. जब भी आप अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कोई कार्य करेंगे तो उसमें बाधाएं आएंगी ही. समस्याओं का आना तभी रुकेगा जब आप सब कुछ छोड़ कर कुछ न करें, जो एक गलत मार्ग है.
उठो, जागो और तब तक न रुकना जबतक तुमने लक्ष्य की प्राप्ति न कर ली.
खुद पर विश्वास करो, अपनी आँखें खोलो. इस जीवन में असंभव कुछ भी नहीं. बाधाएं तो आनी ही हैं. उन्हें पार करते जाओ और एक समय आएगा जब आप लक्ष्य का सीना भेद देंगे.
धन का प्रयोग सिर्फ दूसरों की भलाई में होना चाहिए. वर्ना यह अहंकार एवं विलासिता का स्त्रोत बन जाता है.
जब हमारे जीवन में सब अच्छा चल रहा हो उन्नति के पथ पर दिन-दूनी, रात चौगुनी प्रगति कर रहे हों, तब हमारे अंदर विनम्रता का भाव उत्पन्न होना चाहिए न कि अहंकार का। हमें उस समय प्राप्त धन-सम्पदा और अधिकारों को प्रयोग दूसरों की भलाई के लिए करना चाहिए और अपने आप को दूसरों की भलाई करनी चाहिए।
उठो तो समुद्र से भाप की तरह जो बादल बनती है, गिरो तो बादल से बूँद की तरह जो बारिश बनती है।
जिस तरह समुद्र से उठती हुई भाप में पानी अपना अस्तित्व ही मिटा देता है। उसी तरह जब हमारे जीवन में मुश्किलें आएं और क्षण भर के लिए हमारी प्रगति रुक जाए तो हमें और भी विनम्र हो कर झुक जाना चाहिए ताकि सेवा भाव के द्वारा जीवन के कठिन हालात में गिरते हुए भी संसार में हमारा सर्वत्र स्वागत ही हो जैसे बादल की ऊंचाइयों से बारिश की बूँद का होता है। इस तरह गिरने से हमें फिर से खुद को समेट कर जीवन में उठने का अवसर मिलता है।
मजबूत इरादे ही तुम्हें जीवित रखते हैं और मन की दुर्बलता तुम्हें मृत्यु की और ले जाती है
जो इंसान कठिन समय और हजारों बाधाओं के सामने भी अपने इरादों को दृढ़ रखता है और सफलता की आशा से मुस्कुराता रहता है उसकी जीत निश्चित है। धरा-धाम और आकाश की कोई कठिनाई उसे परास्त नहीं कर सकती। लेकिन जो इंसान मन से हार मान चुका हो उसकी जीवन में पराजय निश्चित है।
जो धन दूसरों की भलाई के काम आये, उसी का कुछ मूल्य है वरना धन सिर्फ बुराई का भण्डार है
संचित किया हुआ धन किसी के काम नहीं आता। वह उसी प्रकार व्यर्थ है जैसे कूड़े का एक ढेर। लेकिन जिस धन को संसार के अन्य मनुष्यों के उत्थान के लिए पुरुषार्थ द्वारा खर्च किया जाये और सामाजिक कार्यों के लिए लगाया जाये वह धन अमोल है, ऐसे धन का संचय वास्तव में सार्थक होता है।
अगर जीवन में कुछ पाप है तो वह है ये कहना कि मैं निर्बल हूँ ! अगर कुछ अधर्म है तो वह है यह कहना कि यह मेरे लिए असंभव है !
ईश्वर ने सभी मनुष्यों को आत्मबल का वरदान दिया है। कोई भी मनुष्य अपने इरादे पक्के कर यदि प्रयास करे तो वह सफल हो सकता है। ऐसे मनुष्य में धन और शरीर की निर्बलता आड़े नहीं आती। ऐसे में खुद की सामर्थ्य को निर्बल करके आंकना घोर पाप के समान है।
आशा है स्वामी विवेकानन्द के प्रेरणादायी वचन आपके जीवन में नयी आशा, उत्साह और सफलता का संचार करेंगे !