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शादी में सात फेरे और सात वचन ही क्यों?

Shadi (Vivah) mein sat fere aur sat hi vachan kyon hote hain?

हिन्दू धर्म के अनुसार सात फेरों के बाद ही शादी की रस्म पूर्ण होती है। सात फेरों के बाद सात वचन लिए जाते हैं। वर और कन्या द्वारा सात वचन लिए व दिए जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि हमारी संस्कृति में सात अंक का बहुत अधिक महत्व है। प्रात काल मंगल दर्शन के लिए सात पदार्थ शुभ माने गए हैं। गोरोचन, चंदन, स्वर्ण, शंख, मृदंग, दर्पण और मणि इन सातों या इनमें से किसी एक का दर्शन अवश्य करना चाहिए। सात क्रियाएं मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसीलिए इन्हें रोज जरूर करना चाहिए। शास्त्रों में माता – पिता, गुरू, ईश्वर, सूर्य, अग्नि और अतिथि इन सातों को अभिवादन करना अनिवार्य बताया गया है।
ईर्ष्या, द्वेश, क्रोध, लोभ, मोह, घृणा और कुविचार ये सात आंतरिक अशुद्धियां बताई गई हैं। अतः इनसे सदैव बचे रहना चाहिए, क्योंकि इनके रहते ब्राह्मशुद्धि, पूजा – पाठ, मंत्र – जप, दान – पुण्य, तीर्थयात्रा, ध्यान योग तथा विद्या ये सातों निष्फल ही रहते हैं। इनका पालन करने से ये सात विषिश्ट लाभ होते हैं – जीवन में सुख, शांति, भय का नाष, विष से रक्षा, ज्ञान, बल और विवके की वृद्धि होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि दैनिक जीवन में छोटी से छोटी अनेक ऐसी क्रियाएं हैं, जिनमें सात की संख्या का बहुत महत्व है।
वर्ष एवं महीनों को सात दिनों के सप्ताह में विभाजित किया गया ह। सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं, जो सूर्य के प्रकाश से मिलने वाले सात रंगों में प्रकट होते हैं। आकाश में इंद्र धनुष के समय वे सातों रंग स्पष्ट दिखाई देते हैं। दाम्पत्य जीवन में इंद्रधनुशी रंगों की सप्तरंगी छटा बिखरती रहे इसीलिए शादी में सात फेरे व सात वचन लिए जाते हैं।

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