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NCERT Solutions Class 12 Charlie Chaplin Yani Hum Sab Vishnu Khare Chapter 15 Hindi Aroh

NCERT Solutions Class 12 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब विष्णु खरे Chapter 15 Hindi Aroh

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

पाठ के साथ

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प्रश्न 1: लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफी कुछ कहा जाएगा?
उत्तरचैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक निम्न कारणों के कारण काफी कुछ कहा जाएगा –

  1. पश्चिम में बार-बार चार्ली का पुनर्जीवन होता है।
  2. विकासशील दुनिया में जैसे-जैसे टेलीविजन और वीडियो का प्रसार हो रहा है, एक नया दर्शक वर्ग चार्ली की फिल्मों को देखने के लिए तैयार हो रहा है।
  3. चैप्लिन की ऐसी कुछ फ़िल्में या इस्तेमाल न की गई रीलें भी मिली हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता।

प्रश्न 2:” चैप्लिन ने न सि.र्फ. फिल्म-कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोडा।” इस पंक्ति में लोकतांत्रिक बनाने का और वर्ण-व्यवस्था तोड़ने का क्या अभिप्राय है? क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तरलोकतांत्रिक बनाने का अर्थ है कि फिल्म कला को सभी के लिए लोकप्रिय बनाना और वर्ग और वर्ण-व्यवस्था को तोड़ने का आशय है – समाज में प्रचलित अमीर-गरीब, वर्ण,जातिधर्म के भेदभाव को समाप्त करना। चार्ली ने दर्शकों की वर्ग और वर्ण व्यवस्था को तोड़ा। इससे पहले लोग जाति, धर्म, समूह या वर्ण के लिए फ़िल्म बनाते थे। कुछ कलात्मक फ़िल्में भी बनती थी जिनका भी दर्शक वर्ग विशिष्ट होता था, परंतु चार्ली ने ऐसी फ़िल्में बनाई जिनको देखकर आम आदमी आनंद का अनुभव करता था।

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चैप्लिन का चमत्कार यह है कि उन्होंने फिल्मकला को बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों तक पहुँचाया। चार्ली ने अपनी फ़िल्मों में आम आदमी को स्थान दिया इसलिए उनकी फिल्मों ने समय भूगोल और संस्कृतियों की सीमाओं को लाँघ कर सार्वभौमिक लोकप्रियता हासिल की। चार्ली ने यह सिद्ध कर दिया कि कला स्वतन्त्र होती है, अपने सिद्धांत स्वयं बनाती है। उन्होंने कला के एकाधिकार को समाप्त कर दिया था।

प्रश्न 3:लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण किसे कहा और क्यों? गाँधी और नेहरू ने भी उनका सन्निध्य क्यों चाहा?

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अथवा

चार्ली चैप्लिन का भारतीयकरण किन-किन रूपों में पाया जाता है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरलेखक ने चार्ली का भारतीयकरण राजकपूर जी को कहा क्योंकि उस समय वही एकमात्र नायक थे जो चार्ली की नकल किया करते थे। अपनी कई फ़िल्मों में उन्होंने चार्ली जैसी ऐक्टिंग (अभिनय) की। आवारा, श्री 420 आदि फ़िल्मों के माध्यम से राजकपूर जी ने चार्ली का भारतीयकरण किया। महात्मा गांधी से चार्ली का बहुत लगाव था। इसलिए श्री जवाहरलाल नेहरू और गांधी दोनों ही चार्ली का सान्निध्य चाहते थे ताकि उनकी क्षमताओं, उनकी कार्यकुशलता से कुछ सीखा जाए।

प्रश्न 4:लेखक ने कलाकृति और रस के संदर्भ में किसे श्रेयस्कर माना है और क्यों? क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण दे सकते हैं जहाँ कई रस साथ-साथ आए हों?
उत्तरलेखक ने कलाकृति और रस के संदर्भ में रस को श्रेयस्कर माना है। किसी कलाकृति में एक साथ कई रसों का मिश्रण हो तो वह समृद्ध व रुचिकर बनती है। जीवन में हर्ष व विषाद आते-जाते रहते हैं। करुण रस का हास्य में बदल जाना एक ऐसे रस की माँग करता है जो भारतीय परंपरा में नहीं मिलता। उदाहरणस्वरूप युवक-युवती लाइब्रेरी में बैठकर प्रेम वार्तालाप कर रहे हैं। उसी समय सुरक्षा अधिकारी उन्हें देखता है तो उनमें भय का संचार हो जाता है।

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प्रश्न 5:जीवन की जद्दोजहद ने चार्ली के व्यक्तित्व को कैसे संपन्न बनाया?

अथवा

उन सधर्षों का उल्लख कीजिए, जिनसे टकराते-टकराते चार्ली चेप्लिन के व्यक्तित्व में निखार आता चला गया।

अथवा

चार्ली चेप्लिन के जीवन-सघर्ष पर प्रकाश डालिए।
उत्तरचार्ली को जीवन बहुत संघर्षमय रहा है। उसने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किए है। हर संघर्ष और असफलता ने उसे अधिक ऊर्जावान बनाया है। वह कभी निराश नहीं हुआ। लोगों की सहायता करता रहा। कभी भी उसने संकटों की परवाह नहीं की। हर संकट को डटकर मुकाबला किया। वह अपनी माँ के पागलपन से संघर्ष करता रहा। सामंतशाही और पूँजीवादी समाज ने उसे ठुकरा दिया। गरीब चार्ली हर पल अपनी मंजिल के बारे में सोचता और उस तक पहुँचने का मार्ग खोजता । आखिरकार उसे अपनी मंजिल मिल ही गई। रोडपति से वह करोड़पति बन गया।

प्रश्न 6:चार्ली चेप्लिन की फ़िल्मों में निहित त्रासदी/करुणा/हास्य का सामंजस्य भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्रर की परिधि में क्यों नहीं आता?
उत्तरभारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र अनेक रसों को स्वीकृति देता है, परंतु चार्ली की फ़िल्मों में निहित त्रासदी/करुणा/हास्य का सामंजस्य को अलग मानता है। इसका कारण यह है कि यह रस सिद्धांत के अनुकूल नहीं है। यहाँ हास्य को करुणा में नहीं बदला जाता।’रामायण’ और’महाभारत में पाया जाने वाला हास्य दूसरों पर है, अपने पर नहीं। इनमें दर्शाई गई करुणा प्राय: सद्व्यक्तियों के लिए है, कभी-कभी वह दुष्टों के लिए भी है। संस्कृत नाटकों का विदूषक कुछ बदतमीजियाँ अवश्य करता है, परंतु वह भी दूसरों पर होती है।

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प्रश्न 7:चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर कब हँसता है?

अथवा

चार्ली सबसे ज़्यादा स्वय पर कब और क्यों हसता है?
उत्तरर्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर तब हँसता है जब वह अपने को स्वाभिमानी, आत्मविश्वास से पूर्ण, सफलता, सभ्यता, संस्कृति की प्रतिमूर्ति मानता है। जब वह स्वयं को दूसरों से ज्यादा शक्तिशाली और समृद्ध तथा श्रेष्ठ समझता है तब भी वह अपने पर हँसता है।

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पाठ के आसपास

प्रश्न 1:
आपके विचार से मूक और सवाकू फिल्मों में से किसमें ज्यादा परिश्रम करने की आवश्यकता है और क्यों?
उत्तर
मेरे विचार में मूक फ़िल्मों में ज्यादा परिश्रम की जरूरत होती है। सवाक् फिल्मों में भाषा के माध्यम से कलाकार अपने भाव व्यक्त कर देता है। वह वाणी के आरोह-अवरोह से अपनी दशा बता सकता है, परंतु मूक फिल्मों में हर भाव शारीरिक चेष्टाओं द्वारा व्यक्त किया जाता है। इस कार्य में अत्यंत दक्षता की जरूरत होती है।

प्रश्न 2:
सामान्यत: व्यक्ति अपने ऊपर नहीं हँसते, दूसरों पर हँसते हैं। कक्षा में ऐसी घटनाओं का जिक्र कीजिए जब-
() आप अपने ऊपर हँसे हों;
() हास्य करुणा में या करुणा हास्य में बदल गई हो।
उत्तर
() एक दिन मैं कक्षा में जाकर बैठ गया। मैं जल्दी-जल्दी में गलती से अपनी कक्षा में नहीं बैठा बल्कि दूसरी कक्षा में जा बैठा। जब टीचर पढ़ाने आया तो मैं उन्हें चुपचाप सुनता रहा। जब उन्होंने मुझसे प्रश्न पूछा तब मुझे लगा कि यह मेरी कक्षा नहीं है। मैंने तुरंत टीचर से कहा उन्होंने मुझे बाहर जाने की अनुमति दे दी। इस बात पर मैं बिना हँसे नहीं रह सका।

() हमारी विदाई पार्टी चल रही थी। बच्चे, अध्यापक सभी खूब मौज-मस्ती कर रहे थे। अचानक एक लड़के की चीख सुनाई दी सभी सहम गए। उसके दिल में जोर का दर्द उठा। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। हास्य करुणा में बदल गई। तभी हममें से एक छात्र ने उस छात्र से कहा कि तेरे दिल में दर्द किसके लिए हुआ। सभी जोर से हँसने लगे। वह छात्र भी हँसने लगा। करुणा हास्य में बदल गई।

प्रश्न 3:
‘चार्ली हमारी वास्तविकता हैं, जबकि सुपरमैन स्वप्न’। आप इन दोनों में खुद को कहाँ पाते हैं?
उत्तर
हम इन दोनों में खुद को चार्ली के नजदीक पाते हैं क्योंकि हम आम आदमी हैं और आम आदमी स्वप्न देखकर भी लाचार ही रहता है।

प्रश्न 4:
भारतीय सिनेमा और विज्ञापनों ने चार्ली की छवि का किन-किन रूपों में उपयोग किया है? कुछ फ़िल्मों (जैसे-आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर, मिस्टर इंडिया) और विज्ञापनों (जैसे-चैरी ब्लॉसस) को गौर से देखिए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 5:
आजकल विवाह आदि उत्सवों, समारोहों एवं रेस्तराँ में आज भी चार्ली चेप्लिन का रूपधरे किसी व्यक्ति से आप अवश्य टकराए होंगे। सोचकर बताइए कि बरजार ने चार्ली चौप्लिन का कैसा उपयोग किया है?
उत्तर
आजकल विवाह आदि उत्सवों, समारोहों एवं रेस्तरों में चार्ली चौप्लिन का उपयोग हँसी-मजाक के प्रतीक के रूप में किया जाता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1:
“” ….. तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।” वाक्य में ‘चार्ली’ शब्द की पुनरुक्ति से किस प्रकार की अर्थ-छटा प्रकट होती है? इसी प्रकार के पुनरुक्त शब्दों का प्रयोग करते हुए कोई तीन वाक्य बनाइए। यह भी बताइए कि संज्ञा किन स्थितियों में विशेषण के रूप में प्रयुक्त होने लगती हैं?
उत्तर
‘चार्ली’ शब्द की पुनरुक्ति से स्पष्ट होता है-आम मनुष्य होने के बाद यह मनुष्य की वास्तविकता को दर्शाता है।

  1. पानीपानी-रँगे हाथों पकड़े जाने पर रमेश पानी-पानी हो गया।
  2. लाललाल-बाग में लाल-लाल फूल खिले हैं।
  3. सुनसुन-लेक्चर सुन-सुनकर मैं बोर हो गया। जब किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व एक निश्चित क्षेत्र में विख्यात या कुख्यात हो जाता है तो उसके नाम (संज्ञा) का प्रयोग विशेषण की तरह होने लगता है; जैसे
    रोहन अपने क्षेत्र का अर्जुन है। यहाँ ‘अर्जुन’ संज्ञा का प्रयोग विशेषण की तरह किया गया है।

प्रश्न 2:
नीचे दिए वाक्यांशों में हुए भाषा के विशिष्ट प्रयोगों को पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए-

() सीमाओं से खिलवाड़ करना
() समाज से दुरदुराया जना
() सुदूर रूमानी संभावना
() सारी गरीसा सूह-चुझे गुब्बारे जैसी फुस्स हो उठेगी।
() जिसमें रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं।

उत्तर

() चार्ली की फ़िल्में पिछले 75 वर्षों से समाज को मुग्ध कर रही हैं। इनके प्रभाव ने समय, भूगोल व संस्कृतियों की सीमाओं का अतिक्रमण कर दिया।
() चार्ली को गरीबी व हीन सामाजिक दशा के कारण समाज से दुत्कारा गया।
() चार्ली की नानी खानाबदोशों के समुदाय की थीं। इसके आधार पर लेखक कल्पना करता है कि चालों में कुछ भारतीयता अवश्य होगी क्योंकि यूरोप में जिप्सी जाति भारत से ही गई थी।
() चार्ली जब जीवन के अनेक क्षेत्रों में स्वयं को श्रेष्ठतम दिखाता है तब एकाएक ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है कि उसकी गरिमा परिहास का रूप ले लेती है।
() चार्ली ने महानतम क्षणों में अपमान, चरमतम शूरवीर क्षणों में क्लैब्य व पलायन, लाचारी में भी विजय के उदाहरण दिए हैं। वहाँ रोमांस हास्यास्पद घटना से मजाक में बदल जाता है।

गौर करें

() दर असल सिद्धांत कला को जन्म नहीं देते, कला स्वयं अपने सिद्धांत या तो लेकर आती हैं या बाद में उन्हें गढ़ना पड़ता हैं।
() कला में बेहतर क्या हैं-बुद्ध को प्रेरित करने वाली भावना या भावना को उकसाने वाली बुद्ध?
() दरअसल मनुष्य स्वयं ईश्वर या नियति का विदूषक, क्लाउन, जोकर या साइडकिक हैं।
() सत्ता, शक्ति, बुद्धमत्ता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्ष में जब हम आईना देखते हैं तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता हैं।
() माडर्न टाइम्स द ग्रेट डिक्टेटर आदि फिल्में कक्षा में दिखाई जाएँ और फिल्मों में चार्ली की भूमिका पर चर्चा की जाए।
उत्तर
विदूयरर्थों इन पर स्वयं मनन की

अन्य हल प्रश्न

बोधात्मक प्रशन
प्रश्न 1:
चार्ली चैप्लिन की जिंदगी ने उन्हें कैसा बना दिया? ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ के आधार यर स्पष्ट र्काजिए।
उत्तर
चार्ली एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री के बेटे थे। उन्होंने भयंकर गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना सीखा। साम्राज्यवाद, औद्योगिक क्रांति, पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज का तिरस्कार उन्होंने सहन किया। इसी कारण मासूम चैप्लिन को जो जीवन-मूल्य मिले, वे करोड़पति हो जाने के बाद भी अंत तक उनमें रहे। इन परिस्थितियों ने चैप्लिन में भीड़ का वह बच्चा सदा जीवित रखा, जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है, जितना मैं हूँ और हँस देता है। यही वह कलाकार है, जिसने विषम परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लिया।

प्रश्न 2:
चार्ली चैप्लिन ने दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था की कैसे तोडा है?
उत्तर
चार्ली की फिल्में बच्चे-बूढ़े, जवान, वयस्कों सभी में समान रूप से लोकप्रिय हैं। यह चैप्लिन का चमत्कार ही है कि उनकी फिल्मों को पागलखाने के मरीजों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइंस्टाइन जैसे महान प्रतिभावाले व्यक्ति तक एक स्तर पर कहीं अधिक सूक्ष्म रसास्वाद के साथ देख सकते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हर वर्ग में लोकप्रिय इस कलाकार ने फिल्म-कला को लोकतांत्रिक बनाया और दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। कहीं-कहीं तो भौगोलिक सीमा, भाषा आदि के बंधनों को भी पार करने के कारण इन्हें सार्वभौमिक कलाकार कहा गया है।

प्रश्न 3:
चैप्लिन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण उन्हें भुलाना कठिन हैं?

अथवा

चार्ली के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
चैप्लिन के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं जिनके कारण उन्हें भुलाना कठिन है-

  1. चाली चैप्लिन सदैव खुद पर हँसते थे।
  2. वे सदैव युवा या बच्चों जैसा दिखते थे।
  3. कोई भी व्यक्ति उन्हें बाहरी नहीं समझता था।
  4. उनकी फिल्मों में हास्य कब करुणा के भाव में परिवर्तित हो जाता था, पता नहीं चलता था।

प्रश्न 4:
चार्ली चैप्लिन कौन था? उसके ‘ भारतीयकरण’ से लेखक का क्या आशय हैं?
उत्तर
चार्ली चैप्लिन पश्चिम का महान कलाकार था जिसने हास्य मूक फ़िल्में बनाई। उसकी फिल्मों में हास्य करुणा में बदल जाता था। भारतीय रस सिद्धांत में इस तरह का परिवर्तन नहीं पाया जाता। यहाँ फ़िल्म का अभिनेता स्वयं पर नहीं हँसता। राजकपूर ने ‘आवारा’ फिल्म को ‘द ट्रैम्प’ के आधार पर बनाया। इसके बाद ‘श्री 420’ व कई अन्य फ़िल्मों के कलाकारों ने चालों का अनुकरण किया।

प्रश्न 5:
भारतीय जनता ने चार्ली के किस ‘फिनोमेनन” को स्वीकार किया? उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
भारतीय जनता ने चार्ली के उस फिनोमेनन को स्वीकार किया जिसमें नायक स्वयं पर हँसता है। यहाँ उसे इस प्रकार स्वीकार किया गया जैसे बत्तख पानी को स्वीकारती है। भारत में राजकपूर, जानी वाकर, अमिताभ बच्चन, शम्मी कपूर, देवानंद आदि कलाकारों ने ऐसे चरित्र के अभिनय किए। लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण राजकपूर को कहा। उनकी फ़िल्म ‘आवारा’ सिर्फ ‘द ट्रैम्प’ का शब्दानुवाद ही नहीं थी, बल्कि चार्ली का भारतीयकरण ही थी।

प्रश्न 6:
पश्चिम में बार-बार चार्ली का पुनजीवन होता हैं।-कैसे?
उत्तर
लेखक बताता है कि पश्चिम में चाली द्वारा निभाए गए चरित्रों की नकल बार-बार की जाती है। अनेक अभिनेता उसकी तरह नकल करके उसकी कला को नए रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार चार्ली नए रूप में जन्म लेता रहता है।

प्रश्न 7:
चार्ली के जीवन पर प्रभाव डालने वाली घटनाओं का उल्लेख कीजिए।

अथवा

बचपन की किन दो घटनाओं ने चार्ली के जीवन पर गहरा एव स्थायी प्रभाव डाला?
उत्तर
चार्ली के जीवन पर दो घटनाओं का प्रमुख प्रभाव पड़ा, जो निम्नलिखित हैं

  1. एक बार चार्ली बीमार हो गया। उस समय उसकी माँ ने बाइबिल से ईसा मसीह का जीवन चरित्र पढ़कर सुनाया। ईसा के सूली पर चढ़ने के प्रसंग पर माँ बेटे दोनों रोने लगे। इस कथा से उसने करुणा, स्नेह व मानवता का पाठ पदा।
  2. दूसरी घटना चार्ली के घर के पास की है। पास के कसाईखाने से एक बार एक भेड़ किसी प्रकार जान बचाकर भाग निकली। उसको पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने वाले कई बार फिसलकर सड़क पर गिरे जिसे देखकर दर्शकों ने हँसी के ठहाके लगाए। इसके बाद भेड़ पकड़ी गई। चार्ली ने भेड़ के साथ होने वाले व्यवहार का अनुमान लगा लिया। उसका हृदय करुणा से भर गया। हास्य के बाद करुणा का यही भाव उसकी भावी फ़िल्मों का आधार बना।

प्रश्न 8:
‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ का प्रतिपादृय बताइए।
उत्तर
पृष्ठ-377 पर ‘पाठ का प्रतिपाद्य एवं सारांश’ में प्रतिपाद्य’ शीर्षक के अंतर्गत देंखें।

प्रश्न 9:
चार्ली की फ़िल्मों की कौन- कौन सी विशेषताएँ हैं?
उत्तर
लेखक ने चालों की फिल्मों की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं

  1. इनमें भाषा का प्रयोग बहुत कम है।
  2. इनमें मानवीय स्वरूप अधिक है।
  3. चालों में सार्वभौमिकता है।
  4. वह सदैव चिर युवा या बच्चे जैसा दिखता है।
  5. वह किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगता।
  6. वह सबको अपना स्वरूप लगता है।

प्रश्न 10:
अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम क्या होते हैं?
उत्तर
अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम चार्ली के टिली ही होते हैं जिसके रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं। हमारे महानतम क्षणों में कोई भी हमें चिढ़ाकर या लात मारकर भाग सकता है और अपने चरमतम शूरवीर क्षणों में हम क्लैब्य और पलायन के शिकार हो सकते हैं। कभी-कभार लाचार होते हुए जीत भी सकते हैं। मूलत: हम सब चार्ली हैं क्योंकि हम सुपरमैन नहीं हो सकते। सत्ता, शक्ति, बुद्धिमत्ता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्षों में जब हम आईना देखते हैं तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।

प्रश्न 11:
‘चार्ली की फिल्में भावनाओं पर टिकी हुई हैं, बुद्ध पर नहीं।”-‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
हास्य फ़िल्मों के महान अभिनेता एवं निर्देशक चार्ली चैप्लिन की सबसे बड़ी विशेषता थी-करुणा और हास्य के तत्वों का सामंजस्य। उनकी फिल्मों में भावना-प्रधान अभिनय दर्शकों को बाँधे रहता है। उनकी फ़िल्मों में भावनाओं की प्रधानता है, बुद्ध तत्व की नहीं। चार्ली को बचपन से ही करुणा और हास्य ने जबरदस्त रूप से प्रभावित किया है। वह बाइबिल पढ़ते हुए ईसा के सूली पर चढ़ने की घटना पर रो पड़ा और कसाई खाने से भागी भेड़ देखकर वह दयाद्र। होता है तो उसे पकड़ने वाले फिसल-फिसलकर गिरते हुए हँसी पैदा करते हैं।

प्रश्न 12:
‘चार्ली चैप्लिन’ का जीवन किस प्रकार हास्य और त्रासदी का रूप बनकर भारतीयों को प्रभावित करता है? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर
चार्ली चैप्लिन का जीवन हास्य और त्रासदी का रूप बनकर भारतीयों को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित करता है-

  1. प्रसिद्ध भारतीय सिनेजगत के कलाकारों-राजकपूर, दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, देवानंद आदि, के अभिनय पर चार्ली चैप्लिन के अभिनय का प्रभाव देखा जा सकता है।
  2. चार्ली चैप्लिन के असंख्य प्रशंसक भारतीय हैं जो उनके अभिनय को बहुत पसंद करते हैं।
  3. उन्होंने जीवन की त्रासदी भरी घटनाओं को भी हास्य द्वारा अभिव्यक्त करके दर्शकों को प्रभावित किया।

स्वयं करें

  1. ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  2. संस्कृत नाटकों के विदूषक और चार्ली चैप्लिन के अभिनय में क्या-क्या अंतर है?
  3. चार्ली की फिल्मों के विषय में लेखक के क्या विचार हैं?
  4. चार्ली की फिल्मों ने दर्शकों की वर्ग और वर्ण-व्यवस्था को ध्वस्त किया। इससे आप कितना सहमत हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
  5. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    ()भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र को कई रसों का पता है, उनमें से कुछ रसों का किसी कलाकृति में साथ-साथ पाया जाना श्रेयस्कर भी माना गया है। जीवन में हर्ष और विषाद आते रहते हैं यह संसार की सारी सांस्कृतिक परंपराओं को मालूम है, लेकिन करुणा का हास्य में बदल जाना एक ऐसे रस-सिद्धांत की माँग करता है जो भारतीय परंपराओं में नहीं मिलता। ‘रामायण’ तथा ‘महाभारत’ में जो हास्य है वह ‘दूसरों’ पर है और अधिकांशत: वह परसंताप से प्रेरित है। जो करुणा है वह अकसर सद्व्यक्तियों के लिए और कभी-कभार दुष्टों के लिए है। संस्कृत नाटकों में जो विदूषक है वह राजव्यक्तियों से कुछ बदतमीजियाँ अवश्य करता है, किंतु करुणा और हास्य का सामंजस्य उसमें भी नहीं है। अपने ऊपर हँसने और दूसरों में भी वैसा ही माद्दा पैदा करने की शक्ति भारतीय विदूषक में कुछ कम ही नजर आती है।

() भारतीय कला व सौंदर्यशास्त्र के बारे में क्या बताया गया हैं?
() भारतीय परंपरा में क्या नहीं मिलता?
() भारतीय कलाओं में करुणा व हास्य किन पर व्यक्त किया जाता हैं?
() विदूषक कौन है? उसकी क्या सीमाएँ हैं?

() एक होली का त्योहार छोड़ दें तो भारतीय परंपरा में व्यक्ति के अपने पर हँसने, स्वयं को जानते-बूझते हास्यास्पद बना डालने की परंपरा नहीं के बराबर है। गाँवों और लोक-संस्कृति में तब भी वह शायद हो, नगर-सभ्यता में तो वह थी ही नहीं। चैप्लिन का भारत में महत्व यह है कि वह ‘अंग्रेजों जैसे’ व्यक्तियों पर हँसने का अवसर देता है। चार्ली स्वयं पर सबसे ज्यादा तब हँसता है जब वह स्वयं को गर्वोन्मत्त, आत्म-विश्वास से लबरेज, सफलता, सभ्यता, संस्कृति, तथा समृद्धि की प्रतिमूर्ति, दूसरों से ज्यादा शक्तिशाली तथा श्रेष्ठ, अपने को ‘वज्रादपि कठोराणि’ अथवा ‘मृदूनि कुसुमादपि’ क्षण में दिखाता है।

() होली का त्योहार किस रूप में क्या अवसर प्रदान करता है?
() अपने पर हँसने के संदर्भ में लोक-संस्कृति एवं नगर-सभ्यता में मूल अतर क्या था और क्यों?
() ‘अंग्रेजों जैसे व्यक्तियों’ वाक्यांश में निहित व्यंग्यार्थ को स्पष्ट र्काजिए।
() चार्ली जिन दशाओं में अपने पर हँसता है, उन दशाओं में ऐसा करना अन्य व्यक्तियों के लिए सभव क्यों नहीं हैं?

 

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