मुंबई. विशेष टीडीए अदालत ने 1993 में बॉम्बे बम विस्फोट में उनके मामले में ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान को मौत की सजा सुनाई. इसके अलावा, अदालत ने अबू सलीम और करीमुल्लाह को दो मामलों में जन्मों की कारावास और दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया. दोनों मामलों को एक साथ दंडित किया जाएगा. अबू सलेम के मामले में, आधिकारिक वकील ने फांसी की सजा का अनुरोध किया था, लेकिन उन्हें हिरासत में लेकर भारत लाया गया था, जिसे फांसी की सजा नहीं दी गई थी.
इस मामले में रियाज सिद्दीकी को 10 साल की सजा दी गई है. इस मामले का एक अन्य आरोपी मुस्तफा की मृत्यु हो गईथी. ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान को साजिश में शामिल होने का दोषी पाया गया और मृत्यु की सजा सुनाई गई.
मुंबई में बम धमाकों में कम से कम 257 लोग मारे गए थे. इससे पहले, अदालत ने जून में अबू सलीम, मुस्तफा रफी, उनके भाई मोहम्मद तहा, फिरोज अब्दुल रशीद खान, व्यापारी ताहिर और करीमउल्लाह शेख को सजा सुनाई थी।रिपोर्ट के अनुसार, अबू सलेम मुस्कुरा रहा था, जबकि उसे दंडित किया का करीबी था हथियार की आपूर्ति करने का आरोप था। उसपर 7 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
उज्ज्वल निकम ने बताया कि अबू सलेम की सजा को लेकर भारत और पुर्तगाल की सरकार को तय करना है क्योंकि पुर्तगाल के कानून के अनुसार उम्रकैद का मतलब 25 साल होता है. ऐसे में वर्तमान स्थिति को देखते हुए अबू सलेम को 13 साल जेल में काटने होंगे क्योंकि वह 12 साल की सजा काट चुका है.
उज्ज्वल निकम साल 2005 में सलेम के भारत प्रत्यर्पण के समय तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लिखित तौर पर पुर्तगाल सरकार और कोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि वो सलेम को 25 साल से अधिक जेल में नहीं रखेंगे. भारत सरकार की तरफ से पुर्तगाल को यह आश्वासन दिया गया था कि उसे मौत की सजा भी नहीं दी जाएगी. आपको बता दें कि 2005 में प्रत्यर्पण के बाद से अबू सलेम 12 से 13 साल की सजा काट चुका है.