2 अक्तूबर (गाँधी जयंती) पर लघु निबंध (Hindi Essay on 2 October (Gandhi Jyanti)
हमारे राष्ट्रीय त्योहारों मे 2 अक्तूबर का प्रमुख स्थान है। यह राष्ट्रीय त्योहार राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्म दिवस 2 अक्तूबर की शुभ स्मृति में मनाया जाता है। इस राष्ट्रीय त्योहार का महत्व सामाजिक, राष्ट्रीय आदि कई दृष्टियों से है।
यों तो महात्मा गाँधी का जन्म दिन 2 अक्तूबर है, जिनकी पुण्य स्मृति में हम यह जन्म दिन मनाया करते हैं। फिर भी आज इसे राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाने का विशेष महत्व स्वीकृति हो चुका है। सबसे पहली बात यह है कि आज जो 2 अक्तूबर का स्वरूप हमारे राष्ट्र के समक्ष उपस्थित हुआ है। यह महात्मा गाँधी के समय में नहीं था। यह तो ठीक है कि महान पुरूषों का मूल्यांकन उनके निधनोपरांत किया जाता है। महात्मा गाँधी का जो मूल्यांकन अन्य महापुरूषों की तुलना में किया गया या किया जा रहा है, वह सचमुच में अपने आप में अद्भुत और अभूतपूर्व है। हम देखते हैं कि महात्मा गाँधी का जन्म दिन महोत्सव 2 अक्तूबर देखते देखते ही एक महान राष्ट्रीय त्योहार का रूप धारण करके हमारे सम्पूर्ण राष्ट्रीय विचारधारा को दिनों दिन प्रभावित किए जा रहा है। इससे इसका महत्व निर्विवाद रूप से प्रकट हो जाता है।
2 अक्तूबर के इस राष्ट्रीय त्योहार के महत्वपूर्ण होने के कई आधार हैं। चूँकि महात्मा गाँधी का व्यक्तिगत जीवन स्वान्तःसुखाय न होकर परान्तःसुखाय की भावना से संचालित था। इससे हम आज भली-भांति परिचित हैं। उन्होंने आजीवन समाज कल्याण और राष्ट्र कल्याण के लिए ही आत्मजीवन को समर्पित कर दिया। 2 अक्तूबर का त्योहार इसीलिए महत्वपूर्ण और प्रभावशाली त्योहार माना जाता है।
2 अक्तूबर के समस्त राष्ट्र और समाज का वातावरण खिल उठता है। सुबह से प्रभात फेरियाँ निकलने लगती हैं और दिन चढ़ते ही विविध प्रकार के सांस्कृतिक और सामजिक कार्यक्रमों का आयोजन आरम्भ हो जाता है। चारों और ‘महात्मा गाँधी जी जय, महात्मा गाँधी अमर रहे’ आदि नारों से पूरा वातावरण गूँजता है। आकाश ध्वनित हो उठता है। अचानक हम महात्मा गाँधी को याद करने लगते हैं। महात्मा गाँधी के जीवन की एक एक घटना से सम्बन्धित तथ्यों की हम विभिन्न प्रकार की सभाओें, गोष्ठियों और विचार संगठनों के द्वारा दोहराने लगते हैं।
2 अक्तूबर के दिन स्कूलों और कालेजों सहित विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं में अनेक प्रकार की झांकियां और प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं, जो महात्मा गाँधी के जीवन पर आधारित तथा सम्बन्धित होती हैं। इसी संदर्भ में नाटक, गाने बजाने सहित नृत्य करने का भी आयोजन होता है। बापू के जीवनरूप रेखा को प्रदर्शित करने के लिए एक एक घटना से सम्बन्धित वस्तुओं को विभिन्न प्रकार से दिखाया जाता है। बापू की जीवनी सम्बन्धित मेलों का आयोजन भी ये शिक्षण संस्थाएं किया करती हैं। कुछ शिक्षण संस्थाओं में बापू के जीवन को रेखांकित करने वाली मुख्य बातों को रोचक और प्रभावशाली रूप में चित्रित या प्रस्तुत करने वाले प्रतियोगियों को पुरस्कृत भी किया जाता है। बापू के जीवन माला को आयोजित करने वाली व्याख्यानमाला को भी सम्पन्न किया जाता है। विभिन्न प्रकार के विशेषज्ञों को आमन्त्रित करके उन्हें सम्मानित भी किया जाता है। इस दिन सभी शिक्षण संस्थाएं बन्द रहती हैं।
न केवल शिक्षण संस्थाएं ही, अपितु सार्वजनिक संस्थान भी 2 अक्तूबर के शुभ अवसर पर अपना अवकाश मनाकर बापू के जीवन को याद करके उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया करते हैं। इस दिन हम देखते हैं कि प्रायः सभी सार्वजनिक परिक्षेत्र उल्लास और उमंग से भरकर अपनी स्वतंत्रता को व्यक्त करते हैं। जगह जगह मेले का आयोजन किया जाता है। इसके आस पास महात्मा गाँधी की मूर्ति या प्रतिमा के ऊपर चढ़ी हुई मालाएं और विभिन्न प्रकार की साज सज्जा हमारे मन और अंतकरण को आकर्षित कर लेती है। बच्चे इस दिन अत्यधिक प्रसन्न और उल्लास से भरे हुए दिखाई देते हैं। दुकानें अधिक सज जाती हैं और आम रास्ते भी चहल पहल से भर जाते हैं। न केवल सार्वजनिक संस्थान, अपितु सरकारी संस्थान भी बन्द रहते हैं।
2 अक्तूबर के शुभ दिन को हमें महात्मा गाँधी के सत्संकल्पों और आदर्शों पर चलना चाहिए, जिससे हम इस विशाल भारत को विकसित राष्ट्र बना सकें।