वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में कौन सा अलंकार है?
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में कौन सा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में उपमा अलंकार है क्योंकि यहाँ वस्त्र औरआभूषण की तुलना शाब्दिक भ्रम से की गई है।
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में उपमेय, उपमान, समान धर्म एवं वाचक को स्पष्ट कीजिये
उपमेय – जिसकी उपमा दी जाय। उपर्युक्त पंक्ति में वस्त्र औरआभूषण उपमेय है।
उपमान – जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से उपमा दी जाती है। उपर्युक्त पंक्ति में शाब्दिक भ्रम उपमान है।
समान धर्म – उपमेय-उपमान की वह विशेषता जो दोनों में एक समान है। उपर्युक्त उदाहरण में बंधन समान धर्म है।
वाचक शब्द – वे शब्द जो उपमेय और उपमान की समानता प्रकट करते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में वाचक शब्द है।
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में उपमा अलंकार का कौन सा भेद है?
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में उपमा का भेद है – लुप्तोपमा
उपमा अलंकार- जब काव्य में किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अत्यंत प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से की जाती है तो उसे उपमा अलंकार कहते हैं
सा, से, सी, सम, समान, सरिस, इव, समाना आदि कुछ अन्यवाचक शब्द है।
उपमा अलंकार के तीन भेद हैं–पूर्णोपमा, लुप्तोपमा और मालोपमा।
(क) पूर्णोपमा – जहाँ उपमा के चारों अंग विद्यमान हों वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है;
जैसे-
हरिपद कोमल कमल से”
(ख) लुप्तोपमा – जहाँ उपमा के एक या अनेक अंगों का अभाव हो वहाँ लुप्तोपमा अलंकार होता है;
जैसे-
“पड़ी थी बिजली-सी विकराल।
लपेटे थे घन जैसे बाल”।
(ग) मालोपमा – जहाँ किसी कथन में एक ही उपमेय के अनेक उपमान होते हैं वहाँ मालोपमा अलंकार होता है।
जैसे-
“चन्द्रमा-सा कान्तिमय, मृदु कमल-सा कोमल महा
कुसुम-सा हँसता हुआ, प्राणेश्वरी का मुख रहा।।”
उपमा अलंकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ:
उपमा अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- रूपक अलंकार की परिभाषा, अंग (भेद) एवं उदाहरण Roopak Alankar in Hindi
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