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Van Mahotsav Essay in Hindi | वन महोत्सव पर निबंध

Van Mahotsav Essay in Hindi for class 5/6 in 100 words| वन महोत्सव पर निबंध

पेड़ हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। पेड़ों के बिना हम जिंदा नहीं रह सकते। पेड़ों को उगाने के लिए हर वर्ष जुलाई माह के पहले सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है। जिसमें कई विद्यालय, कार्यालय एवं लोग भी व्यक्तिगत रूप से वृक्षों के बचाने एवं बढ़ाने के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। पेड़ों को लगाने से हम सुख- शांति के साथ जीवन बिता सकते हैं और आने वाली पीढ़ी के लिए भी इनसे लाभ होता है। वन महोत्सव के जरिये ही सही पर इस दौरान कई लोगों द्वारा पौधों को लगाया जा सके जिससे इनकी संख्या में वृद्धि होती है।

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Van Mahotsav Essay in Hindi for class 7/8 in 200 words| वन महोत्सव पर निबंध

वन महोत्सव एक ऐसा महोत्सव है जिसमें भागीदारी कर व्यक्ति अपने और प्रकृति के बीच सम्बन्ध को ज्यादा गहराई से समझता है। जैसे हम कई पारीवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय , अंतर्राष्ट्रीय एवं धार्मिक महोत्सव मनाते हैं और उन महोत्सव से जुड़कर उनकी विशेषता समझते हैं। ऐसे ही वन महोत्सव है जो इन्सान के लिए किसी भी अन्य उत्सव से बढ़ कर है। इसका कारण है हमारे जीवन में वनों का महत्व। यदि वन ही नहीं होंगे तो धरती पर किसी भी प्रकार का विकास सम्भव नहीं है।

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वनों से बढ़ कर हमारा हितैषी और कोई नहीं है। मनुश्य अपने स्वार्थ में इसके लाभों को भूल जाता है और अंधाधुध इनकी कटाई कर अपने विकास को राह खोजता है। वह भूल जाता है कि जब वन ही नहीं होंगे तो उसे प्राण वायु कहाँ से मिलेगी, खाना, कपड़ा, ईंधन आदि कहाँ से प्राप्त होंगे? वनों के महत्व को जानते हुए भी हम इसके संरक्षण एवं संवर्द्धन में उतना योगदान नहीं दे पाते जितनी आवश्यकता है। अतः वन महोत्सव की शुरुआत करके हमें एक मौका मिला है कि हम वनों के संवर्द्धन एवं संरक्षण हेतु और अधिक भागीदारी कर पायें। इस भागीदारी से इन्सान को सच्चे सुख की प्राप्ति होती है क्योंकि यह मात्र हमें ही नहीं अपितु आने वाली कई पीढियों को भी लाभान्वित करेंगे।

Van Mahotsav Essay in Hindi for class 9/10 in 500 words| वन महोत्सव पर निबंध

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वन महोत्व का प्रारम्भ तत्कालीन कृषि मंत्री डा. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा सन् 1950 में किया गया। यह एक राष्ट्रीय महोत्सव है और यह प्रत्येक वर्ष जुलाई माह के प्रथम सप्ताह के दौरान मनाया जाता है। जैसे हम अपनी माँ के लिए चिंतित रहते हैं उसे हर प्रकार से खुश रखना चाहते हैं वैसे ही इस धरती माँ की खुशहाली का भी हमें ध्यान रखना है और इसके लिए जितना हो सके पौधों का रोपण करना है।। इस विचार को लेकर आज तक इस महोत्सव के दौरान पूरे भारत में हर वर्ष कई वृक्षों का रोपण एवं संरक्षण किया गया है। इस महोत्सव के जरिये आशा की जाती है कि प्रत्येक नागरिक हर वर्ष कम से कम एक पौधा अवश्य रोपेगा जिससे उपयोग के लिये काटे जा रहे पेड़ों की पूर्ति हो सके।

इस महोत्सव के दौरान विद्यालयों, सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों तथा अन्य स्थानों पर पेड़ों से होने वाले लाभ एवं इनके कम होने अथवा न होने के दुष्परिणामों पर लोगों को जागरुक किया जाता है। लोगों को जागरुक किया जाता है कि किस प्रकार हमें वृक्षों से ईंधन, पशुओं के लिए चारा, प्राण वायु, भोजन, कई प्राणियों का आश्रय स्थल, शीतल छाया, वर्षा , भूमिगत जल, हानिकारक गैसों के निस्तारण में सहायता, प्रदूषण से मुक्ति, प्राकृतिक सुंदरता, भूमि क्षरण से बचाव और भी न जाने क्या-क्या प्राप्त होता है। विद्यालयों में इस दौरान वनों पर चित्रकला प्रतियोगिता, निबंध एवं कविता लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

वनों के संवर्द्धन हेतु पेड़ों से प्राप्त होने वाले ईंधन के वैकल्पिक ईंधन के विषय में लोगों को जागरुक किया जाता है जिससे इनके संरक्षण एवं संवर्द्धन में उन्नति हो सके। इस महोत्सव में कई संस्थानों एवं व्यक्तियों को भी सम्मानित किया जाता है जिन्होंने वनों के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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वनों के संरक्षण एवं संवर्द्धन की ओर ज्यादा ध्यान न दे पाने के कारण इन्सान आज कई मुसीबतों से गुजर रहा है। जहाँ घने वन हुआ करते थे वहाँ विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी इमारतें और कल-कारखाने हैं। वनों की कमी के कारण वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है, पानी की कमी हो रही है, बढ़ती जनसंख्या के लिए वन उत्पाद पूरे नहीं हो रहा है। वनों को काटकर खेती हेतु भूमि को विकसित किया जा रहा है। और तो और पशु-पक्षी जो मात्र पेड़ों पर निर्भर हैं वे भी आहत हैं। यदि यही स्थिति रही तो यह समस्या बहुत गंभीर रूप धारण कर लेगी। धरती पर इतनी गर्मी बढ़ जायेगी कि जीवन दूभर हो जायेगा। ग्लेशियर पिघलते जायेंगे जिसकें कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी और पेड़ों की कमी से वर्षा का स्तर भी न के बराबर हो जायेगा। ऐसे में इस धरती पर जीवन की कल्पना कौन कर सकता है।

अतः अब समय हमें चेता रहा है कि हम इस दिशा में बढ़-चढ़ कर आगे आयें। अपने बच्चों को वनों के न होने के नतीजों से अवगत करायें। यह प्रत्येक नागरिक अभिभावक का कर्तव्य होना चाहिये कि जैसे हम अन्य उत्सवों के विषय में बच्चों को बताते हैं वैसे ही इस उत्सव के विषय में जानकारी देकर बच्चों को इनके संवर्द्धन एवं संरक्षण हेतु प्रेरित करें। इस महोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना एवं सफलता मिली है और यह हमारा दायित्व है कि हम यह महोत्सव मना कर पर्यावरण के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते रहें।

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